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ek_ahe_kavi
येथे श्रावण सोमवारी उपवासाने बसलीये मैफिल जेवणाचा घास घेताना मजा घेतीय मैफिल
Krish Vj
श्रावण मास के आगमन प्रथम श्रावन सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं मेरे महाकाल की कृपा आप सब पर बनी रहैं...👏👏👏 ॐ जय महाकाल!!! #सावन #श्रावण #सोमवार #भक्ति #शिव #yqbaba #yqbhaijan #yqbesthindiquotes
PawanDubey_a_writer
मैं कैलाशी.. मेरा भोला अविनाशी.. जटाधारी.. नंदी जिनकी सवारी.. मैं कैलाशी.. मेरा शंकर अविनाशी.. महाकाल.. भस्म से करते श्रृंगार.. मैं उज्जैनी.. मेरा रक्षक महाकाल.. गंगाधर.. पावन गंगा जटाधारी.. मैं काशीवासी.. मेरा शंकर काशीविश्वनाथ.. मैं अघोरी.. महादेव भक्त.. संसार है विनाशी.. मेरा भोला अविनाशी.. मैं कैलाशी..मेरा भोला अविनाशी.. शुभ श्रावण सोमवार 🌹 . #monday #hindikavita #nojoto #nojotohindi #shiva #devotional #god #hindiwriter #hindip
kavi manish sharma
PRATIK BHALA (pratik writes)
🙏🙏🙏🙏🙏 प्रथम श्रावण सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएं, देवों के देव महादेव आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें, 🙏🙏 #Life #pratikwrites #PratikBhala #mahadev #
PARBHASH KMUAR
श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और आज हम श्रावण सोमवार की व्रत कथा लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं, तो चलिए साथ में इस पुण्यदायिनी कथा के बारे में जानते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक नगर में अमीर साहूकार निवास करता था। उसके घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी, परंतु संतान न होने के कारण वह अत्यंत दुखी रहता था। संतान प्राप्ति के लिए वह हर सोमवार श्रद्धापूर्वक भगवान शिव जी की उपासना करता था और संध्या के समय मंदिर में जाकर भगवान शिव के समक्ष दीप जलाता था। उसके भक्ति भाव को देखते हुए, एक दिन माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि, हे प्राणनाथ! यह आपका सच्चा भक्त है तथा इतने वर्षों से आपकी पूजा-अर्चना कर रहा है। आप इसे संतान प्राप्ति का वरदान क्यों नहीं दे रहे हैं?माता पार्वती का प्रश्न सुनकर भगवान शिव ने उन्हें बताया कि साहूकार के पिछले जन्म के कर्मों के कारण उसके भाग्य में संतान सुख नहीं लिखा है। यह सुनकर माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उस साहूकार को संतान प्राप्ति का वर प्रदान करें। माता पार्वती के आग्रह के बाद भगवान भोलेनाथ ने ये बात मान ली और स्वप्न में उस साहूकार को दर्शन देकर संतान प्राप्ति का वरदान दिया। इसके साथ ही भगवान ने उसे यह भी बताया कि उसका पुत्र अल्पायु होगा और वह केवल 16 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। साहूकार को इस बात की हार्दिक प्रसन्नता तो हुई, लेकिन वह संतान को कुछ समय के बाद खोने के विचार से चिंतित हो गया। उसने पूरा वृतांत अपनी पत्नी को सुनाया। पुत्र की अल्पायु के बारे में सुनकर उसकी पत्नी भी अत्यंत दुखी हो गई। यह बात जानकर भी साहूकार ने अपने आराध्य की पूजा अर्चना जारी रखी। कुछ समय पश्चात उसकी पत्नी गर्भवती हो गई और उसने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। उन्होंने उस बालक का नाम अमर रखा। जब अमर 11 वर्ष का हुआ तो साहूकार ने उसे अपने मामा के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी भेज दिया। काशी जाने से पहले, साहूकार ने बालक के मामा को कुछ धन दिया और कहा कि तुम जिस भी मार्ग से जाना वहां यज्ञ और ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना। इसके बाद दोनों मामा-भांजे काशी की ओर निकल पड़े। यात्रा करते हुए बालक और उसके मामा एक राज्य में विश्राम के लिए रुके। वहां पर राजा की पुत्री का विवाह हो रहा था। परंतु जिस राजकुमार का विवाह उस राजकुमारी से हो रहा था वह एक आंख से काना था और यह बात किसी को पता नहीं थी। राजकुमार के पिता को इस बात की चिंता थी कि अगर राजकुमारी को यह पता चल गया कि राजकुमार एक आंख से काना है तो वह शादी से मना कर देगी। इसलिए जब उसने साहूकार के पुत्र को देखा तो राजकुमार के पिता ने उससे राजकुमार की जगह मंडप में बैठ जाने का आग्रह किया। साथ ही उसने उस बालक से कहा कि वह विवाह के बाद इस भेद के बारे में किसी को न बताएं। अमर, उस राजा की बात मानकर दूल्हे के स्थान पर जाकर मंडप में बैठ गया। इस प्रकार राजकुमारी और बालक का विवाह संपन्न हुआ। विवाह के बाद बालक अपने मामा के साथ काशी के लिए प्रस्थान कर गया। काशी जाने से पहले उस बालक ने राजकुमारी को पत्र के माध्यम से सब सच बता दिया, साथ ही यह भी बताया कि जिस राजकुमार से उसकी विदाई हो रही है वह दरअसल काना है। सत्य जानकार, राजकुमारी ने उस राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। वहीं दूसरी ओर मामा-भांजे काशी पहुंच गए। वहां कुछ वर्ष रहने के पश्चात् जब वह बालक 16 वर्ष का हुआ तो मामा-भांजे ने एक यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ के समापन के बाद उन्होंने ब्राह्मणों को भोजन भी कराया और दान-दक्षिणा भी दी। इसके पश्चात बालक की तबीयत खराब होने लगी। वह मूर्छित होकर ज़मीन पर गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई। जब उस बालक के मामा ने बालक को इस अवस्था में पाया तो वह ज़ोर-ज़ोर से विलाप करने लगे, उसी समय भगवान शिव और माता पार्वती उस मार्ग ©parbhashrajbcnegmailcomm श्रावण का पवित्र महीना शुरू हो गया है और आज हम श्रावण सोमवार की व्रत कथा लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुए हैं, तो चलिए साथ में इस पुण्यदायिनी कथ
Devanand Jadhav
ॐ नमः शिवाय हर हर हर पहिल्या श्रावणी सोमवार निमित्त हार्दिक शुभेच्छा २४ जुलै २०२३ ©Devanand Jadhav अधिक श्रावण पहिला सोमवार