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Devang shukla

किवाड़ा: दरवाज़ा

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नाराज़ हो ये बताने की जरूरत नहीं है।
तुम जब जोर से किवाड़ा बन्द करती हो।
और चाय में शक्कर थोड़ी धीमी रखती हो।
मै समझ जाता हूं, तुम नाराज़ हो।
 किवाड़ा: दरवाज़ा

Raghvendra Singh Bais

*किवाड़*

*क्या आपको पता है ?*

कि किवाड़ की
*जो जोड़ी होती है,*
उसका
*एक पल्ला पुरुष*
और,
दूसरा पल्ला
*स्त्री होती है।*

ये घर की चौखट से
*जुड़े - जड़े रहते हैं।*
हर आगत के स्वागत में
*खड़े रहते हैं।।*
खुद को ये घर का
*सदस्य मानते हैं।*
भीतर बाहर के हर
*रहस्य जानते हैं।।*

एक रात
*उनके बीच था संवाद।*
चोरों को
*लाख - लाख धन्यवाद।।*
वर्ना घर के लोग हमारी ,
*एक भी चलने नहीं देते।*
हम रात को आपस में
*मिल तो जाते हैं,*
हमें ये मिलने भी नहीं देते।।

*घर की चौखट से साथ*
हम जुड़े हैं,
*अगर जुड़े जड़े नहीं होते।*
तो किसी दिन
*तेज आंधी -तूफान आता,* 
*तो तुम कहीं पड़ी होतीं,*
*हम कहीं और पड़े होते।।*

चौखट से जो भी
*एक बार उखड़ा है।*
वो वापस कभी भी
*नहीं जुड़ा है।।*

इस घर में यह
*जो झरोखे ,*
*और खिड़कियाँ हैं।*
यह सब हमारे लड़के,
और लड़कियाँ हैं।।
तब ही तो, इन्हें बिल्कुल
*खुला छोड़ देते हैं।*
पूरे घर में जीवन
*रचा बसा रहे,*
इसलिये ये आती जाती
हवा को,
*खेल ही खेल में ,*
*घर की तरफ मोड़ देते हैं।।*

हम घर की
*सच्चाई छिपाते हैं।*
*घर की शोभा को बढ़ाते हैं।।*
रहे भले
*कुछ भी खास नहीं ,* 
पर उससे
*ज्यादा बतलाते हैं।*
इसीलिये घर में जब भी,
 *कोई शुभ काम होता है।*
सब से पहले हमीं को,
 *रँगवाते पुतवाते हैं।।*

पहले नहीं थी,
*डोर बेल बजाने की प्रवृति।*
हमने जीवित रखा था
*जीवन मूल्य, संस्कार*
और
*अपनी संस्कृति।।*

बड़े बाबू जी
*जब भी आते थे,*
कुछ अलग सी
*साँकल बजाते थे।*
आ गये हैं बाबूजी,
सब के सब घर के
*जान जाते थे ।।*
*बहुयें अपने हाथ का,*
 हर काम छोड़ देती थी।
उनके आने की आहट पा,
आदर में
*घूँघट ओढ़ लेती थी।।*

अब तो कॉलोनी के
*किसी भी घर में,*
किवाड़ रहे ही नहीं
*दो पल्ले के।*
*घर नहीं अब फ्लैट हैं ,*
*गेट हैं इक पल्ले के।।*
खुलते हैं सिर्फ
*एक झटके से।*
पूरा घर दिखता
*बेखटके से।।*

दो पल्ले के किवाड़ में,
*एक पल्ले की आड़ में ,*
*घर की बेटी या नव वधु,*
किसी भी आगन्तुक को ,
जो वो पूछता
*बता देती थीं।*
अपना चेहरा व शरीर
*छिपा लेती थीं।।*

अब तो धड़ल्ले से
खुलता है ,
*एक पल्ले का किवाड़।*
*न कोई पर्दा न कोई आड़।।*
*गंदी नजर ,बुरी नीयत,*
*बुरे संस्कार,*
सब एक साथ
*भीतर आते हैं ।*
फिर कभी
*बाहर नहीं जाते हैं।।*

कितना बड़ा
*आ गया है बदलाव?*
*अच्छे भाव का अभाव।*
 *स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।*

*सब हुआ चुपचाप,*
*बिन किसी हल्ले गुल्ले के।*
*बदल लिये किवाड़,*
*हर घर के मुहल्ले के।।*

अब घरों में
*दो पल्ले के , किवाड़*
कोई नहीं लगवाता।
*एक पल्ली ही अब,*
हर घर की
*शोभा है बढ़ाता।।*

अपनों में ही नहीं
*रहा वो अपनापन।*
एकाकी सोच
*हर एक की है ,* 
एकाकी मन है
*व स्वार्थी जन।।*
*अपने आप में हर कोई ,*
*रहना चाहता है मस्त,*
 *बिल्कुल ही इकलल्ला।*
इसलिये ही हर घर के
किवाड़ में,*
दिखता है सिर्फ़
*एक ही पल्ला!!
🙏🏻🌹 #किवाड़

Raghvendra Singh Bais

*किवाड़*

*क्या आपको पता है ?*

कि किवाड़ की
*जो जोड़ी होती है,*
उसका
*एक पल्ला पुरुष*
और,
दूसरा पल्ला
*स्त्री होती है।*

ये घर की चौखट से
*जुड़े - जड़े रहते हैं।*
हर आगत के स्वागत में
*खड़े रहते हैं।।*
खुद को ये घर का
*सदस्य मानते हैं।*
भीतर बाहर के हर
*रहस्य जानते हैं।।*

एक रात
*उनके बीच था संवाद।*
चोरों को
*लाख - लाख धन्यवाद।।*
वर्ना घर के लोग हमारी ,
*एक भी चलने नहीं देते।*
हम रात को आपस में
*मिल तो जाते हैं,*
हमें ये मिलने भी नहीं देते।।

*घर की चौखट से साथ*
हम जुड़े हैं,
*अगर जुड़े जड़े नहीं होते।*
तो किसी दिन
*तेज आंधी -तूफान आता,* 
*तो तुम कहीं पड़ी होतीं,*
*हम कहीं और पड़े होते।।*

चौखट से जो भी
*एक बार उखड़ा है।*
वो वापस कभी भी
*नहीं जुड़ा है।।*

इस घर में यह
*जो झरोखे ,*
*और खिड़कियाँ हैं।*
यह सब हमारे लड़के,
और लड़कियाँ हैं।।
तब ही तो, इन्हें बिल्कुल
*खुला छोड़ देते हैं।*
पूरे घर में जीवन
*रचा बसा रहे,*
इसलिये ये आती जाती
हवा को,
*खेल ही खेल में ,*
*घर की तरफ मोड़ देते हैं।।*

हम घर की
*सच्चाई छिपाते हैं।*
*घर की शोभा को बढ़ाते हैं।।*
रहे भले
*कुछ भी खास नहीं ,* 
पर उससे
*ज्यादा बतलाते हैं।*
इसीलिये घर में जब भी,
 *कोई शुभ काम होता है।*
सब से पहले हमीं को,
 *रँगवाते पुतवाते हैं।।*

पहले नहीं थी,
*डोर बेल बजाने की प्रवृति।*
हमने जीवित रखा था
*जीवन मूल्य, संस्कार*
और
*अपनी संस्कृति।।*

बड़े बाबू जी
*जब भी आते थे,*
कुछ अलग सी
*साँकल बजाते थे।*
आ गये हैं बाबूजी,
सब के सब घर के
*जान जाते थे ।।*
*बहुयें अपने हाथ का,*
 हर काम छोड़ देती थी।
उनके आने की आहट पा,
आदर में
*घूँघट ओढ़ लेती थी।।*

अब तो कॉलोनी के
*किसी भी घर में,*
किवाड़ रहे ही नहीं
*दो पल्ले के।*
*घर नहीं अब फ्लैट हैं ,*
*गेट हैं इक पल्ले के।।*
खुलते हैं सिर्फ
*एक झटके से।*
पूरा घर दिखता
*बेखटके से।।*

दो पल्ले के किवाड़ में,
*एक पल्ले की आड़ में ,*
*घर की बेटी या नव वधु,*
किसी भी आगन्तुक को ,
जो वो पूछता
*बता देती थीं।*
अपना चेहरा व शरीर
*छिपा लेती थीं।।*

अब तो धड़ल्ले से
खुलता है ,
*एक पल्ले का किवाड़।*
*न कोई पर्दा न कोई आड़।।*
*गंदी नजर ,बुरी नीयत,*
*बुरे संस्कार,*
सब एक साथ
*भीतर आते हैं ।*
फिर कभी
*बाहर नहीं जाते हैं।।*

कितना बड़ा
*आ गया है बदलाव?*
*अच्छे भाव का अभाव।*
 *स्पष्ट दिखता है कुप्रभाव।।*

*सब हुआ चुपचाप,*
*बिन किसी हल्ले गुल्ले के।*
*बदल लिये किवाड़,*
*हर घर के मुहल्ले के।।*

अब घरों में
*दो पल्ले के , किवाड़*
कोई नहीं लगवाता।
*एक पल्ली ही अब,*
हर घर की
*शोभा है बढ़ाता।।*

अपनों में ही नहीं
*रहा वो अपनापन।*
एकाकी सोच
*हर एक की है ,* 
एकाकी मन है
*व स्वार्थी जन।।*
*अपने आप में हर कोई ,*
*रहना चाहता है मस्त,*
 *बिल्कुल ही इकलल्ला।*
इसलिये ही हर घर के
किवाड़ में,*
दिखता है सिर्फ़
*एक ही पल्ला!!
🙏🏻🌹 #किवाड़

Preeti Karn

टकटकी लगाए किवाड़ की चिटखनी पर
हर आहट से तरंगित होता मन
असमंजस में बस तुम्हें ही तो
सोच पाता है।
खिड़कियों से हवाएं 
कुछ झोंके जबरन उधार देती हैं
जिनमें बारी बारी से
तुम्हारे नाम पते लिखकर
बड़े मन से लौटाये हैं।
शायद देर से ही सही
तुम तक वो पहुंच जाएँ
मेरी अन्यमनस्कता  तुम्हें समझाएं
और मुझ पर तुम्हारा विश्वास
कुछ और प्रगाढ़ हो जाए
तुम्हें लौटने की विवशता अतिरेकता की सीमाएं
लांघ जाएं 
इन दरवाजों पर तुम्हारे हाथों की दस्तक
मेरी   टकटकी का क्रम  तोड़ कर
रख दे। 

         प्रीति
              

 #किवाड़#प्रतीक्षा
Yqdidi

Anupama Jha

तूफ़ान को हो थामना 
तो खिड़की बंद रखना
थामना हो गर मन का सैलाब 
तो हजूर खुला रखें दिल का किवाड़ #खिड़की#किवाड़
#YQbaba#YQdidi

Kriti

वापिस आयी
आसपास पहरों को और मजबूत पायी
मन लगाए लगा नहीं
आजादी का स्वाद जो कुछ पल चख आयी,
आप अगर मुझपे करोगे विश्वास 
कभी नहीं तोङूगी आपकी आस
बाकी उन शक्की नजरों का 
है मुझको भी आभास, 
मुझे एक बार को छोड़ के देखो 
सारी बेरींया तोड़ के देखो
 वापिस लौटुंगी नियत समय पर 
ये बंद किवाड़ खोल के देखो.. #किवाड़#hindipoem#overprotective#nojotopoem#nojoto

CalmKazi

ओह ! आज फिर बदरा ने किवाड़ हटाया है, शायद चाँद दर पर आया है । #CalmKaziWrites #YQBaba #YQDidi #Hindi #चाँद #बदरा #किवाड़ #लुकाछुपी

Shashi Aswal

सुनो मन की किवाड़ों को खोल दो
कमबख्त बदबू आने लगी हैं इनमें  किवाड़ 

#बदबू #मन #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqhindiurdu #life #volatilesoulquotes

navya sharma

Secret door  नसीब ए इश्क कहें य़ा सितम ए मोहब्बत!! 
बरसो बाद मेरे मेहबूब ने मेरे मकान का !!
    किवाड खड़काया भी तौ, 
  पता पूछने  को मेरे रकीब का !!

©navya sharma #किवाड़ 
#nojato 
#nojatohindi 
#navyasharma 
#shayri 
#mirzagalib 
#MyThoughts 
#alone

Ardas

किवाड़- door #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqdidiquotes #yqlove #Hindi #YourQuoteAndMine Collaborating with Bhawna

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Zamana kabutar Ka ho
 yaan technology Ka Dil 
me pyaar kamm nhi hota...
Zaruri hai bharhosa apne
 mehboob per varna Marne 
ke baad Taj Mahal nhi hota...! किवाड़- door

#yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqdidiquotes #yqlove #hindi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with Bhawna
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