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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} है वासुदेव, हैं राधिका महारानी, है किशोरी जू, संसार में रह कर संसार को पाने के लिए, बहुत रोया फिर भी खाली हाथ, अब ऐसी कृपा करो, आपके लिए, आपके प्रेम में, लग जॉऊ, ताकि आपको ही चाहूं, और आपको ही पाऊ।। जय श्री राधे कृष्ण जी ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} है वासुदेव, हैं राधिका महारानी, है किशोरी जू, संसार में रह कर संसार को पाने के लिए, बहुत रोया फिर भी खाली हा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
Dhanraj Gamare
cjcjffjfjfjfjfjpfjfjfkgkfgfkfkfk ©Dhanraj Gamare जागतिक महिला दिनाच्या निमित्ताने गझल काव्य संध्या व बुककट्टा टीम ( पिंपरी चिंचवड) यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित दुसरे कवी संमेलन २०२४
N S Yadav GoldMine
Village Life {Bolo Ji Radhey Radhey} हमेशा और निरन्तर श्री राधिका महारानी का सुमिरन करो, यह मानव देह कब छीन जाए, पल या कल का कुछ भी भरोसा नहीं है।। ©N S Yadav GoldMine #villagelife {Bolo Ji Radhey Radhey} हमेशा और निरन्तर श्री राधिका महारानी का सुमिरन करो, यह मानव देह कब छीन जाए, पल या कल का कुछ भी भरोस
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी । समझोगे कब आप , सताते क्यों बनवारी ।। सुन गोपी आवाज , दौड़ तट यमुना आते । रखो प्रीति की लाज , पुकारूँ तुम आ जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :- जाते देखो माघ के , आता फागुन झूम । रंग लगाती राधिका , कान्हा माथा चूम ।। कान्हा माथा चूम , कहें ये प्रीत हमारी ।
Aacky Verma
मै कृष्णा की राधिका कृष्ण मेरे प्ररनहार् ऐसे जाऊ बलिहारी उनकी बस वो ही है मेरे करतार insta: @aackyshayari www.aackyshayari.in ©Aacky Verma मै कृष्णा की राधिका कृष्ण मेरे प्ररनहार् ऐसे जाऊ बलिहारी उनकी बस वो ही है मेरे करतार insta: @aackyshayari www.aackyshayari.in
Vaibhav's Poetry
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अंहिसा छन्द :- राम जानकी बोलो । श्याम राधिका बोलो ।। कष्ट दूर हो सारे । प्रेम के मिले धारे ।। प्रेम बासुरी बोले । रास वो नये घोले ।। आपने किए वादे । वे रहे सदा सादे ।। आप मातु के प्यारे । नाथ नैन के तारे ।। शीश वे झुकाते हैं पास जो न पाते हैं ।। ०५/१०/२०२३ - -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अंहिसा छन्द :- राम जानकी बोलो । श्याम राधिका बोलो ।। कष्ट दूर हो सारे ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दीप बुझते हुए सब जलाने चले । बेवफ़ा को गले से लगाने चले ।।१ संग कितना रही राधिका कृष्ण के । छोड़कर राधिका देख जाने लगे ।।२ बात करते सभी हैं वफ़ा की मगर । आज कितने वफ़ा को निभाने चले ।।३ प्रेम इंसान से हो रहा दूर क्यों । स्वार्थ जो सब दिलों में बसाने लगे ।।४ प्रेम की इक अलग देख भाषा रही । अब वही जानवर सब सिखाने लगे ।।५ भूल जाना उसे तो न आसान था । याद आये नही खत जलाने लगे ।।६ आज होकर ज़ुदा जी रहा हूँ तो बस । आस तुझसे मिलन की लगाने लगे ।।७ देखता आज रिश्तों की दहलीज हूँ । लोग रिश्ते सभी आजमाने लगे ।।८ आ गया तू प्रखर पापियों के नगर । पाप कर लोग गंगा नहाने लगे ।।९ २३/०९/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दीप बुझते हुए सब जलाने चले । बेवफ़ा को गले से लगाने चले ।।१ संग कितना रही राधिका कृष्ण के । छोड़कर राधिका देख जाने लगे ।।२