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mast malang
(कङवा सच) ये चेहरे जो गरीबी की मजबूरी में हंसते हैं, दो वक़्त की रोटी के लिए भी तरसते हैं,, हाथ तो है कमाने को मगर सही रोजगार नहीं, बेरोजगारी के जहरीले सांप आठों पहर डसते हैं,, आकाश छूती मूर्तियों को देश की उन्नति बताने वाले, बेवकूफी के फूलों से सजाये शियासती गुलदसते हैं,, #कङवा_सच ये चेहरे जो गरीबी की मजबूरी में हंसते हैं, दो वक़्त की रोटी के लिए भी तरसते हैं,, हाथ तो है कमाने को मगर सही रोजगार नहीं, बेरो
#कङवा_सच ये चेहरे जो गरीबी की मजबूरी में हंसते हैं, दो वक़्त की रोटी के लिए भी तरसते हैं,, हाथ तो है कमाने को मगर सही रोजगार नहीं, बेरो
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#Aadi_Ganesh गणेश चतुर्थी पर समुंदर में व नदियों में हजारो मूर्तियों को बहाया जाता है जिससे एक तरफ जहां पानी प्रदूषित होकर अनगिनत जीव मरते
#Aadi_Ganesh गणेश चतुर्थी पर समुंदर में व नदियों में हजारो मूर्तियों को बहाया जाता है जिससे एक तरफ जहां पानी प्रदूषित होकर अनगिनत जीव मरते #GaneshChaturthi #nojotophoto #ganesha #supremegod #satlokashramnewschannel
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भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :- {Bolo Ji Radhey Radhey} 💠 आपके भी मन में यह प्रश्न आया होगा कि आखिर भगवान जगन्नाथ की आँखें इतनी बड़ी व गोल क्यों हैं साथ ही उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की आँखें भी अत्यधिक बड़ी क्यों हैं। हमनें आज तक जितने भी मंदिर देखे है तथा भगवान की मूर्तियों को देखा हैं सभी में उन्हें मानव शरीर या उनके लिए गए अवतार के अनुसार दिखाया गया हैं लेकिन भगवान जगन्नाथ की ऐसी विचित्र आँखें होने के पीछे क्या रहस्य हैं जबकि वे तो भगवान कृष्ण का ही रूप थे जिनकी आँखें एक दम सामान्य थी। विश्वकर्मा जी के द्वारा मूर्तियों का निर्माण :- 💠 दरअसल इसके बारे में कोई प्रमाणिक तथ्य तो नही हैं क्योंकि इसे राजा इन्द्रद्युम्न के आदेश पर महान शिल्पकार विश्वकर्मा जी ने एक बंद कमरे में बनाया था तथा इसे कैसे बनाया गया, क्यों इस प्रकार बनाया गया इसके बारे में कुछ भी लिखित या मौखिक प्रमाण नही मिलता हैं। विश्वकर्मा जी की शर्त थी कि वे एक बंद कमरे में इन मूर्तियों का निर्माण करेंगे तथा इस बीच कोई भी कमरे में ना आने पाए लेकिन जब राजा इंद्रद्युम्न किसी अनहोनी की आशंका के चलते बीच में ही द्वार खोलकर अंदर चले गए तो उन्होंने देखा कि विश्वकर्मा जी वहां से विलुप्त हो चुके थे तथा आधी अधूरी मूर्तियाँ छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान जगन्नाथ ने राजा के स्वप्न में आकर उन्हें आदेश दिया था कि वे इन्हीं मूर्तियों को मंदिर में स्थापित करे। तब से लेकर आज तक हम उन्हीं मूर्तियों की पूजा करते है। बलराम की माँ रोहिणी की कथा :- 💠 फिर भी इसके पीछे एक रोचक कथा जुड़ी हुई हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताएँगे। यह बात तब की है जब भगवान श्रीकृष्ण द्वारका में रहने लगे थे तब एक दिन उनसे मिलने वृंदावन निवासी, नंद बाबा, यशोदा माता व रोहिणी माता आई थी। द्वारका व वृंदावनवासियों में यही अंतर था कि द्वारकावासी उन्हें अपना ईश्वर तथा राजा मानते थे जबकि वृंदावनवासी उन्हें अपना प्रेमी मानते थे। 💠 एक दिन रोहिणी माता द्वारका वासियों को भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा वृंदावन में की गयी रासलीला, प्रेम प्रसंग इत्यादि की कथा सुना रही थी। चूँकि सुभद्रा भगवान कृष्ण की बहन थी तथा उनके सामने यह बात करना उचित नही था इसलिये माता रोहिणी ने उन्हें द्वार पर जाकर खड़े रहने को कहा। सब वृंदावनवासी तथा द्वारकावासी भगवान कृष्ण की भक्ति तथा उनकी कथाओं में डूबे हुए थे तथा उनकी बहन अकेली द्वार पर उदास खड़ी थी यह देखकर उनके दोनों बड़े भाई बलराम व कृष्ण भी उनके दाएं व बाएं आकर खड़े हो गए। 💠 भगवान कृष्ण के बचपन की कथाएं इतनी ज्यादा मनमोहक तथा मन को आश्चर्यचकित कर देने वाली थी कि सभी द्वारकावासी उनके प्रेम में डूब गए। द्वार पर खड़े तीनों भाई बहन भी इसे छुपके से सुन रहे थे तथा वे इसे सुनकर इतना ज्यादा स्तब्ध रह गए थे कि तीनों की आँखें पूरी खुल गयी थी। आश्चर्य में उनकी आँखें पूरी खुली हुई थी तथा मुहं बड़ा हो गया था। 💠 कहते हैं कि उसी समय स्वयं नारद मुनि भी धरती पर आ गए थे तथा तीनों भाई बहन को इस तरह साथ देखकर व इस रूप में देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी कि उनके इस रोचक रूप के दर्शन करने का सौभाग्य उनके भक्तों को भी मिलता रहे। इसी कारण इस कथा को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र तथा सुभद्रा के रूप से जोड़ा जाता है। ©N S Yadav GoldMine #snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :-
#snowfall भगवान जगन्नाथ की बड़ी-बड़ी व गोल आँखें क्यों हैं इसलिये आज इसके पीछे जुड़ी कथा तथा रहस्य को जानेंगे !! 🌸🌸 भगवान जगन्नाथ की आँखें :- #पौराणिककथा
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मिट्टी सूखा हो या कच्चा क्या फ़र्क पड़ता है निरंतर पानी और सूरज के किरणों से हर पौधा खिल उठता है ख़ुशी ख़ुशी से..... #lalithasai #myworld देने वाला भगवान है विश्वास करो.. इस काल चक्र पर... जय जय पांडुरंग हरी... 🙏
#lalithasai #myworld देने वाला भगवान है विश्वास करो.. इस काल चक्र पर... जय जय पांडुरंग हरी... 🙏
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KP TAILOR HD video recording HD ©KP TAILOR HD बता दें ये ग्रहण अमावस्या तिथि को पड़ रहा है, जिस कारण इसका अलग महत्व माना जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण हो या सूर्य दोन
बता दें ये ग्रहण अमावस्या तिथि को पड़ रहा है, जिस कारण इसका अलग महत्व माना जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र ग्रहण हो या सूर्य दोन #Quotes
read moreNitish Sagar
सामा चकेवा मिथिलांचल का एक पर्व Read in caption सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह
सामा चकेवा मिथिलांचल क्षेत्र में प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को दर्शाता है। जिस तरह रक्षाबंधन, भाईदूज भाई-बह #Brother #story #Festival #nojotohindi #kalakaksh #Sisters #sama_chakeva
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कुम्हार ने मूर्तियों का गांव तो बसा दीया पर सासें डालनी भूल गया #Life_experience #suspense
read moreanshu writes
#कहते है मूर्तियों मैं जान नही होती,,, कहना बहुत कुछ है इन्हें,, पर ज़ुबान नही होती ।।
#कहते है मूर्तियों मैं जान नही होती,,, कहना बहुत कुछ है इन्हें,, पर ज़ुबान नही होती ।। #nojotophoto
read morePoet Master
"जय जवान, जय किसान", पर दोनो के हालात छुपे नहीं हैं, अरबों फूंके मूर्तियों पर, और इनके लिए रुपये नहीं हैं, "#जय #जवान, जय #किसान", पर दोनो के #हालात छुपे नहीं हैं, अरबों फूंके #मूर्तियों पर, और इनके लिए #रुपये नहीं हैं, #poetmaster #nojoto #नोजोट
"#जय #जवान, जय #किसान", पर दोनो के #हालात छुपे नहीं हैं, अरबों फूंके #मूर्तियों पर, और इनके लिए #रुपये नहीं हैं, #poetmaster nojoto नोजोट #कविता #नोजोटो
read moreपरवाज़ हाज़िर ........
" " Don't know how they make space for stone idols in their house, those people who have no place for their parents in their house. " " ©G0V!ND DHAkAD #PARENTS न जाने कैसे अपने घर में पत्थर की मूर्तियों के लिए जगह बना लेते हैं, वो लोग जिनके घर में माता-पिता के लिए जगह नहीं होती।