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Harish
सार्थकता इसी में है जीवन की, लक्ष्य हमेशा हो उम्मीद से ऊंची। सफ़लता-असफलता आते हैं जीवन में, उड़ान हमेशा रखना दीवार से ऊंची। #सार्थक#प्रेरणादायक# शब्द#
दि कु पां
एक शाम पहाड़ों वाली... शब्द दे चित्र को सार्थक करें..
दिनेश कुशभुवनपुरी
जाने कैसे कब बदलेगा, भारत का परिवेश। जयचंदों से ग्रसित रहेगा, कब तक मेरा देश॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #युग्म #भारत #जयचंद
Parasram Arora
ज़ब सारा अस्तित्व बिना अर्थ के हो सकता हैँ ये चाँद तारे बिना किसी उदेश्य ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर रहे हैँ फूल बिना किसी कारण जंगल मे खिल सकते हैँ ज़ब फिर परमात्मा के होने न होने पर क्यों प्रश्न चिन्ह इतने लगाए जा रहे हैँ फिरमेरी इस निरर्थक कविता मे अर्थ ढूँढने के लिए क्यों इतना सर खपाया जा रहा हैँ निरर्थक कविता
Parasram Arora
सुबह सवेरे दो व्यक्तियों द्वारा. आपस मे सुप्रभात का आदान प्रदान मानसिक और भावनात्मक तल पर स्वास्थ्यदाई कहा जा सकता है. क्योंकि दो नज़रे मिली है दो मुस्कराहते खिली हैँ दो ताज़ा ऊर्जाओं का विनिमय हुआ है लेकिन ज़ब कोई जीवित इकाई सामने मौजूद ही न हो तो यह खाली पतीले मे कड़छी चलाने जैसी निरर्थक कवायद ही कही जायेगी ©Parasram Arora निरर्थक कवायद.......
Parasram Arora
जो सुना वो बूझा नहीं होगा जिस शब्द मे अर्थ नहीं वो शब्द निरर्थक होगा ©Parasram Arora निरर्थक ti
Parasram Arora
इतनी अर्थ हीनता .....इतनी सघन ऊब ...के बावजूद हम कैसे जी लेते है ...जीवन. है लेकिन. जीने का भाव नहीं है तभीतो आत्महीनता से पीड़ित लोग पद खोजते है ..और आत्म दरिद्रता से ग्रसित लोग धन सम्पदा के पीछे दौड़ दौड़ कर. थकते है गिरते है लहूलुहान होते है निरर्थक जीवन
Bantu Bamniya
कोई अनजान जब अपना बन जाता है, ना जाने क्युँ वो बहुत याद आता है, लाख भुलाना चाहो उस चेहरे को मगर, अकस उसका हर चीज़ में नज़र आता है.. ©Bantu Bamniya सार्थक
Pushpendra Pankaj
गरीब अपने दम पर कुछ करे फिर भी उस पर दूसरों से सहायता लेने /अनुचित तरीके को प्रयोग करने का आरोप लगाया जाता है •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• धनी/समर्थ के मामले में परिस्थितियां उलट हैं । •••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••• सब समाज के अपने बनाए पैमाने हैं ••••••••••••••••••••••••••••••• ©Pushpendra Pankaj गरीब के निरर्थक प्रयास
Vikas Sharma Shivaaya'
कबीर यह तनु जात है सकै तो लेहू बहोरि । नंगे हाथूं ते गए जिनके लाख करोड़ी । यह शरीर नष्ट होने वाला है हो सके तो अब भी संभल जाओ – इसे संभाल लो जिनके पास लाखों करोड़ों की संपत्ति थी वे भी यहाँ से खाली हाथ ही गए हैं इसलिए जीते जी धन संपत्ति जोड़ने में ही न लगे रहो ,कुछ सार्थक भी कर लो-जीवन को कोई दिशा दे लो ,कुछ भले काम कर लो ! .🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सार्थक