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Lokesh Soham
नारी एक मात्र शब्द नहीं. ये तो इस भवसागर की केवट है.. जो बैठे इसकी नौका में उस पर मानो कहीं ईश्वर की रहमत है... संदा करती है प्रेम सभी से किसी से कोई वैर नही .... मगर अफशोस यही की ये अभी तक पूर्ण त: आजाद नहीं..... ©Lokesh Soham अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की मांगलिक बधाई........ #standAlone
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की मांगलिक बधाई........ #standAlone
read more'आज़ाद' कलम
पहचान करो उचित की पहचान करो मुहब्बत की। ना चरित्र की पहचान करो।। पहचान करो आत्मा की। ना कलेवर की पहचान करो।। पहचान करो गुणों की। ना शब्दों की पहचान करो।।
पहचान करो मुहब्बत की। ना चरित्र की पहचान करो।। पहचान करो आत्मा की। ना कलेवर की पहचान करो।। पहचान करो गुणों की। ना शब्दों की पहचान करो।। #कविता
read moreEk villain
भारतीय संस्कृत मूल रूप से आदरणीय संस्कृत है अपने वैराग्य इसकी आत्मा शंकराचार्य ने अपने ग्रंथ विवेक चुंडी मणि में मोक्ष प्राप्ति के साधनों में वैराग्य को प्रथम स्थान देकर इसकी महत्ता को रेखांकित किया है वैराग्य जीवन में सुख शांति पाने तथा दुख निवृत्ति का साधन भी है अन्य मानवीय भाव की तरह वैराग्य भी सबके अंतर मीय में सुरक्षित अवस्था में रहता है मन की प्रवृत्तियों के अनुसार जागृत होता है पुनर्जन्म के संस्कार भी इस के जनक है वैराग्य का अर्थ सन सारिक पद्धति में आसक्त का भाव है यद्यपि सच्चा वैराग्य कभी मनुष्य को अपने कर्तव्य पथ से विरत नहीं करता आपूर्ति निस्वार्थ भाव से प्राणी मात्र की सेवा के लिए प्रस्तुत करता है त्याग का मंगल भाव वैराग्य की पवित्र भूमि पर ही अंकुरित और पल्लवित होता है अतः वैराग्य हमारी त्याग मूलक संस्कृति का आधार है और मानवता का पोषक भी जन्मजात भी है अर्जित भी है कारण जितने भी होता है पूर्ति भी होता है महा ऋषि शुरू कर दे में जन्मजात विरागे के उदाहरण है जन्म से ही पूर्व उनमें वैराग्य भाव इतना प्रबल था कि इसमें इस माया जनहित संसार में आना ही नहीं चाहते थे पिता हुआ व्यास द्वारा एक क्षण भी ना रोकने का वचन देने पर ही गर्व से बाहर आए शंकराचार्य को भी जन्म से वैराग्य था परंतु मां का प्यार उस में बाधक था तभी तो स्नान करते समय मायावी ग्रह ने उन्हें तब छोड़ा जब हमारे घर से जाने का वचन दे दिया ©Ek villain #वैराग्य का मांगलिक भाव #selflove
आदि शुक्ला
अपनों का साथ बता देता है मुझे की मेरे दिन अच्छे नहीं चल रहे, वरना मेरी आदत तो आज भी वही है अपनों से मिलने की, #अपनों# की# पहचान#
#अपनों# की# पहचान#
read moreAmar Anand
-खुद की पहचान- जालसाजी व फरेबी दुनिया से त्रस्त हूँ , खुद में ही रहता अब तो मैं मस्त हूँ , ख्वाबों को संजोने में अभी व्यस्त हूँ । खामोशी के समुन्दर में हूँ बह रहा इधर उधर , इस संकट के क्षण में लगे बस नैया पार भवँर , बेटोरकर सारे गमों को अभी हूँ कर रहा गुजर । अभी दुनिया है मेरी बड़ी गुमनाम , है बनानी अभी खुद की पहचान , है तोड़ना कइयों का विक्षिप्त अभिमान । फितरत में है अभी लॉकडाउन का सफर , फिलहाल किताबों में भटक रहा अपने ही घर , सता रही आधी अधूरी आकांछाओं की कहर । कर नही सकता मंजिलों से समझौता , यहाँ राह भटकाने खड़े पल पल मुखौटा , चाह नही बनने का फरेबी लोगों का चहेता । #खुद की पहचान
#खुद की पहचान
read moreAnamika
माथे पर लालिमा दूढ़ता ये समाज, सिर्फ इतनी सी सीमित है, एक औरत की पहचान??? ##औरत की पहचान##
##औरत की पहचान##
read moreVickram
अपनों की सबसे बड़ी पहचान क्या है जानते हो। इन के साथ हमेशा ही इंसां महफूज़ रह पाता है । बहुत खूब गुजरता है हर पल गरीबी में भी । हर मूसीबत से लडने को इंसां तैयार हो पाता है बदकिस्मती से गर अपने ही मतलबी निकले। तो फिर वो जीवन नहीं बद से बद्तर हो जाता है। हर वक्त कपट और बर्बादी का खेल चलता है वहां । फिर वो जिवन जिंदगी न हो के जंजाल सा बन जाता है ©Vickram पहचान अपनों की####
पहचान अपनों की#### #शायरी
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