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Prem Narayan Shrivastava
बगैर तेरे दिल को आराम कहां यह न सोचा तुमने ही कभी हर मोड़ पे गम सजा के इंतजार किया सच कहा मैंने हमें आप ज़ख्म और देकर मुस्कुरा के दिल से नाता तोड़ गए और आंसू में बहा दिया गम को ये सच कहा मैंने निगाह तेरी देखकर मिजाज़ परख लिया ख्वाब तेरा चुरा कर अब दिल ही तुझसे लगा लिया यह सच कहा मैंने बेताब दिल मेरा किस मुकाम पे आया ये समझना पड़ेगा तुझे और आबरू इश्क की ही खो बैठे हैं सच कहा मैंने बात दिल की कहनी थी कह दिया हमने जब अरमां तेरा जब पास मेरे आएगा वापस आ जाऊंगा ये सच कहा मैंने 🙏🙏मेरी इक और नई गज़ल बेताब तमन्ना🙏🙏 ©Prem Narayan Shrivastava #राहत
Ram tiwari
कलम की सिफारिश से, वो कुछ ऐसी नब्ज लिख गए, हर दिल को छू जाए ऐसे लफ्ज़ लिख गए , हमेशा ना सही पर हर मुशायरे में आपकी बात होगी , जिसने देखा वो अक्स बताएगा,जो मिला उसकी जुबां पर हर एक बात होगी। -Ram राहत
RK SHUKLA
जंग भरी ज़िन्दगी न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा मैं जानता था कि ज़हरीला सांप बन बन कर तिरा ख़ुलूस मेंरी आस्तीं से निकलेगा इसी गली में वो भूखा फ़क़ीर रहता था तलाश कीजे ख़ज़ाना यहीं से निकलेगा बुज़ुर्ग कहते थे इक वक़्त आएगा जिस दिन जहां पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मों हरे-भरे रहना जुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा राहत इन्दोरी राहत
RK SHUKLA
जंग भरी ज़िन्दगी न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा मैं जानता था कि ज़हरीला सांप बन बन कर तिरा ख़ुलूस मेंरी आस्तीं से निकलेगा इसी गली में वो भूखा फ़क़ीर रहता था तलाश कीजे ख़ज़ाना यहीं से निकलेगा बुज़ुर्ग कहते थे इक वक़्त आएगा जिस दिन जहां पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मों हरे-भरे रहना जुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा राहत इन्दोरी राहत
RK SHUKLA
जंग भरी ज़िन्दगी न हमसफ़र न किसी हमनशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा मैं जानता था कि ज़हरीला सांप बन बन कर तिरा ख़ुलूस मेंरी आस्तीं से निकलेगा इसी गली में वो भूखा फ़क़ीर रहता था तलाश कीजे ख़ज़ाना यहीं से निकलेगा बुज़ुर्ग कहते थे इक वक़्त आएगा जिस दिन जहां पे डूबेगा सूरज वहीं से निकलेगा गुज़िश्ता साल के ज़ख़्मों हरे-भरे रहना जुलूस अब के बरस भी यहीं से निकलेगा राहत इन्दोरी राहत
Mona_Insan_Dear
यूँ मेरे शाने पर सर रखकर सोये वो जैसे जिंदगी की तमाम राहत मिल गई हो✍️ #राहत
Ashish Soni Vishnu
सिर्फ फुरसत में ही याद ना किया करो मुझे , में तन्हा जरूर हु पर फिजूल नही #NojotoQuote #राहत
Arora PR
शायद मेरे भाग्य मे. सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा. लिखा है औऱ ये अंधेरा. मेरी इस विरह क़ी रात. के लिये शायद थोड़ा राहत देने वाला. साबित हो सकता है ©Arora PR राहत
Arora PR
कितनी भी कडाके क़ी ठण्ड पढ़ रही हो तो भी फटेहाल चिद्रित रज़ाई मे ठण्ड से थोड़ी. राहत तो मिल ही जाती है. कितनी ही गहरी प्यास हो पानी क़ी तो भी अपने अधरों पर.. जुबां फेर लेने से तृप्ती के लिए. थोड़ी देर के लिए ही सही राहत तो मिल ही जाती है ©Arora PR राहत
Arora PR
राहत है कहाँ ? दिखाई क्यों नहीं देती मेरी इस थकी हुई जिंदगी को आखिर वो राहत . क्यों मिलती नहीं? कहने को पास है वो मेरे बहुत करीब भी है लेकिन उसकी नजदीकियो की मुझे अनुभूति क्यों होती नहीं? ©Arora PR राहत