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Parasram Arora
विषाद का महासागर फैला हैँ आने वाली लहरे इंगित करती हैँ कि ज्वार भी अब उठने वाला हैँ अगर गांडीव दिखा हैँ अभी अभी तो समझो महायुद्ध होने वाला हैँ बिरज पर कुरुक्षेत्र उतरने वाला हैँ कठोर संघर्ष का काल हैँ कदाचित कोइ शकुनि . कोइ कुटिल . चाल चलने वाला हैँ कुरील कुंज निकुंज मे कृष्ण ने बंसी छोड सुदर्शन उठा लिया हैँ अब तो नेह की मुरली बजेगी नहीं सम्भवतः ये सुदर्शन चक्र के आजमाइश का आपात काल हैँ............. महायुद्ध का आपातकाल.....
महायुद्ध का आपातकाल.....
read moreअमोल पाटील
#मराठी कविता #मराठी साहित्य #मी मराठी #माय मराठी #असेच मराठी #जीवन मराठी
साहित्य गंगा
घर में रहो सुरक्षित रहो कोरोना वायरस के खिलाफ महायुद्ध
कोरोना वायरस के खिलाफ महायुद्ध
read moreअमोल पाटील
मी माझ्याच मुलखात नांदतो ऐश्वर्याचा राजा , इथे फुलवल्या ऐश्वर्याच्या बागा इथले रानोमाळ सगणगंन पसरत हिरवी द्वाही आणि "मी" पण म्हणत कितीक बुडाले इथल्याच जमिनीत ही #मराठी कविता #मराठी साहित्य #वाचन #मराठी संस्कृती #मराठी कवी #मी मराठी #कविता #पल्लवी
Vini Patel
मेने मेरे सर से पूछा :- सर इन्सान को बदलना हैं तो केसे बदले? सर ने कहा:- इन्सान अनुभव से बदलता है। मेने कहाँ:- सर इन्सान चाहे तो वो अच्छे पुस्तक पढ़ने से भी बदल सकता है। पुस्तक।
पुस्तक। #વિચાર
read moreSankranti
क्या मैं इतनी बुरी हूं.... पुस्तक सोई पुस्तकालय में बोली इतने दिन चुप रहने के बाद आज वो अपना मुंह खोली मुस्किल से कोई मुझे ले जाता है वो भी रख मुझे टेबल पर सामने मेरे सो जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं एक जगह रखे रखे थक जाती हूं एक बार भी तो वो मुझे खोलकर देख ले इसके लिए तरस जाती हूं जब वो बाहर जाता फोन साथ ले जाता जब वापस आता फोन में लग जाता वो तो मेरा ख्याल ही भूल जाता है क्या मैं इतनी बुरी हूं.... मैं मददगार..., इतनी काम की हूं फिर भी क्यों लगती बेकार हूं कुछ तो देख मुझे अजीब सी शक्ल बनाते जैसे लिखा हो मुझमें ऐसा कुछ जिसे देख वो डर जाते क्या मैं इतनी बुरी हूं.... ©Sankranti #पुस्तक
कवी - के. गणेश
आयुष्य वाचलेल्या पानासारखं आठवणींनी मनात भरावं.. आपण संपलो तरीही आपलं अस्तित्व उरावं..! पुस्तक..
पुस्तक..
read moreBharat
कभी वो मेरे पास आने से कटराती थी आज तो वो हमेशा मेरे संग को बतलाती है क्योकि मैने मन से उसको अपना बनाया था कभी उसको मैने अपनी सांस समाया था जब से मैने उसको अपने कर में थामा है तब से इस जहां ने मुझे संग से जाना है रात-रात भर उसके संग में बतियाता हूँ समय आने पर उसको में हथियाता हूँ पुस्तक
पुस्तक
read moreKavita jayesh Panot
पुस्तक देती सबको ज्ञान , पुस्तक का करना सीखो सम्मान , पुस्तक ही माता है, ज्ञानदाता है, नवजीवन का निर्माता है, सबका भाग्य विधाता हैं, पुस्तक का आदर करना सीखो, जीवन का निमार्ण करना सीखो।। i love reading books. # पुस्तक
# पुस्तक #कविता
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