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Komal Pardeshi
Komal Pardeshi
Komal Pardeshi
Sandip D. Chaudhari
मी दिलं होतं वचन त्यात तु ही हो बोलली होती , मग निभवायची वेळ आली तेव्हा कारणे का शोधत होती . -संदीप डी. चौधरी.
Prerit Modi सफ़र
2122 2122 2122 2 इश्क़ अब मैं, हद से ज्यादा तुझसे करता हूँ।। सच कहूँ अब मैं तुझे, खोने से डरता हूँ।। ये दरख्शाँ, ये चमक मेरी तुझी से है। मैं दिलों जाँ से सनम, तुझ पर ही मरता हूँ।। ग़म में पीने का मज़ा कुछ और होता है। क़तरा क़तरा मय को, अब साग़र में भरता हूँ ज़िन्दगी ने क्यों डराया हर दफ़ा मुझ को। तीरगी में होता हूँ, तो मैं सिहरता हूँ।। रहती हैं माँ की दुआएँ, साथ में हर दम। माँ लगाती है गले से, जब भी डरता हूँ।। तुम "सफ़र" खेतों में आकर के, कभी देखो। पेट के ख़ातिर, मैं महनत कितनी करता हूँ।। 2122 2122 2122 2 दरख्शाँ- प्रकाश से भरा हिद्दत- उष्णता, तीव्रता #gazal #yqbaba #yqdidi #shayari #सफ़र_ए_प्रेरित #philosophy #love
Sangeeta Patidar
तन्हाई मिली मुझ को ज़रूरत से ज़ियादा, पढ़ती हैं किताबें मुझे वहशत से ज़ियादा। भर गया दिल तो फ़ेर ली ज़माने ने नज़रें, मारती है ख़ामोशियाँ, दहशत से ज़ियादा। कोई क्या देगा, है हर कोई खोखला यहाँ, मिलती हैं नफ़रतें यहाँ चाहत से ज़ियादा। मजबूरियों की आड़ में मिली मुझे दूरियाँ, लगती हैं ज़िम्मेदारियाँ, नेमत से ज़ियादा। उँगली उठाने का वक़्त सबके पास 'धुन', जलाती हैं बेफ़िक्रियाँ, हिद्दत से ज़ियादा। हिद्दत- उष्णता, तपिश नेमत- उपहार Rest Zone 'काव्य सृजन' "तन्हाई मिली मुझ को ज़रूरत से ज़ियादा, पढ़ती है किताबें मुझे वहशत से ज़ियादा।
Pratik Patil Patu
कोणत्याही व्यक्ति बद्दलच्या आपल्या धारणा या, त्या व्यक्तीने आपल्याशी केलेल्या वर्तनाच्या संदर्भात, आपण गृहीत धरलेल्या संभाव्य कारणांवर वा उद्दिष्टांवर अवलंबून असतात. जाणते-अजाणतेपणी, आपणच स्वतःहून गृहीत धरलेलं हे'कारण' किंवा त्या व्यक्तीच्या विशिष्ट वागण्याचं संभाव्य उद्दिष्ट, आपल्याला नकारात्मक वाटत असल्यास, त्या व्यक्ती बद्दल आपल्या मनात नकारात्मक धारणा निर्माण होतात. ही गृहीत धरलेली कारणे वा उद्दिष्टे आपणच गृहीत धरल्यामुळे, आपणच ती सोयीनुसार बदलू शकतो, आणि नात्यात नवा ओलावा निर्माण करू शकतो. थोडक्यात ती व्यक्ती कशी वागत आहे, आपल्याशी चांगलं किंवा वाईट! यापेक्षा असं वागण्या पलीकडचा तिचा, आपण गृहीत धरलेला संभाव्य उद्देश आपल्याला