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sb_officer_profile_2929

कामधेनु सेना #समाज

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Praveen Jain "पल्लव"

कामधेनु समझती हमको #Dhanteras

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पल्लव की डायरी
जानवरो जैसी जिंदगी हाकती
कानूनो की घण्टी बांधती है
दाना पानी की जुगाड़ ना करती
जनता को अपने खूंटो से बांधती है
चाबुक चलाती बन्धनों का
अधमरा कर जाती है
कामधेनु समझती हमको
दूध समझ हमको पूरा निचोड़ जाती है
                प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" कामधेनु समझती हमको

#Dhanteras

G.R.GEHLOT

कामधेनु सेना आनंदपुर कालू #समाज

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Rakesh Saini

कामधेनु सेना ने बीमार/पीड़ित गौमाता कि बचाई जान #न्यूज़

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N S Yadav GoldMine

#lonely {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार क #प्रेरक

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{Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार की गाय की चर्चा आती है जो सब मनोरथों को पूर्ण करती है, यह स्वर्ग की गाय है जिसे कामधेनु कहते है। मनुष्य संपूर्ण आयु जो वह भोगता है अर्थात आयुरूपी धेनु को दुहता है, इसी प्रकार जीवन भर कर्म करता है अर्थात सर्वकर्मा नामक गाय को दुहता है और परिणाम स्वरूप पुरुषार्थी कहलाता है। इसी प्रकार जीवन भर धारक शकित के रूप में सर्वधाया नामक गाय को दुहता रहता है, मानो अपनी धारक शकित को बढा रहा हो। अतः स्पष्ट है- जीवन भर पुर्ण लगन से प्रयत्न करोगे तभी परम लक्ष्य प्राप्त कर सकोगे अर्थात तीनों प्रकार की कामधेनुओं को भली-भांति दुह सकोगे।

©N S Yadav GoldMine #lonely {Bolo Ji Radhey Radhey}
प्रत्येक मनुष्य के पास तीन प्रकार की कामधेनुएं है- सर्व आयु, सर्व कर्मा व सर्व धाया। पुराणों में एक प्रकार क

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु। सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकज रेनु ।। भावार्थः- कलियुग में राम नाम मनचाहा फल देने वा #yourquote #Ram #yqdidi #yqquotes #yourquotebaba #yourquotedidi #yourfeelings #vs❤❤

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Meri Diary #Vs❤❤
राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु।
सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकज रेनु ।।












भावार्थः-  कलियुग में राम नाम मनचाहा फल देने वाले कल्प-वृक्ष  के समान है , रामभक्ति मुँहमाँगी वस्तु देने वाली कामधेनु है और श्रीसद्गुरु के चरणकमल की रज संसार में सब प्रकार के मंगलों की जड़ है ।।
‼️🏵🙏जय जय प्रभु श्री राम जी🙏🏵‼️ 
✍️Vibhor vashishtha vs— % & Meri Diary #Vs❤❤
राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु।
सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकज रेनु ।।

भावार्थः-  कलियुग में राम नाम मनचाहा फल देने वा

*SARVOTTAM* *CHOUDHARY*

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्। तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥" अर्थात = जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस

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KP EDUCATION HD

गौ माता की आरती : gau mata aarti ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृप #Quotes

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KP TAILOR HD video

©KP TAILOR HD गौ माता की आरती : gau mata aarti

ॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाता

जो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पाता

सुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृप

yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे व्यतिरेक अलंकार. चला तर मग त्याबद्दल लिहुया. व्यतिरेक:- (विशेष स्वरूपाचा अतिरेक) व्यतिरे #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai #व्यतिरेकअलंकार

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आई वडीलांपेक्षा ह्या जगात काहीच श्रेष्ठ नसावे,
पाहिले नाही कधी भगवंतास,
पण वाटे मनास ते असेच असावे. सुप्रभात माझ्या मित्र आणि मैत्रिणीनों
आजचा विषय आहे
व्यतिरेक अलंकार.
चला तर मग त्याबद्दल लिहुया.
व्यतिरेक:- (विशेष स्वरूपाचा अतिरेक) व्यतिरे

Poetry with Avdhesh Kanojia

#हिंदी_दिवस हिंदी को भी रहने दो बोलो कोई भी भाषा तुम और किसी में लिखने दो। बोलचाल व लेखन में तुम हिंदी को भी रहने दो।। #कविता

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हिंदी दिवस  हिंदी को भी रहने दो

बोलो कोई भी भाषा तुम
और किसी में लिखने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।

हिंदी है मातृ भाषा हमारी
यह तो माता समान है।
और भाषाओं के सन्मुख क्यों
इसका करते अपमान हैं?
झूठा सम्मान पाने को देते
अंग्रेज़ी उत्कोच है।
क्यों उससे मस्तक ऊँचा 
क्यों हिंदी से संकोच है?
अंग्रेजी है मेहमान सरिस
मेहमान को वही बस रहने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।

जैसे जैसे उपयोगिता यहाँ
अब हिंदी की घटी है।
वैसे वैसे ही संस्कृति की
पूर्व सुगन्ध हटी है।।
देशी भाषा त्याग के सब
विदेशी लगे अपनाने।
सम्मुख खड़ी कामधेनु तज
गदही लगे दुहाने।।
वह तुमसे कुछ कहना चाहती
उसको भी कुछ कहने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।

त्याग के हीरा टुकड़ा काँच का
रखने का यह कृत्य क्या?
हिंदी के बिन कैसा काव्य
क्या है अर्थ साहित्य का?
जैसे ललाट सुहागिन का
है अपूर्ण बिन बिंदी।
वैसे ही है रचना अपूर्ण है
बिन मृदुभाषा हिंदी।।
बहुत सहा है भेदभाव अब
इसे और न सहने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।

बोलो कोई भी भाषा तुम
और किसी में लिखने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।

✍️अवधेश कनौजिया© #हिंदी_दिवस

हिंदी को भी रहने दो

बोलो कोई भी भाषा तुम
और किसी में लिखने दो।
बोलचाल व लेखन में तुम
हिंदी को भी रहने दो।।
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