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Manojsharma Mahakaal Bhkt Monu

#खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,, मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐 😂😂😂 #शायरी #nojotophoto

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 #खडक सिंह के खड़कने से खड़कती हैं #खिड़कियां,,,,

#मेकअप💄 के नाम पर #आटा_पोतती हैं लड़कियां👸....❗❗😐
 😂😂😂

Vedantika

बहुत बार ऐसा होता है कि हम दुर्घटनाओं से बाल-बाल बचते हैं। किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो जाती है मगर अंततः परिणाम अच्छा निकलता है। अपने जीव

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किस्मत अच्छी थीं
जो तुम मिल गए बिछड़ के

किस्मत अच्छी थीं
धागे जुड़ गए उम्मीद के बहुत बार ऐसा होता है कि हम दुर्घटनाओं से बाल-बाल बचते हैं। किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो जाती है मगर अंततः परिणाम अच्छा निकलता है। 
अपने जीव

Bhuwnesh Joshi

बहुत बार ऐसा होता है कि हम दुर्घटनाओं से बाल-बाल बचते हैं। किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो जाती है मगर अंततः परिणाम अच्छा निकलता है। अपने जीव #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #YourQuoteAndMine #yqhindi #भुवनेश #yostowrimo #क़िस्मतअच्छीथी

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किस्मत अच्छी थी के ठुकरा दिया उन्होंने
वरना कलम से मोहब्बत भी
हमें होती कैसे बहुत बार ऐसा होता है कि हम दुर्घटनाओं से बाल-बाल बचते हैं। किसी काम की शुरुआत ही गड़बड़ हो जाती है मगर अंततः परिणाम अच्छा निकलता है। 
अपने जीव

Sunita D Prasad

#अनुग्रह..... नहीं! अभी अंत नहीं होगा प्रेम और अनुग्रहों का भले ही देवालयों के प्रस्तर से #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से 
टकराकर
लौट ही क्यों न आएँ
अनगिनत प्रार्थनाएँ!
और छिटक कर सृष्टि में 
रूपांतरित हो जाएँ
कभी पुष्पों में
कभी जुगनुओं में 
तो कभी
कवि की कविताओं में।

हे देव!
मेरी कविताएँ भी
तुम्हारी चौखट से 
अनसुनी लौट आईं
वही प्रार्थनाएँ हैं।
आज भी 
तुम्हारे अनुग्रह
की प्रतीक्षा में
बाट जोहती।
.
.
.
स्वीकारो!!
--सुनीता डी प्रसाद💐💐




 #अनुग्रह.....

नहीं!
अभी अंत नहीं होगा
प्रेम और अनुग्रहों का

भले ही
देवालयों के प्रस्तर से

Sunita D Prasad

#लिखना चाहती हूँ...... लिखना चाहती हूँ मरुथलों में हवाओं की खामोश आमद का भेद खोलतीं रेत पर उभर आई लहरों को। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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लिखना चाहती हूँ
मरुथलों में
हवाओं की खामोश आमद का
भेद खोलतीं 
रेत पर उभर आई लहरों को।

लिखना चाहती हूँ
नम घाटियों को
अपना दुख 
बादलों में रूपांतरित कर 
बिसराते हुए।

लिखना चाहती हूँ
पर्वतों को वेधने वाली
पहली बूँद की 
लंबी यात्रा को।

लिखना चाहती हूँ
सुबह में घुलने के लिए 
आतुर रात की 
उनींदी प्रतीक्षाओं को।

पर जानती हूँ बखूबी 
कि लिखने से पहले
इन्हें पढ़ना होगा..।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #लिखना चाहती हूँ......

लिखना चाहती हूँ
मरुथलों में
हवाओं की खामोश आमद का
भेद खोलतीं 
रेत पर उभर आई लहरों को।

Pankaj Neeraj

निडर निर्भीक हो जलने को अपने सीने को तान खड़ा है उसके अंदर उसके ही जैसा लम्बा सा अभिमान खड़ा है एक हाथ में ढाल लिए वो खडक एक में तान खड़ा है उस

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 निडर निर्भीक हो जलने को
अपने सीने को तान खड़ा है
उसके अंदर उसके ही जैसा
लम्बा सा अभिमान खड़ा है
एक हाथ में ढाल लिए वो
खडक एक में तान खड़ा है
उस

kavi Shobharam Patel

Attraction और Love, Attraction सिर्फ एक प्रकार से मन की व्यथा हैं जो आकर्षण पर आकर्षित हैं और Love- love is a beautiful poem in life. प्रेम #coldmornings

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Attraction और Love, Attraction सिर्फ एक प्रकार से मन की व्यथा हैं जो आकर्षण पर आकर्षित हैं और Love- love is a beautiful poem in the life. प्रेम शांति का प्रतीक हैं जो मन की भावनाओं को समेट कर हृदय की गहराई में छांद कर एक नए ऊर्जा को जन्म देती हैं जो हृदय के भाव को एक ऐसी ऊर्जा से रूपांतरित करती हैं जो नव जीवन को आनंद के सुखो से अलौकिक कर देती हैं यही प्रेम की प्रज्ञा हैं"

✍✍लेखक- शोभाराम (राम) पटेल✍✍

©कविShobharam (Ram) Patel Attraction और Love, Attraction सिर्फ एक प्रकार से मन की व्यथा हैं जो आकर्षण पर आकर्षित हैं और Love- love is a beautiful poem in life. प्रेम

Sheela Gahlawat seerat

नज्म शीर्षक:- तुम बिन रीता चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता सपनों को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता #Gulzar #कविता

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नज्म

शीर्षक:- तुम बिन रीता


चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता
सपनों  को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता

नजरों में तुम बसती हो, ये मेरा विश्वास है या   है  भम्र
तुम संग हर लम्हा पाती, फिर भी तुम बिन रीता

फिर लौट चलों उन हंसीन वादियों में जहाँ जीया हर सपना
मोहब्बत की बुनती बुनकर लाती, फिर भी तुम बिन रीता

हर लम्हे में महकी बगियाँ, फूलों की क्यारियाँ हैं सजी
तुम हो तो ये बेला मखमली है, फिर भी तुम बिन रीता

ख्यालों को ख्वाबों में, तुमको ही ढूढती हूँ हर इक सपना
मदहोशी के आलम में आती, फिर भी तुम बिन रीता

पत्तों की खडक में भी लगता है, तुम ही तो....... 
यादों की चादर तान सोती, फिर भी तुम बिन रीता
सीरत

©Sheela Gahlawat seerat नज्म

शीर्षक:- तुम बिन रीता


चुपके- चुपके से तुम आती हो, फिर भी तुम बिन रीता
सपनों  को मनकों में पिरो जाती, फिर भी तुम बिन रीता

अशेष_शून्य

ये मशीनी दुनिया है जिसमें हर क्षण मशीन बने रहने की होड़ लगी है सब भाग रहें हैं मैं फिर दोहराऊंगी बिना ये जाने की भागना जरूरी भी है या #machine #yqhindiquotes #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य

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~©Anjali Rai  ये मशीनी दुनिया है 
जिसमें हर क्षण मशीन बने 
रहने की होड़ लगी है 
सब भाग रहें हैं 
मैं फिर दोहराऊंगी
बिना ये जाने 
की भागना जरूरी भी है 
या

अनुराग चन्द्र मिश्रा

#आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम "दे दी हमें आजादी बिना खडक #Freedom #nojotohindi #hindinama

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आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम
किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं
कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम

"दे दी हमें आजादी बिना खडक बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल"

इन पंक्तियों से आगे कभी कुछ सोच पाए हैं हम
क्या इतनी आसां थी आजादी बिना लहू बहाए मिली हमें
ये छोटी बड़ी सी बात क्यों नहीं समझ आती किसी के
किसी का नाम ले तो कोई छूट जाता है
क्या इक किरदार दूसरे के बिना सब कुछ निभा पाता है ?

"करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ऐ शहीदे-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत, मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है"

ऊपर की पंक्तियां अधूरी ही रह जाती
ग़र नीचे की पंक्तियों की बहार ज़हन में न आती
कोई छोटा बड़ा नहीं यहां हर कोई बराबर का भागीदार है
और इसे कायम रखना ही हमारी पहचान है| #आज़ादी क्या सच में आजाद हैं हम
किसके पीछे चलते हैं किसके पीछे बोलते हैं
कभी अपने कदमों के निशां खोज पाए हैं हम

"दे दी हमें आजादी बिना खडक
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