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saloni toke alfazon ki khumari
हर दिन बदल रही है । जिन्दगी पर कहने से डर रही है। जिन्दगी ©saloni toke alfazon ki khumari त्त #BatBall
Ek villain
अनेक कारणों से मंत्रण का मसला फिर से चर्चा में है वैसे ही संदर्भ से यह बात समझना होगा कि भंडारण दो परिवारों के बीच का मामला नहीं है बल्कि इसे गंभीरता से लेते हुए सोचना चाहिए कि इसका परिणाम क्या हो सकता है समाज और देश के किसी दिशा में ले जाएगा दरअसल देश में कुछ समूह संगठन मंत्रण जैसे समाज विरोधी काम बिना रोक-टोक के करने के लिए लगे हुए हैं इन संगठनों के निशाने पर आमतौर पर गरीब अशिक्षित और विशेषकर दलित आदिवासी लोग होते हैं उल्लेखनीय है कि धर्म समाज व्यवस्था तो अभिन्न अंग है वह व्यक्ति की मानसिकता को काफी हद तक प्रभावित करता है प्रत्येक धर्म को अपनी मान्यता विश्वास और आस्था को प्रकट करने के लिए माध्यम होते हैं लेकिन जब किया जाता है तो निश्चय ही समाज के देश के लिए बड़ी चुनौती साबित होते हैं पिछले दिनों में आत्महत्या करने वाले छात्रों को न्याय दिलाने की मांग करते हुए सैकड़ों छात्रों ने तमिलनाडु सरकार ईसाई मिशनरियों के खिलाफ प्रदर्शन के छात्रों के आरोप लगाया कि लावण्या पर जबरन निमंत्रण के दबाव बनाया गया था जिस कारण आत्महत्या करने पर मजबूर हुई है कहना गलत नहीं होगा कि मंत्रण एक देशव्यापी समस्या जिस पर एक किससे संख्या केंद्रीय बनाए जाने की आवश्यकता है क्योंकि स्वतंत्र भारत का इतिहास हमें यह पाठ पढ़ाता है कि देश में दो बार बड़े पैमाने पर लोगों का पलायन हुआ है पहली बार 1990 में इस्लामी कट्टरपंथी के चलते जम्मू कश्मीर के लिए बड़े लाखों में हिंदू को भागना पड़ा और ©Ek villain #परिवर्तन पर बने शब्द केंद्रीय कानून #selflove
kuldeep singh
पकौड़ी से बने बप्पा ©kuldeep singh पकौड़ी से बने बप्पा
Roshni keshari
प्रेम करो तो ऐसा करो जैसे राधा के संग कृष्ण (संबंध) बनाओ ऐसा बनाओ। जैसे रुक्मण के संग कृष्ण प्रेम से बने संबंध।
Mukesh Poonia
शब्द से खुशी, शब्द से गम शब्द से पीड़ा, शब्द ही महरम...!! . ©Mukesh Poonia #KhulaAasman #शब्द से #खुशी, शब्द से #गम शब्द से #पीड़ा, शब्द ही #महरम...!!
Hasanand Chhatwani
*शब्द से खुशी, शब्द से गम* *शब्द से पीड़ा, शब्द ही मरहम* *शब्द से खुशी, शब्द से गम* *शब्द से पीड़ा, शब्द ही मरहम* #paper
Shivam sid jmp.
तुम्हारे जुर्म देखकर अब धरती भी रो पड़ी। इंसान सब मर चुके , सिर्फ बाते बची है बड़ी बड़ी। अपनी खुशी के लिए वो पेर को है काटते । पेर है तो जीवन है ,शायद ये नही वो जानते। प्लास्टिक फेक समुन्द्र में वो जलीय जीवन को मारते। शायद लोग दानव हो गए , जो पहले इंसान थे। भविष्य के पीढी का सोचकर ,ऐ लोग ज़रा थम जाओ। धरती की मान रखकर , फिर से इंसान बन जाओ।। आओ फिर से इंसान बने