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Stories related to शैलेंद्र गुर्जर के रसिया

Shailendra Anand

भक्ति संगीत Extraterrestrial life Kalki कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 31जनवरी 2025
वार शुक्रवार
समय सुबह दस बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ््
्््माघ मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि गुप्त नवरात्रि रुप,,
 मां ब़म्हचारिणी दैवीय शक्ति नमोस्तुते ््
््जीव दया और करुणा मंत्रणा सिद्ध हो प्यारा सा 
जीवन फूलों सा कली में मानव धर्म ही जिंदगी है ््
कंद मूल फल प्राणतत्व पंचतत्व में सूरनाद है,, 
मन की सुन्दरता से अपनी रूह में 
जो जलसरिता के शरीर तरंग  में ,
मेघ बरसते इस पुण्य धरा पर क़ंदन करते।
 बिजली कड़कती मानो किसी अनहोनी का अंदेशा लगता है
अनावृष्टि से मेघ बरसते बादलों से घिरा हुआ,
 धुंध में ध्वनि से धुन मधुर लय  राग में तौडी सूर में 
आरोह अवरोह में बन्दिश सुनाते अपनी लय में
ताल त्रिताल में तबला वादन से सांज सांजिन्दे  बजा रहे
  हम सरस्वती आराधना करने वाले हैं ्
्कवि शैलेंद्र आनंद ्
31 जनवरी 2025,,

©Shailendra Anand  भक्ति संगीत Extraterrestrial life Kalki
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#good_night नये अच्छे विचार अनमोल विचार कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक 15। जनवरी। 2025
वार  बुधवार
समय सुबह दस बजे,
्भाव चित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ््
््महाभारत काल में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग में एक स्वर पुकार नाद ध्वनि मारो मारो का कुरुक्षेत्र में 
कौरवों और पांडवों के सैनिक, नायक, महानता से, युद्ध क्षेत्र में युद्ध कला में निपुण हो वीरगति को प्राप्त हो।।
 गया सैनिक का कोलाहल आज भी कुरुक्षेत्र के वीरान युद्ध क्षेत्र में ऐसी स्थिति घटनाओं से ,
अवगत मार्मिक चित्रण किया गया जहां इच्छा मृत्यु प्राप्त की कर्मस्थली रणक्षेत्र में,
 श्रीकृष्ण और अर्जुन संग भीष्म पितामह के संवाद आज भी गुंजते है्््
 माना कि कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों और यदुवंशी श्रीकृष्ण बलराम और
 बहन देवकी नंदन वसुदेव पुत्र कर्मवीर नमोस्तुते नमस्ते,
 नारायण योगेश्वर श्रीकृष्ण ने भगवत गीता मानव धर्म कर्म की शिक्षा दीक्षा संस्कार शिक्षण देती हैं ।।
यही मकर संक्रांति पर्व में प्रभास क्षेत्र में आज के दिन दान पुण्य और पितृ मोक्ष कारकं दिव्य तर्पण अर्पण समर्पण भाव वंशानुगत देवत्व कलाओं से परिपूर्ण किर्ति फैलाते हुए सम्पूर्ण लोक में भ़मण करते हुए,,
 पूर्ण रूप में समविलीन हो ऐसा कर्म को ही तिल गुड़ और घी चावल और मुंगदाल का खिचड़ी को किया जाता है,,।।
गर्मवस्त्र कम्बल आसन माला चंदन गाठियां से त्रिकाल संध्या वंदन करते हुए ,,
दान पुण्य प्रभासक्षेत्र में ब़म्हकर्मसाक्ष्य श्रीविश्वामित्र वशिष्ठ जी और,
 संत मुनि श्रृषि संन्यासी वानप्रस्थी योगी बाल बम्हचारी से आर्शीवाद लेकर ,
अपना पुण्य अर्जन करना ही जिंदगी है।।
यही देवभूमि उत्तराखंड हो या फिर कर्म भूमि वर्चस्व अयोध्या,
काशी कांची कामकोटि पीठ जगन्नाथपुरी भेट व्दारका गुजरात है।।
कर्म भूमि पर जातक मृतक प्रथमंअमुकंप्रेतस्य पिण्डदानंतीनशौडषी विधानं में,
 ऊं नमो आदित्याय नमः मकर संक्रांति पर्व काल में पिण्डदान पितृ मोक्ष कारकं दिव्य तर्पण विधि समर्पयामि
 पर जातक परिवार में सुख समृद्धि में वृद्धि हो यही सही सनातन विचार सच का मूल आधार है,,
 आप और हम लोग अवश्य ही सुन्दर और सार्थक प्रयास करें जनसेवा ही,
 मानव जीवन में एक जीवंत कलाकृति होती है।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद
15  जनवरी  2025

©Shailendra Anand #good_night  नये अच्छे विचार अनमोल विचार
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#newyearresolutions भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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New Year Resolutions ्भावचित्र ्
        ्निज विचार ्
तुलसा संग ब्याव्ह में,
एक हरि भज भयो।
गज मन मेरो उदास हे,
कै मन करौ उपहास मेरौ।
जगत पिता ने,
झूठौ रचयौ माया जाल।
जण में फासयौ मणक जींवणा,
भणक ना लागी पाप पुण्यौ काकाज,।
 मती हरी गति हरी ,
घट में रहया प्राण कैणा वास्ते,
 रमन करै जींव म्हारो खौटौ।
जग में ढिंढोरा पीटे में,
 होऊं लागै तण मण सारौ,।
जगत में एक नार एक सार,
 सबमें एक घट सा प्राण है।
मणक बावरा पैला इणमै,,
 हैरा फैरा कर दीजै।
फिर बणी जावा गा,,
 कणी भी धरमणा,।।
जात,धरमणा,उरगा,मुरगा,,
 पूरखा कूण गपलाये म्हारे देस में,।
आज भरौसौणी म्हारे ,,
कुण म्हारे मारे काटै बालै दफणावै  ।।
जौं झूठौ रचयौ माया जाल,,
 खैलयौ सब धर्मोंणा णे।
 तथा कथा उपाख्यानों में,,
 णी रैणौ झूठौ ख्यालौ में।।
       ्कवि््शैलेन्द़ आनंद

©Shailendra Anand #newyearresolutions  भक्ति सागर
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

Aaj Ka Panchang भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 26,,12,,2024,
वार गुरुवार
समय सुबह छह बजे

्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््छलक तलक तो आयगी जायगी और अपने विचार सपने बुनते हुए,
जीवन को लेकर चलते फिरते हवाओं के झोके सा अहसास हो,
 जो भी हो अनसुलझे रहस्य, आविष्कार,गणित नई खोज,
ब्रह्मांड में विचरण करने वाले को रुह की गहराईयों से जन्मा विचार ,
सच और रहस्य से पर्दा उठा कर साफ कर देख रहा है्््
््््भावचित्र ्
 पल भर में घड़ी विलक्षण प्रयोग,परीक्षाशाला, में ,
शोध और अनुसंधान एवं प्रशिक्षण सुझाव और प्रतिक्रिया में,
 परिभाषित विकल्प और अपने विचार सोच का दायरा विकसित,
क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित लक्ष से ,
आधार पर जटिल से भी जटिल विषय पर ,
एक निष्कर्ष पर सार्थक विष्लेषण से कई ,,
नव नवोदित विचार का अंकुरण से अपनी रूह में खोकर ,
उस पर कार्य क्षमताओं का स्वरूप खोजना शुरू से अंत तक ,
अपने कर्म और तथ्यों पर आधारित एक सार्थक निर्णय स्वप्रयास से पहुंचना 
और उस पर देश और समाज सभ्यता संस्कृति विश्व की महाशक्ति के,
 समक्ष उपस्थित प्रस्तुत कर एक कदम आगे बढ़ते हुए,
 जीवन से जुड़ी घटनाओं में समर्पण मातृभूमि पर देशभक्ति का दीप प्रज्जवलित कर देख रही है।।
 प्रेम शब्द की शब्दावली में अमर ज्योति प्रकट स्वरूप माना गया है,,
निस्वार्थ सेवा मानव जीवन पर आधारित एक जीवंत प्रयास करें जनसेवा ही मानव धर्म कर्म है ,,।।
हमारे देश का गौरवशाली अतीत और वर्तमान वहआदर्श प्रतिमान है,,
जो धरती पर साकार लोक में सदैव ही अमर शहीद ,
शक्ति पूंज दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है ।।
्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्
26, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  Aaj Ka Panchang भक्ति सागर 
कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#lovelife मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क कवि शैलेंद्र आनंद

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Unsplash रचना दिनांक,13 दिसम्बर 2024
वार शुक्रवार
समय शाम छह बजे
््निज विचार ््
््भावचित्र ्््भावचित्र ्
         ्निज विचार ्
विषय ज्ञानरस लोकसृजनमें में जनमानस में परम्परागत रूप में विषय बिन्दु सनातन विचार सच में जहां सुधार हो वहां आर्थिक सम्पन्नता से सजाया गया
 ्विवाह संजोग और अन्य संस्कार और पन्द्रह है ्जहा आर्थिक सम्पन्नता और कर्ज लेकर कन्या दान और फिर,अपराध,या फिर तलाक जैसे मसले समाज सभ्यता संस्कृति की दिशा तय करते हैं ्
 ़्जन्म और मृत्यु निश्चित रूप है््
              ् शीर्षक ्
।1।जन्म बालक का हो या फिर कन्या का सूरज पुजन
निश्चित होता है तबके आयोजन में इष्ट मित्रों रिश्तेदारों को भूखा रहना चाहिए ्गिफ्ट नहीं लेना चाहिए वह
।2।फिर मुण्डन संस्कार में शामिल हो तो समझ सकते हैं मुंह पर ताला लगा होना चाहिए ।
।3।वह यज्ञोपवीत संस्कार में शामिल समन्वय से सार्वजनिक रूप से चंदा कर विप्र समाज में सभ्यता संस्कृति में संस्कार परिवार में जरुरी है सत्संग और पुण्यस्नान यत्नपूर्वक कराये और मामेरा प्रथा बंद कर भोजन पर फूल स्टाफ बहुत जरूरी है ्
।4।अब रहा सवाल अपने माता पिता बन्धुओं से पीड़ित मनोरोगी अपनी जवानी में रख नहीं सकते क्योंकि भारत मे मंहगाई और बेरोज़गारी हम दो हमारे दो का परिवार में भी इन्सानी मानस में निरन्तर विरोध कलह व्याप्त है मन अशांत है ्कारण एक है संयुक्त परिवार छिन्न भिन्न है ्मांऔर बाप कही ्कही वृध्दाश्रम में विराजमान हैं ्



।5।अब ऐसे कुछ परिवार जो माता पिता की सम्पत्ति के हकदार हैं और उनका शोषण करते हैं
और आगे बढ़ो तो तर्क वितर्क तथ्य से परेय अनजान हो जाते है वह
।6। व्यक्तिगत जीवन में निर्धनता होती है जो समाजिक कोढ़ है उसका उन्मूलन हो सकता है सीखना है तो दारुदीन बोहरा समाज सभ्यता से प्रेरणा ले सकते है
।7। देश के सनातन विचार सच के शंकराचार्य स्वामी विद्वान से आयोजित कुंभ मेला इलाहाबाद में आयोजित करवाकर क़ान्तिकारी पहल करें,
 ।8।नहीं आज हर कोई बाशिन्दा अपने घर आंगन में भगतसिंह अब्दुल हमीद पैदा करना नहीं चाहता है ्पैदा हो तो पडौसी के घर आंगन में भगतसिंह का जन्म होना चाहिए 13,, दिसंबर 2024,,््
              ्कवि शैलेंद्र आनंद ्

©Shailendra Anand #lovelife  मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क
             कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
              कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 6,,12,,2024,
वार शुक्रवार
समय दोपहर एक बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
््शीर्षक ््
््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम गृहस्थ आश्रम में एक खुशहाल जीवन सफल हो,
यह जीवन चला चली का स्मरणीय पल अनमोल वचन क्षण क्षणिका एहसास क्षणिका में श्लोक बन गई तस्वीर है समय समय कहुं मैं जो सदा पूर्णे में एक जीवंत कलाकृति होती है ््
्््      ्भावचित्र ्
      ्  निज विचार ्
विचार प्रवाह प्यार में अंधे हो जाते हैं,
 तो दुनिया भी इन्सानी मानस में शास्त्र सम्मत पात्र सुपात्र सूसुन्दरं सलाह में,
 भी इन्सानी खोट नज़र आती है,,
प्रसंग शिव और पार्वती उनके पुत्रों का विश्व भ़मण और अपने विचार,
 व्यक्त मातृ पितृ चरण कमलेभ्यो नमः शिवाय ॐ नमः में ,
आपकी पोस्ट पढ़ने का आयना नज़रिया,
 सहज महज़ प्रेम शब्द से ही आनंद आता है,।।
इन्सान को इन्सान से प्रेम और विश्वास आदर्श स्थान पर जिंदगी में ,
आंखें खोल कर देखें पूरी दुनिया सुनती हैं,,
 आनेवाली पीढ़ी आप से गुफ्तगू कर कुछ सीखने वाले अच्छे ख्यालात रहे।।
धन्यवाद कवि शैलेंद्र आनंद 
6, दिसंबर,,2024

©Shailendra Anand  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
्््््कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति संगीत हर हर महादेव कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 5 दिसम्बर 2024
वार गुरुवार
समय सुबह पांच बजे
्छाया चित्र में जलसागर में हरित वन जंगल पहाड़ धरती पर निर्राकार आकारहीन हवाओं में लोक आकार प्रकार निराकार रूप में साकार सुर्य विराजमान है सृष्टि में एक जीवंत रूप में एक प्रत्यक्षदर्शी महादेव महाकाल गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू समयकाल है ््
्शीर्षक ्
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
नमो आदित्याय नमः 
शिवाय गौरीशिवशंकराय वाघम्बराय,, 
रुद्राक्षमालायधारणं भस्मागंशरीरंत्रिपुण्डतिलकं,
 चंद़शेखरायशिवतत्वमें  त्रिनेत्रधारीशिवोहम 
त्रिशूलधारणं शिवशकरमं।।
     ््््निज विचार ््् ््स्वज्ञानरचित ््् भावचित्र ््््
कवि शैलेंद्र आनंद 
5  दिसंबर 2024

©Shailendra Anand  भक्ति संगीत
             हर हर महादेव
             कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,,
वार   बुधवार 
समय सुबह  पांच  बजे
्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, 
यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में,
 एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ्््
््निज विचार ््
्भावचित्र ्
भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर
ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ्
वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए
ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है,
देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा
और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,,
्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल 
सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,,
यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ्
मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में,
रौवे जींव जगत का‌ मैला ढोने लाग्या रै््।।1।।
।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,,
थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में,
 सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।।
चौरासी लख जणम जोणि में,,
पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।।
माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे ,
माखण मिश्री की मटकी फोड़ी,
ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से ,
माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।।
तण मण जोगण बरसाणा में,,
लागी लगण राधिका श्याम में।।5।।
मण धण में जींव म्हारो घट में,,
लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।।
मण आंन्दणो जाणो माणो,,
गौरक्षधामणो में पंछी बणके,
रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।।
प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,,
चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।।

््कवि शैलेंद्र आनंद ्
4, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
                  कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024
वार  मंगलवार
समय सुबह दस बजे
््भाव रस से भावचित्र ््
्निज विचार ्
्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में
 प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में
माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित 
भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं
 ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ््
्््
,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,,
़््
कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण,
सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान  अधार करंहि,,
 लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, 
दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।।
छल माया मोह ््मद सब धर्मों में,
भेद नहीं भाव नहीं है,
सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में ,
प्राण वायु सब कुछ एक है,,
््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
3,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
         कवि शैलेंद्र आनंद
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