Find the Latest Status about कते from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कते.
Motivation Media
_Ram_Laxman_
देख ना संगी जाड़ के दिन आय हे । चंहूओर कोहरा अब्बड़ छाय हे । अऊ घाम तापबो कथन त संगवारी, ये सूरज हा घलो कते डहर लुकाए हे । ©_judwaa_writes_ देख ना संगी जाड़ के दिन आय हे । चंहूओर कोहरा अब्बड़ छाय हे । अऊ घाम तापबो कथन त संगवारी, ये सूरज हा घलो कते डहर लुकाए हे ।
सिंह
Ang 477 ਛਾਡਿ ਕਤੇਬ ਰਾਮੁ ਭਜੁ ਬਉਰੇ ਜੁਲਮ ਕਰਤ ਹੈ ਭਾਰੀ ॥ छाडि कतेब रामु भजु बउरे जुलम करत है भारी ॥ Cẖẖād kaṯeb rām bẖaj ba▫ure julam karaṯ hai bẖārī. Give up your holy books, and remember the Lord, you fool, and stop oppressing others so badly. ਆਪਣੀਆਂ ਕਿਤਾਬਾਂ ਨੂੰ ਤਿਆਗ ਦੇ ਅਤੇ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਸਿਮਰਨ ਕਰ, ਹੇ ਮੂਰਖ! ਤੂੰ ਪਰਮ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਕਮਾਉਂਦਾ ਹੈਂ। ਬਉਰੇ = ਹੇ ਕਮਲੇ!ਮਜ਼ਹਬੀ ਕਿਤਾਬਾਂ ਦੀਆਂ ਬਹਿਸਾਂ ਛੱਡ ਕੇ ਪਰਮਾਤਮਾ ਦਾ ਭਜਨ ਕਰ, (ਬੰਦਗੀ ਛੱਡ ਕੇ, ਤੇ ਬਹਿਸਾਂ ਵਿਚ ਪੈ ਕੇ) ਤੂੰ ਆਪਣੇ ਆਪ ਉੱਤੇ ਬੜਾ ਜ਼ੁਲਮ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈਂ। @dastar_sira_sardar_sira Ang 477 Pankti: 21601 ਛਾਡਿ ਕਤੇਬ ਰਾਮੁ ਭਜੁ ਬਉਰੇ ਜੁਲਮ ਕਰਤ ਹੈ ਭਾਰੀ ॥ छाडि कतेब रामु भजु बउरे जुलम करत है भारी ॥ Cẖẖād kaṯeb rām bẖaj ba▫ure
राघव_रमण (R.J)..
समाज आ ओकर मानसिकता नहि जानि कतेक आओर नीचा खसत बांटि देने अछि लोक के लोक सं आ नमारि देने अछि दू टा संबंधक' डोरी एकटा गाम मे रहितहुं गाम सं बाहर छथि आ दोसर शहर आबो हवा मे डूमल बनि गेल छथि गामक मठाधीश ज सोचब त किछु नहि भेटत मुदा किछ ताकय लेल सचेष्ट भेनाय आवश्यक आखिर की कारण ई गहीरगर खादि केर अस्पष्ट रहितहुं सब किछु दृश्य अछि मात्र कारण अछि धन आ ओकर प्रभाव फूलचन काका गाम त्यजला मुदा तखनो प्रभावी छथि गाम मे अपन धन बल सं मुदा गामक सब सामाजिक सरोकार मे आगां रहय वला सोनमा काका अपन धनलुप्ताक कारण उपेक्षित रहला बंटि रहल सामाजिकता आ ओकर रूप आ बिका रहल मोल मानविक चेष्टा के...... ©राघव रमण (R.J.) समाज आ ओकर मानसिकता नहि जानि कतेक आओर नीचा खसत बांटि देने अछि लोक के लोक सं आ नमारि देने अछि दू टा संबंधक' डोरी एकटा गाम मे रहितहुं गाम सं
Guru dayal Yadav
ग़ज़ल/ " कोना कहबै " ~~~~~~~~~ लोक'क शब्द चोरी क'के गीत बनेलौ ओ गीत कोना कहबै जे मानवता के दुश्मन छथि तिनका हम मित कोना कहबै ~~~~~~ जग में बैरी सघा भाई, पड़ोसीयाक बात किया मिठ ल'गै जगमें चोर'क बोलबाला छथि, सुपत्तकें तित कोना कहबै ~~~~~~~~ अनाचार बढ़ल किछ ढिठ पनामे सांच भेलय अंधविश्वास ने जेठकें मान ने छोटके आदर कहु ई रीत कोना कहबै ~~~~~~~ विद्यार्जन में कमी भ' सकैय' मुदा विद्याके कोनो सीमा नहि बिना लगाव आ बिना आत्म समर्पण के प्रीत कोना कहबै ~~~~~~~ धर्म छोड़लौं, दोसर'क खातिर सत्य कहैमें शर्म ल'गैय' मातृभूमि पर अत्याचार देखक' बहैत नोरके शीत कोना कहबै ~~~~~~~~ आंहरो लोक'क सहारा जग मे एकटा लाठी होइत अछि दोसर'क घरके इंटाक देवाल अपना घरके भित कोना कहबै ~~~~~~~~~~ मानलौं कतेको लोक इमान बेचलथि बिदेशी मुद्रामे तौलक' दुनियां किछो कहौ मुदा गामक दृष्टिमे पतित कोना कहबै ~~~~~~ईति~~~~ शब्द रचना :- गुरु दयाल यदुवंशी। मैथिली गजल / कोना कहबै (मैथिली कवि) ग़ज़ल/ " कोना कहबै " ~~~~~~~~~ लोक'क शब्द चोरी क'के गीत बनेलौ ओ गीत कोना कहबै जे मानवता के दुश्मन छथि त
Ranjan Kashyap
हम एगो मैथिल छी हमरा स मैथिली में एक टा कहानी के लिखवाक अपेक्षा सब गोटे के हेतैन त हम आई मैथिली में लिख रहल छी। कृपया अनुशीर्षक में देखब। 104. आई दस साल बाद अप्पन गाम आबि रहल छी। मोन में अथाह प्रश्न अइछ अप्पन गाम के लऽ कऽ। आब गाम कतेक बदलि गेल हेतैक आओर कतेक रास नव लोक सब देखवा
Dakshina Devi Gajurel
एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे। तर........! यतिसारौ पारेन दुखेको वेदनाले किनकि तिमि थिएउँनित आमा वीरको वारेमा छरेको तोरि पहिलात मैले टिपेर ल्याएको अनि किटको कराइमा तिमिले गदगद पकाएको स्वाद अझै आलोनै छ आमा वीरेलेेे पिसाएर ल्याएको त्यही तोरीको तेलले चपचिल्लेइ मालिस गरि दिएकी थिएँउ जिउभरि अंगेनाको छेउमा बसेर तिम्रा न्यानो हातले। कतै केहि लागेको पो हो कि ? आतिदै कति धाएउ धामि र जोखाना अचम्म लाग्द थियो तिम्रो माया देखि घर धन्दा सवेइ सकि इष्ट मित्र सवेइलाइ राखि कसरि गरदथिए्उ आमा एकछिन पनि न थाकि शुकवारे गइ रकति र भूडि हपतेइ खुवाउथैउ परपरि भूटि पईसा त आमा निकै नि पाउथेउ जागिर आखिर तिमि पनि गरथेउ सुन लाउने रहर कहिलेइ पोखिन्उ जै गर्ने मन छ गरदेइ जाउ छौरि संस्कार अर्ति कतिधेरै गरि सुटुक्क आफू किन गएउँ एसरि कर्तव्य मेरो गर्नुपर्ने थियो छाति तिम्रो दुखत सुमसुम्याउने अधिकार खौत दिएउ? एक्लै कतेइ नजाने तिमी त्यो घरलाई छोडी कसरि गएउ.!!! देब्रे पाटो दुख्यो, आसुँने झरो सम्झना तिम्रो कति धेरै आयो निदाउन खोज्दा छटपट भयो तस्विर आमा तिम्रोने आयो एकान्तमा सिरानी भिज्यो तोरीको तेलत आजपनि आयो काखको तातो हातको। न्यानो कता विलायो याद जब आउछ तस्वीर तिम्रो छाउँछ मुगुको रोग भित्र पालेर कसरि हासेर आमा, कसरि बसेउ? कहिल्यै केहिनभएझै निरोगी वनेर बिहानीपख दाहिने छाति दुःखत बाडुली मलाइ लागेन खोइ किन आमा? आमा कि आमा मपनि हुन्थे दुखको छाति मायाले चुम्थे के भन्ने थिए एकैपल्ट सुन्थे तोरि होइन तिलतेल लगाई मालिस म गर्थे मुखले तिमी लाई म स्वास दिनथै काललाई सायद विन्तनै गरथै एउटा मौका उसंग माग्थे आमा लाई अहिले नलौइजा भन्थे आखिर इच्छा जाहिर गर्दै, सायद तिमिलाई मईले फर्काएर ल्याउँथे दुखको पाटोमा तिम्रो स्पर्श पाउँथे सूपचौसुर हालि पकाएको पुबा तिम्रो हातले म आज खान्थे टाउको तिम्रो काखमा राखि ढुक्कले म कति निधाँउथे चोरि अम्लो समाति जाँ गएपनि संगेइ जान्थे, अरूले आरिस गर्ने गरि मैले माया कतिधेरै पाउथे एउटा मौका उ संग माग्थे । 2 दक्षिणा देवी गजुरेल, ठेलामारा । तेजपुर (असम) ====================== एउटा मौका उ संग माग्थे ================ आज धेरै दिन भयो आमा, देब्रे पाटो दुखेको काहाकता दुखछ बेसरी - थाहा छइन पोहोरसालपनि एस्तो भएको थियोे।
Rupam Jha
कतय हेरायल ढेंगा-पानी आ कतय चोरा-नुकी क खेल, कतय गेल ओ धप्पा-धुप्पी आ कतय हेरायल पोसम्पा क रेल, कबड्डीयो नै खेलै आब बच्चा,इ कोन कलजुग भेल, फोने म खेल ताकी लेलक ,छूटल नेना-भुटका क सँझुका मेल, कतय चली गेल माटिक चूल्हा परहक भोजन-भात, ओय भोज्य क वर्णन की करब,अहा!गजबे होय छल स्वाद, चिनबारक चूल्हा-चेकी बिला गेल,भेल गैस-सिलिंडरक साथ, विलुप्त भ गेल सबटा संस्कृति,उफ! कतेक नमहर छैक आधुनिकताक हाथ, डहि गेल सबटा खर क घर,बदैल गेल देहातक हालात, बड़का-बड़का इमारत बनि गेल,बढ़ि गेल सबहक आब बिसात, नै जैत अइछ आब कियो कलम-गाछी,नै रहल ओ पहुलका बात, बूढ़-पुराण सँ लय बच्चा-बुदरुक सब अपने मँ मग्न रहै छैथ,केने रहै छैथ सब क कात, कोनाक नेनाक हड्डी मजगूत हेतै,जँ नै वो अपन मैट पर लोड़ीयैत, नून-रोटी क जगह पिज़्ज़ा-बर्गर ल लेलकै,स्वास्थ्य पर होयत अछि वज्रनिपात, कंसारक चूड़ा-मुरही निपत्ता भेल,फास्ट-फूड लगौने अछि सब पर घात, खेती-पातीं चौपट भ गेल,बदैल गेल सबटा हालात, शहर बनेता गांव क सब मिल,नै जानी की छैन ग्रामीणक जज्बात, शहर बनबैक सपना त नहिये पुरतैन,धोता गाम सँ सेहो हाथ!! गामक वर्णन की करब गाम त होइते अछि अमूल्य(ओना प्रयास केने छी अयि स पहुलका पोस्ट म गांव क वर्णित करै क)मुदा आब बहुत तेजी सँ बहुत किछु बदैल रहल