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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

इक झूठा*बोहतान लगाया है तुमने,सरेआम न सही फोन से फोन को सुनाया है तुमने//१*आरोप करके दो*हमशिरी ने एक हमशीरी का कत्ल,इस मानिंद एक पा #Live #Trending #Like #writersofindia #Shayari #viralvideos #shamawritesBebaak

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Rajkumar Siwachiya

हो किसी गैर की बातों में कभी ना ठहर करेंगे हम सिर्फ तेरे साथ ही शाम सुबह दोपहर करेंगे हम ✨♥️✨💑🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ #love_shayari #Haryana #Haryanvi #bhiwani #rajkumarsiwachiya #oyedesi #Loharu #JhumpaKalan #Jhumpa_Kalan

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White  हो किसी गैर की बातों में
कभी ना ठहर करेंगे हम 
सिर्फ तेरे साथ ही शाम
सुबह दोपहर करेंगे हम

हो तेरे लिए आए इस दुनिया में
साथ तेरे ही जाएंगे उस दुनिया में
हम तुमपे शुरू है तुमपे खत्म हमें 
ना तुमसे ज्यादा कुछ दुनिया में
हम तुमपे शुरू है तुमपे खत्म हमें 
ना तुमसे खास कुछ दुनिया में

✨♥️✨💑🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️

©Rajkumar Siwachiya हो किसी गैर की बातों में
कभी ना ठहर करेंगे हम 
सिर्फ तेरे साथ ही शाम
सुबह दोपहर करेंगे हम
✨♥️✨💑🔭📙🖋️
- Rajkumar Siwachiya ✍️♠️
#love_shayari

Jack Sparrow

#गैर-इनायती

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єηмσηтισηѕ

दौर-ए-गैर Life #Inspiration #कविता

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मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#SAD ना नींद है, ना ख्वाब है, ना कोई अपना.. ना गैर कितने सादे से हो गए हम, एक अपने ही बगैर ! #deeppain #hunarbaaz

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DHIRAJ PRIT

#eidmubarak सच को सच ना कहूं तो क्या कहूं, तेरे शहर को गैर शहर ना कहूं तो क्या कहूं। तुझे जब भी देखता हूं जन्नत की याद आती है अब जन्नत को जन #शायरी

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Ravendra

मानक श्रृंखला का निर्माण जिला निर्वाचन अधिकारी मोनिका रानी के निर्देश पर आयोजित होने वाली मानव श्रृंखला में समाज के सभी वर्गों के स्त्री, #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ । सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।। छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित । #कविता

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Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कुण्डलिया :-
होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ ।
सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।।
छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।
हो खुशियां जब संग , तो जीवन हो प्रफुल्लित ।।
ले लो हाथ गुलाल , आयी बच्चों की टोली ।
भर पिचकारी मार , कहो सब हैप्पी होली ।।

रंगों में ही ढूढ़़ लो , तुम जीवन के रंग ।
आ जायेगा आपको , सुन जीने का ढ़ंग ।।
सुन जीने का ढंग , हमें त्योहार सिखाते ।
होली उनमें एक , मिलन की राह बनाते ।।
आज न कोई गैर , सीख लो तुम बेढंगो ।
सबको साथी मान , आज तुम जी भर रंगो ।।

फीके सारे रंग हैं , इस होली के ग्वाल ।
दूर बहुत साजन बसे , कैसे करूँ धमाल ।।
कैसे करूँ धमाल , प्रीति बिन फीकी होली ।
होते साजन पास , करते हंसी ठिठोली ।।
सर्दी से बेहाल , मारता लल्ला छीके ।
बैठी रहूँ उदास , रंग होली के फीके ।।
२२/०३/२०२४     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया :-


होली पावन पर्व है , रहिये हिलमिल साथ ।

सब आ जाओ पास में , छूट न जाये हाथ ।।

छूट न जाये हाथ , रहो सब इसमें चिंतित ।

Prerna Singh

कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र दुसरे से दुरी #माँ #कविता #गैर #मसीहा #दोजख #हितैषी #सफेदपोश

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कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , 
फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं 

करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र 
दुसरे से  दुरी बनाने के लिए रिश्ता अपवित्र कह देते हैं ...

कर देते हैं जीवन तहसनहस और एहसान भी जताते हैं। 
सामिल होते हैं इन सब सफेदपोश फायदा बेहिसाब उठाते हैं

कर देना बच्चे को माँ के गोद से दुर कह कर 
अब स्तनपान की उसे जरूरत नही

और गैर को हितैषी बता कर सौंप देना हक समझकर
जैसे वो कोई वस्तु हो वस्तु बता कर

जिंदगी को दोजख बनवाने वाले ही चारो तरफ
बन कर बैठे है मसीहा बन कर...

©Prerna Singh कुंठित इंसान कि फितरत के भी क्या कहने , 
फायदा उठाने के लिए जोंक बन खून चुस लेते हैं 

करीब रहने के लिए एक से रिश्ता पवित्र 
दुसरे से  दुरी

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुश्किलों में बड़ी पले हम हैं । आज भी होंठ ये सिले हम हैं ।। अपनी तकदीर से गिले कम हैं । क्योंकि पहले नहीं मिले हम हैं ।। #शायरी

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मुश्किलों में बड़ी पले हम हैं ।
आज भी होंठ ये सिले हम हैं ।।

अपनी तकदीर से गिले कम हैं ।
क्योंकि पहले नहीं मिले हम हैं ।।

माँगने से कहाँ मिली रोटी ।
उसकी खातिर देखो चले हम हैं ।।

इतनी आसान थी नहीं मंज़िल ।
देख लो ऐड़ियाँ मले हम हैं

तुम क्या जानो कशिश मुहब्बत की ।
चाँदनी रात में मिलें हम हैं ।।

हाथ जब गैर का थामा उसने ।
क्या कहें किस तरह जले हम हैं ।।

पी गये अश्क़ हम ज़फ़ाओ के ।
इतना देखो प्रखर भले हम हैं ।।

०२/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुश्किलों में बड़ी पले हम हैं ।

आज भी होंठ ये सिले हम हैं ।।


अपनी तकदीर से गिले कम हैं ।

क्योंकि पहले नहीं मिले हम हैं ।।
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