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Anamika
गुस्सा.. परिपक्व या अपरिपक्व होने से नहीं आता .. आता है जब आप ऊपर तक लबालब भर जाते हैं ,और बिन गल्ती के भी सहन करते जाते हैं ,या रख लेते है बिन चाहे किसी से उम्मीद.. तब शायद अंदर की अग्नि को शांत होने के लिए चाहिए होती है अंतर्मन के नीर की.. शायद उसको ही कहते होंगे खुद से खुद को ही पर्सनल स्पेस देना .. कुछ यूं ही.. #गुस्सा #यूंहीएकख्याल #यूंही_कभी #पर्सनलस्पेस #तूलिका #परिपक्व #अपरिपक्व
Seema Sharma
यूंही अचानक से तुमसे प्यार नहीं हो गया था मुझे, हर रोज जरा जरा सा चुपके से देखते थे हम तुम्हें... यूंही अचानक.... #स्नेह_के_साथी #loveshayari #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqhindi #yqhindiwriters #यूंही_अचानक
Suruchi Shikha
संग एक कप चाय यूं ही इक सवेरा निहारती आंखें प्रकृति की सुंदरता उङते परिंदे,बहती नदियां गिरता झरना और चहचहाते पंक्षी ढेरों सुकून से हैं ये मन को भर देता ©Suruchi Shikha #यूंहीइकसवेरा
Dr Supreet Singh
बस ऐसे ही मुस्कुराते रहो तुम हमेशां खुशियां लूटते रहो तुम दुआ है रब से हर जन्म में यूं ही अच्छे इंसान होने का फ़र्ज़ निभाते रहो तुम ©Dr Supreet Singh #यूं_ही_मुस्कुराते_रहो
Shaikh Imran
में तो यू ही खाक पर उंगलिया फेर रहा था, जब गौर से देखा तो तेरी तस्वीर बन गई,,,, ©Shaikh Imran #यूं_ही_खाक_पर
Hrishi Vishal 007
यूं चल पड़ा हूँ मैं मंजिल का ठिकाना नहीं रास्ते नजर आते हैं, पर कहाँ जाना है पता नहीं कुछ लम्हें ठहर कर ये दुनिया भी देखी है मैंने विशाल कुछ पुराने मित्र हैं यहां, कुछ नये यार भी जिंदगी की इस सफर मे मां-बाप की डांट भी है, मां-बाप का प्यार भी बचपन की मिठास हैं, शरारत भरी किस्से भी सात साल का जेल कहों या सात साल की जन्नत भी जवानी के कुछ किस्से हैं, हिस्से में घर की जिम्मेदारी भी रिश्तेदारों की ताने भी हैं, पर भाई-बहन का प्यार भी समाज के कुछ सवाल भी है, दोस्तों के पास उनके जवाब भी घर अपना बनाने को, घर से ही हूं मैं दूर भी रास्ते अकेले काट रहा हूँ, साथी की तलाश भी चल पड़ा हूँ मैं मंजिल का ठिकाना नहीं रास्ते नजर आते हैं, पर कहाँ जाना है पता नहीं... ©Hrishi Vishal 007 #यूं_चल_पड़ा_हूँ_मैं_मंजिल_का_ठिकाना_नहीं
Sony Chauhan
#यूं_तो_तुम_हर_वक्त_अजमाते_हो_हमें यूं तो तुम हर पल अजमाते हो मुझे , कभी पर्दे में, तो कभी सामने , न जाने कितने रूप हैं ...तुम्हारे न जाने कितने नाम है... तुम्हारे न जाने कितनो को अजमाया होगा, न जाने कितनों को अजमाते हो तुम , न जाने कितनों को अजमाओगे तुम। ©Sony Chauhan #यूं_तो_तुम_हर_वक्त_अजमाते_हो
Santosh Verma
अपनी अदा _ए_हुस्न को यूं न छुपाया कर, कातिल निगाहों में तो कभी बसाया कर। क्या हम तेरे बेगाने हैं!, नजरें झुका यूं न हमसे शरमाया कर। रेशमी जुल्फों को यूं न लहराया कर, कायल तेरी इक झलक का जमाना सारा, जाम होठों से तो कभी छलकाया कर। झील सी आंखों से अश्क यूं न बहाया कर, मासूम इस दिल को यूं न तड़पाया कर। ऐतराज़ मेरी चाहतों पर यूं न जताया कर, वजह नफरतों की तो कभी बताया कर। अंदाज़ _ए जुबां का सितम यूं न गिराया कर, मुस्कान इन होठों पे तो कभी खिलाया कर।... written by(संतोष वर्मा)आजमगढ़ वाले... खुद की जुबानी... यूं_न_....