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Hasanand Chhatwani
इंसान की हर ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होती, हर अर्ज़ी की किस्मत में मंज़ूरी नहीं होती!!!! इंसान की हर ख्वाहिश कभी पूरी नहीं होती, हर अर्ज़ी की किस्मत में मंज़ूरी नहीं होती!!!!
someone special
जो अब तक बांध रखा था तेरी यादों के चगुल में, तू मुझको उसे एक बार आज़ाद होने की मंज़ूरी ज़रा देदो, जो तुमने खुद को बदला है, मैं अब खुद को बदल लूंगा, मुझे एक बार खुद से खुद को बदलने की मंजूरी ज़रा देदो...! ---(GUSTAKHI MAAF) ©someone special जो अब तक बांध रखा था तेरी यादों के चगुल में, तू मुझको उसे एक बार आज़ाद होने की मंज़ूरी ज़रा देदो, जो तुमने खुद को बदला है, मैं अब खुद को ब
Nisha Bharti Jha
की मौसम की रुख बदली बदली सी लगती है, अब चिड़िया की चहचहाहट पहली जैसी नहीं चहकती है, अब बगानों में पहले जैसी फूल नहीं महकती है| समय का दौर देखो कैसा आया, हर किसी ने खुद की सादगी को ही है गवाया| अब बदलाव ज़रूरी है, और कुछ बदलाव के लिए, इस दिल ने दे दी मंज़ूरी भी है | ❤ Bonjour Stitchers 🙋🏻 Our Beautiful Fabric #QShindi95 is out! 🤩
VATSA
चीख़ कर सुनाई, वो बात अलविदा जाग कर बिताई, वो रात अलविदा अलविदा मगरूरियत, ज़माने की अल्विदा फ़ेहरिस्त वो, बहाने की फिर ना मिले वो, मुलाक़ात अलविदा दिल में ना रह पाई, कायनात अविदा अलविदा चोट खाई, दीवारों को अलविदा दुश्मन बने, यारों को भीड़ वाली, वो बारात अलविदा बस शुरू होती, शुरुआत अलविदा अलविदा हाँ में हाँ मिलाने वालों को अलविदा जन्नत दिखाने वालों को नस्ल भेद भाव मेरी जात अलविदा खोखकले सारे वो ख़यालात अलविदा अलविदा सरकार बनी सरकारों को अलविदा लाचार बने बेचारों को “वाह” का खेल ये मार काट अलविदा बस धर्म सिखाते हज़रात अलविदा अलविदा साहब की, जीहज़ूरी को अलविदा हर बात पर, मंज़ूरी को जो दी बिन माँगे, ख़ैरात अलविदा जो झाँकते मेरी औक़ात अलविदा #अलविदा_2019 #वत्स #dsvatsa #illiteratepoet #yqdidi #yqhindi #happynewyear चीख़ कर सुनाई, वो बात अलविदा जाग कर बिताई, वो रात अलविदा अल
Nilesh ( Darde Shayri )
अब मुझे तुम पहले की तरह याद नही रहती.| Full Read In discription 👇👇👇 #NojotoQuote अब मुझे तुम पहले की तरह याद नही रहती| ना ही याद रह गयी हैं मुझे हमारे बीच की कभी ना ख़तम होने वाली बातें| मैं कुछ कुछ भूलने लगा हूँ तुमक
Anamika Nautiyal
वह मूरत है हुस्न की दो राय नहीं कोई इसमें, देख कर ज़मीं पर उसे वो चाँद भी जलता है। महफ़िल में जब कोई चाँद दिखाई पड़ता है, हर शायर उसकी अदा पर शायरी करता है। वह मूरत है हुस्न की दो राय नहीं कोई इसमें, देख कर ज़मीं पर