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Kulbhushan Arora
⭐I am grateful to Someone who is very Close to me For change in my account status From Annual Membership Account to Lifetime Member of Yq⭐
Kulbhushan Arora
निर्वात वास में मन हुआ दीप, सदभाव की दीपशिखा लिए, सुप्रभात 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼 निर्वात वास में मन हुआ दीप, सदभाव की दीपशिखा लिए, विचार गतिहीन,मन स्वाधीन, श्रद्धा के दीप जल उठे🪔🪔🪔🪔 अंतर्मन पवित्र मं
Kulbhushan Arora
मन.... तू बहुत कुटिल है मन तुम, बहुत छलते हो, मन तुम, बहुत ठगते हो, तुम, जब भी मिलते हो, शब्दों से... शब्दों में,
Kulbhushan Arora
प्रात: वंदन 🙏🙏 #yqप्रात #yqप्रात:वंदन #yqकुलभूषणदीप प्रात:वंदन🙏🙏 निर्वात वास में मन हो जाए दीप, सदभाव की दीपशिखा हो, विचार गतिहीन,मन स्वाधीन
Ashok Mangal
अफ़सोस बचपन में ही, ज़माने ने ज़ुल्म ढा दिया । जो नारी जनम दायी है, उसी पे क़हर बरपा दिया ।। हे राम.. रंगहीन ... शब्दहीन ... चरित्रहीन ... आज फिर ये समाज हो गया ... नोचा गया फिर एक नन्ही बच्ची को ..... जाने क्या उसका दोष था ..... रंग-बिरंगी
Shubhi Mahajan
"मांँ एक ऐसा शब्द है जिसके लिए मैं शब्दहीन हूँ।" Translation - "Mother is a word for which I am wordless." माँ के लिए मैं ज्यादा कुछ भी नहीं लिख पाती हूँ। माँ के प्यार और देखभाल को शब्दों
Rudra Goswami
शब्दहीन ह्रदय वार्ता के हैं कई साधन यहाँ । पर न सार्थक हैं एक भी बहाना यहाँ । मौन हैं अधर , झुके हैं नयन , कल्पनाशील हैं बस दो ह्रदय यहाँ । कल्पना के गलीयों में मन विचरता रहा , ठहरे दृगों को ना मिला भाषा यहाँ । अंजुरी में अंजुरी को बाँधे हुए , मौन के पुकार को ह्रदय जीता यहाँ । दो ओर दो ह्रदय हैं एकांत मे , नीरवता के अंकुर मे न कलरव यहाँ । अधरों के कमरे मे कैैद हैं जिह्वा-जुगल , शब्दो के लिए कोई शब्द ही नहीं यहाँ । ------RAG The ghazal of RAG #शब्दहीन ह्रदय #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqghazal #yqhindi #शब्द
AK__Alfaaz..
अपने, जीवन की प्रस्तावना, लिखकर, अपनी श्वाँसों के, उपसंहार तलाशती वो, मृत्यु.., पहला व अन्तिम, निबंध है उसके जीवन का, उसके.., जीवन की पुस्तक का, पहला पन्ना कोरा है, और..दूसरे पन्ने पर लिखी है, उसके श्वाँसों की विषय सूची, उसकी अश्रुओं की स्याही से, कुल ग्यारह.., पीर अनुसूचियों में, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #आर्तनाद_एकादश अपने, जीवन की प्रस्तावना, लिखकर, अपनी श्वाँसों के,
RiChA SiNgH SoMvAnShI
जब से गये तुम छोड़ कर, मधुभास भी आता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं, लिपटा है दर्पण धूल से, अौर अधखुली हैं वेणियाँ, है मौन धारे चूड़ियाँ और लगतीं हैं ये नूपुर बेड़ियाँ, खिलती नहीं कलियाँ अधर, श्रृंगार भी भाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं। मुखरित नीरवता हर दिशा, नि:शब्द लगता व्योम है, अतिरेक झंझावत बनकर हृदय में लिपटा क्षोभ है, विस्मृत हुआ संगीत, कोकिल कंठ भी गाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं। पवमान के स्पर्श से, सुगबुगा उठी फ़िर चेतना, रक्तकणिकाओं में केवल, बह रही है अति वेदना, मृतपाय जीवन, श्वास का भी भार सह पाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं..।। "मधुभास = बसंत ऋतु" "दल-दीठ = दोनों नेत्र" "वेणियाँ = चोटी (braid)" "नूपुर = घुँघरू(anklet) "अधर = ओंठ" "नीरवता = ख़ामोश विरक्ति शब्दहीनता
Anupama Jha
**उड़ान** पंखहीन मैं उड़ रही हूँ कल्पना की उड़ान शब्दहीन मैं उड़ रही हूँ कल्पना की उड़ान आह, कितना सुन्दर अनुभव है सिर्फ ,मैं हूँ और मेरा दर्शन है , बस, अपने भावों का प्रदर्शन है ..... कल्पना की कूची से शब्दों का रंग बिखेरती जो न जाना किसी ने उन भावों को कुरेदती,..... न कोई संकोच , न कोई दुविधा, अपने शब्दों से लिपटती......... दबे -दबाए, गड़े- गड़ाए कई भावों को समेटती न किसी का भय न किसी की चिंता भारहीन मैं उड़ रही हूँ कल्पना की उड़ान शब्दहीन मैं उड़ रही हूँ कल्पना की उड़ान सोचती हूँ न होती ये कल्पना तो जीवन कितना नीरस होता खाली दिल , खाली मन कितना बेरंग होता ! कहाँ जाकर इंसा अपने ख़्वाबों का पंख फ़ैलाता? कहाँ अपने इन्द्रधनुषी सपनों को सजाता? बहुत सुख है उड़ने में दूर -दूर तक उन्मुक्त उडान हाँ, पंखहीन मैं उड़ रही हूँ कल्पना की उड़ान असीम नभ ,असीम जग बस तान-वितान ............ #उड़ान#yourquotepoetry#thank you so much Sandeep Vyas ji for nomination ☺️.Hope u liked it. #YQbaba#YQdidi **उड़ान** पंखहीन मैं उड़ रही हूँ