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Himanshu Prajapati
वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, वह तो केक में भी नमक डालकर खाती है..! ©Himanshu Prajapati #longdrive वह हर बात में अपने बातों से चमक लाती है, उसकी यही अदा मुझे बहुत भाती है, जब से देखा है उसका अंदाजे कारनामा हम होश गवा बैठे है, व
Anil Ray
एक बार फिर से नया साल आएगा जनवरी-फरवरी___नवंबर-दिसंबर दोहरायेगा.. यें आने वाला वक्त भी नया ही होगा बदनसीब होगा वों वक्त जो हमें न देख पायेगा.. दर्दे-दिल के ज़ख्म हरे के हरे ही रहे दर्द मुद्दतों पुराना कमबख़्त नयी धुन में गायेगा.. नववर्ष की बधाई भी किसको दूं मैं बेवफ़ाई का वक्त मुझको वफ़ा का वक्त लौटायेगा.. हरेक पल नया है वक्त के हाथों में पर वक्त के साथ हमारे हाथों में कुछ न रह पायेगा.. मत हँसो पर नेत्र को आँसू देकर दिल तोड़ने वाला वक्त हथौड़ा से तोड़ा जायेगा.. ©Anil Ray 🌸🪷__तानाशाह__ 🪷🌸 "सर! लोग अपने पदक पर पदक लौटा रहे हैं, एक न्यूज तो बनती है।" "न्यूज तो बनती है, पर यहाँ आजकल ईमानदारी सत्ता की छलनी में छ
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Mili Saha
// जन्मदिन // कहीं तो खो गए हैं आकर हम समझदारी की दुनिया में, न उछल कूद, न हल्ला गुल्ला कहांँ आ गए इस जहांँ में। बचपन में जन्मदिन पर मन कितना उत्साहित रहता था, सप्ताह भर पहले से ही, चंचल तितली सा ये फिरता था। अब तो अनगिनत जिम्मेदारी और भविष्य की चिंता में, अपनी खुशी, अपना जन्मदिन, कहांँ याद रह पाता हमें। सब की खुशियों का ख़्याल रखते-रखते, खुद को भूले, औरों की खुशियों में हमारी खुशियों के अब फूल खिले। कहाँ मतवाले से हो जाते, बचपन में, इस दिन के लिए, अब तो वक़्त ही नहीं मिलता, इस उतावलेपन के लिए। केक काटने और तोहफा पाने की मन में रहती हलचल, स्नेक्स, कोल्ड्रिंक,चॉकलेट्स देख मन जाता था मचल। गुब्बारे फोड़ते,मिठाइयांँ खाते, खेल होते थे मस्ती वाले, कितने खास हम एहसास कराते जन्मदिन बचपन वाले। जितनी भी कर लो मस्ती न रोक टोक न पड़ती थी डांट, सबकी ज़ुबान पर रहता हमारा नाम और हमारी ही बात। मम्मी पापा, दादा दादी दोस्त, रिश्तेदार,देते थे बधाइयांँ, नाना नानी से सुंदर उपहार पा,खिलती मन की कलियांँ। सभी दोस्त होते थे साथ हल्ला गुल्ला मस्ती का माहौल, दोस्तों का कहना "हैप्पी बर्थडे टू यू" लगते थे मीठे बोल। (पूरी कविता अनुशीर्षक में ) ©Mili Saha जन्मदिन कहीं तो खो गए हैं आकर हम समझदारी की दुनिया में, न उछल कूद, न हल्ला गुल्ला कहांँ आ गए इस जहांँ में। बचपन में जन्मदिन पर मन कितना उत
Jeevan Rana
आज इस ईद पर एक अच्छा काम करते हैं, बकरा न काटकर उसे आजाद करते हैं। अगर कुछ काटना ही है चलो उसके नाम एक केक काटते हैं, जानवरो को भी जीने दो इस ईद पर उनके साथ खुशी बांटते हैं। ईद मुबारक ©Jeevan Rana #BakraEid आज इस ईद पर एक अच्छा काम करते हैं, बकरा न काटकर उसे आजाद करते हैं। अगर कुछ काटना ही है चलो उसके नाम एक केक काटते हैं, जानवरो को