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Shaarang Deepak
Bharat Bhushan pathak
चित्रपदा छंद विधान:-- ८ वर्ण प्रति चरण चार चरण, दो-दो समतुकांत भगण भगण गुरु गुरु २११ २११ २ २ नीरद जो घिर आए। तृप्त धरा कर जाए।। कानन में हरियाली। हर्षित है हर डाली।। कोयल गीत सुनाती। मंगल आज प्रभाती। गूँजित हैं अब भौंरे। दादुर ताल किनारे।। मेघ खड़े सम सीढ़ी। झूम युवागण पीढ़ी।। खेल रहे जब होली। भींग गये जन टोली।। दृश्य मनोहर भाते। पुष्प सभी खिल जाते।। पूरित ताल तलैया। वायु बहे पुरवैया।। भारत भूषण पाठक'देवांश' ©Bharat Bhushan pathak #holikadahan #होली#holi#nojotohindi#poetry#साहित्य#छंद चित्रपदा छंद विध
Devesh Dixit
मतदान (दोहे) हम सबका अधिकार यह, करना है मतदान। मत चूको इससे कभी, इसमें अपनी शान।। आजादी प्यारी हमें, फिर क्यों खाएँ चोट। नेता अपना वो नहीं, जिसमें कोई खोट।। अंग्रेजों ने जो किया, माना वो थी भूल। आते जब भी याद वो, हिय में चुभते शूल।। पुनः न हो गलती वही, रखना इसका ध्यान। नेता सम श्री राम हो, वैसा ही मतदान।। हमको चुनना है उसे, जो दिल से हो नेक। निर्णय का दमदार हो, दे सबको वह टेक।। कहते हैं सज्जन सभी, नेता वही महान। रखे वतन की लाज भी, कर्मों से धनवान।। मतदाता को चाहिए, ऐसा करे चुनाव। नेता भी उत्तम मिले, हो सेवा का भाव।। करे नहीं मतदान जो, नादां हैं वो लोग। नासमझी का है उन्हें, देखो कैसा रोग।। ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #मतदान #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry मतदान (दोहे) हम सबका अधिकार यह, करना है मतदान। मत चूको इससे कभी, इसमें अपनी शान।। आजादी प्य
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
Instagram id @kavi_neetesh
🔔।। सरस्वती वंदना ।।🔔। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 हिमकिरणों सा हार हृदय पर, चन्द्रप्रभा सम मुख। स्वेतवस्त्र राजे सुन्दर तन पर, देती विद्या, धन, सुख।। चंदन राजे माँ के माथे पर, करती सुख, हरती दुःख। वीणा वादिनी माथे पर, धर हाथ, सदा दायनि सुख।। स्वेत कमल के आसन पर, आप विराजमान सनमुख। ब्रह्मा,विष्णु,महेश,आप पर, चवर डुले देव, हर दुःख।। ©Instagram id @kavi_neetesh 🔔।। सरस्वती वंदना ।।🔔। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 हिमकिरणों सा हार हृदय पर, चन्द्रप्रभा सम मुख। स्वेतवस्त्र राजे सुन्दर तन पर,
N S Yadav GoldMine
Devesh Dixit
धड़कन (दोहे) प्रियसी तेरे रूप को, देख हुआ मदहोश। तू जब आए सामने, हो धड़कन में जोश।। तेरी भी धड़कन बढ़ें, आकर मेरे पास। हो बेकाबू तू रही, है मुझसे पर आस।। बाहों में तुझको लिया, धड़कन पकड़े जोर। कहती है सद्भावना, मन का नाचे मोर।। पल होता ये खुशनुमा, जब तू देती साथ। धड़कन ही सिमटी रहे, चूमूँ तेरा माथ।। लिया हाथ को हाथ में, ऊपर मेरा हाथ। धड़कन भी अब सम हुई, पूरा तेरा साथ।। सोचा ये सब ख्वाब में, कैसे करूँ बखान। धड़कन के टुकड़े हुए, सिमट गये अरमान।। ............................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #धड़कन #दोहे #nojotohindipoetry धड़कन (दोहे) प्रियसी तेरे रूप को, देख हुआ मदहोश। तू जब आए सामने, हो धड़कन में जोश।। तेरी भी धड़कन बढ़ें, आकर
Bharat Bhushan pathak
सरल नहीं यह काम,गगन तक जाना। बहुत दूर है चाँद,कठिन है पाना।। दिखता नभ जब चाँद,जगे तब तारे। चाँद तोड़ना चाह,स्वप्न बस प्यारे।। ©Bharat Bhushan pathak #udaan विधान-हंसगति छंद-कुल २० मात्राएँ प्रथम चरण दोहे के सम चरण की भांति यानि-११मात्रा-विभाजन- अष्टकल-त्रिकल तथा दूसरा चरण-९ मात्रा,मात्रा
Jupiter and its moon
पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य सब मान बचाने ना आए। वीर हुए कायरतम अबला आन बचाने ना आए।। केश पकड़ जब रजस्वला स्त्री पर अत्याचार हुआ। स्वजन बंधू सब मूक बने पंचाली संग व्यभिचार हुआ।। उपहास हुआ हर नारी का सब न्याय धर्म पर वार हुआ। निर्लज्ज सभा के भागी हर एक जन का तय संहार हुआ।। थे विकर्ण जैसे भी जिसने पाप सभा में सत्य कहे। विदुर सरीखे नितिकार सब सभा त्याग कर चले गए।। धृतराष्ट्र सम अंधा राजा दूर्योधन सा अत्याचारी। था पाखंड धर्म का या फिर थी पांडव की लाचारी।। जब जब वस्त्र हरण को कोई दुशासन आगे आए। तव आन मान अधिकारों पर जब जब अंधेरा छा जाए।। हे स्त्री! तुमको निज रक्षा के हेतु स्वयं जलना होगा। चंडी काली बनकर निशदिन महिषा मर्दन करना होगा। तुम जननी सब जग की भर्ता निज शंका का त्याग करो। वस्त्र हरण को बढ़ते हर दुशासन का तुम नाश करो।। कृष्ण नहीं आते हर युग में अबला आन बचाने को। सबला बन तुम स्वयं लड़ो निज आन और मान बचाने को।। ©Jupiter and its moon कृष्ण नहीं आते हर युग में! पांच पति पांचाली के अभिमान बचाने ना आए। अपमानित होती नारी का सम्मान ना बचाने ना आए।। भीष्म द्रोण गुरू कृपाचार्य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी । लेकिन उनकी मीठी बातें , लगती सम गोपाला जी ।। आज हमारे बीच नहीं हैं..... सरल स्वभाव मधुर वाणी से , सबका मन हर लेते थे । सभी विधा में मिली महारत , ग़ज़ल सहज कह लेते थे ।। मातु शारदा के थे बेटे , स्तर था उनका आला जी । आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी ।। काव्य-तिरंगा मंच प्रबन्धक , बनकर किया उजाला है । हम जैसे मन्दबुद्धि को वह , तम से सदा निकाला है ।। ऐसे साधक के चरणों में , अर्पण करता माला जी । आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी ।। जो दिखलाया राह हमें है , उन पर चलते जाना है । उनको अपने हृदय बसाकर, आगे बढ़ते जाना है ।। उनकी पुन्यात्मा को अर्पित , यह शब्दों की माला है । आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी ।। आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी । लेकिन उनकी मीठी बातें , लगती सम गोपाला जी ।। ३०/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- आज हमारे बीच नहीं हैं , देखो पूज्य निराला जी । लेकिन उनकी मीठी बातें , लगती सम गोपाला जी ।। आज हमारे बीच नहीं हैं.....