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अनुपम बाजपेई
मैं उस मिट्टी का बालक हूँ जिसने मुझे सँवारा है रात हो गयी दिन बूढा फिर भी मुझे पनारा है मैं उस मिट्टी का बालक.... यहाँ पवने मिलकर गति लोरी नित व्यथा सुनाती है कोरी यह देशन नही , यह तो आकर्षण का एक पिटारा है मैं उस मिट्टी का बालक.... एकता कर रही अलंकृत इसको नव सोच सृजन करते सिंचन इसको कल और नूतन संस्कृति का चारो ओर भण्डारा है मैं उस मिट्टी का बालक ... यह धरा सहित माता मेरी जिसको छूकर हर इच्छा हो पूरी काल चक्र रहते भी सबसे न्यारा है मैं उस मिट्टी का बालक हूं #मैं और #मेरा #देश #हिंदुस्तान
Guruwanshu
लोकतंत्र का त्यौहार - गणतंत्र दिवस लोकतंत्र के त्यौहार गणतंत्र दिवस पर नभ में तिरंगा लहराया है। कई सैनिको की कुर्बानी के बाद देश मेरा आज़ाद कहलाया है।। सभी स्वंतत्रता सैनानी ने देश की माटी को सर् तिलक लगाया है। भगत आज़ाद, प्रताप शिवाजी ने इसे वीरो की भूमि बनाया है।। भिन्न भिन्न भाषा - भेषभूषा का देश भी अखंड भारत कहलाया है। हिन्दू, मुश्लिम, सिख, ईसाई सभी ने संविधान एक अपनाया है।। 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में बाबासाहब ने लिखित सविंधान बनाया है। 26 जनवरी को लागू कर इस महान देश ने गणतंत्र दिवस मनाया है।। वन्दे मातरम और मेरा देश महान है ये सभी ने एक स्वर में गाया है। लोकतंत्र के इस त्यौहार गणतंत्र दिवस पर नभ में तिरंगा लहराया है।। लोकतंत्र का त्यौहार - गणतंत्र दिवस लोकतंत्र के त्यौहार गणतंत्र दिवस पर तिरंगा नभ में लहराया है। कई सैनिको की कुर्बानी के बाद देश मेरा आज़ाद
MANOJ KUMAR
देश की पहचान किसान और जवान। जय जवान जय किसान। ©MANOJ KUMAR #मेरा देश प्यारा देश#
Dr Meena Negi
मेरे देश की धरती तन मन हरती है भावों से भरती मेरे देश की धरती भव्य हिमालय की शोभा है देश का पहरेदार है वह नीति के वचनों से लिखा जो भागवत गीता का सार है वह रीति रिवाज और परंपरा संस्कृति की रखवाली है भाई चारा बढ़ाती है जो होली और दिवाली है ऋषि मुनियों की तपो भूमि है गंगा की रसधार यहां मोक्ष दायिनी सप्तपुरी है श्री बद्री केदार यहां। ©Dr Meena Negi मेरा देश
Vivek
चिड़ियों की बोली हो या दहाड़ शेर की पुष्प की हो कोमलता या पुकार खेत की सब बनते हैं देह मेरे ही देश की मेरी ही धरती माँ की मेरे संदेश की...!!! ©Vivek # मेरा देश
Er kuldip yadav
कोई रामायण, महाभारत से वक्त काटता है कोई उम्मीदों से भूख के सूखे दरख्त काटता है कारगुज़ारियां करके घरों में बंद हो गए रईस सड़कों पर रातें वो गरीब बदबख़्त काटता है कभी महसूस की नहीं जब तुमने दहशते जिंदगी और कहते हो कि ये मजदूर आफत काटता है अजब दस्तूर है तुम्हारे शहर का हाक़िमो ज़ालिम गर्दन गरीब की हो तो हर कोई मस्त काटता है # मेरा देश