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KHINYA RAM GORA
रात के तन्हा आलम को झुठलाने आते हैं। ये तारें मुझसे बतियाने सिरहाने आते हैं।। यूँ तो जीवन की पोथी होती सबके पास- जीते हैं वो जिनको जीने के माने आते हैं। नई धुनों से घिरा हुआ नए दौर का लड़का हूँ- मेरे लबों पे फिर भी नग़मे पुराने आते हैं। खींच ले आती है ज़रूरतें गाँव की बाँहों से- कौन अपनी मर्ज़ी से शहर कमाने आते हैं। कमबख़्त दुश्मन से लगते हैं अक्सर “मुर्शद”- जब छुट्टियों के आख़िरी लम्हे चिढ़ाने आते हैं। ©KHINYA RAM GORA #boat #नोजोतो #नोजोतोहिन्दी #nojohindi रात के तन्हा आलम को झुठलाने आते हैं। ये तारें मुझसे बतियाने सिरहाने आते हैं।। यूँ तो जीवन की पोथी
Kamaal Husain
ज शब्द आज का है, ज से ग़जल लिखों फिर उसके बाद फूल लिखो, या कंवल लिखो काग़ज़ कलम है वक्त है, कुछ लिखना चाहिए कुछ भी नहीं तो प्यार की, पहली पहल लिखो मैं जिसके लिए लिखता हूँ, हर रात ये नग़में वो कहतें हैं समझीं नहीं, थोड़ी सरल लिखो लो मैंने लिख दिया है,जो कुछ आया समझ मे तुम भी तो दोस्तों अब हँसी, कोई पल लिखो मैं कहते जा रहा जो, ग़जल जोर शोर से इस में कमाल ज्यादा, सहेली का बल लिखो सभी दोस्तों को मेरा प्यार भरा "नमस्कार" कुछ नए तरीके से यह पोस्ट आप सभी को Collab करनी है , आप सभी को एक शब्द शीर्षक के रूप मे दिया जाएगा ,
Prerit Modi सफ़र
212 212 212 212, 212 212 212 212 मैं सुख़नवर हूँ तेरा ही आशिक़ सनम, मेरी ग़ज़लों में तुम खुद को ढूँढा करो ज़िक्र तेरा ही ग़ज़लों में होता सनम, तुम मुहब्बत की नज़रों से देखा करो दिल मेरा अब धड़कता है तेरे लिए, तुम इशारों को मेरे भी समझा करो रूठ जाऊँ अगर तुम से मैं ज़ीस्त में, मुझ को तुम भी कभी तो मनाया करो आग लगने लगी है मुहब्बत में तो, तुम बुझाओगी ये आग कैसे मेरी हिज्र में जान अब तो मेरी जा रही, तुम कभी मुझ से मिलने तो आया करो अश्क़ मेरे कभी तुमने देखे नहीं, दर्द मेरा कभी तुमने समझा नहीं मैं जहां से लड़ा हूँ तिरे वास्ते, हम-नवाँ मेरी अब मुस्कुराया करो तेरी बाहों में तस्कीन मिलती है अब, ज़िन्दगी में मुझे और क्या चाहिए चाहता हूँ मैं तुमको तो अब चूमना, चहरे से अपनी ज़ुल्फें हटाया करो आँधियों को सनम आने से रोक लो, मुद्दतों बाद शब वस्ल की आई है कश्तियों का "सफ़र" जब भी तूफ़ानी हो, ना-ख़ुदा बनके मुझ को बचाया करो ग़ज़ल धुन: तुम अगर साथ देने का वादा करो, मैं यूँ ही मस्त नग़में लुटाता रहूँ|| सुख़नवर- ग़ज़लकार, शायर ना-ख़ुदा- नावक #longform #gazal #shayari
Odysseus
Odysseus
नज़्म मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं मेरे आंगन में वो रुक ना पाते हैं इक्का दुक्का ख़्वाब सुहाने आते हैं पल भर की झूठी खुशियां दे जाते हैं आंखें मेरी जैसे ही खुल जाती हैं झट से खुशियां भी गायब हो जाती हैं उनको मेरा साथ कभी ना भाता है लेकिन ग़म से मेरा गहरा नाता है शायद इक दिन अपनी हालत सुधरेगी वक्त बदल जाएगा किस्मत चमकेगी खुशियों पर ना ग़म की परछाई होगी जीवन में बस खुशहाली छाई होगी खुशियों की कविताएं तब मैं लिक्खूंगा मधुर तराने सुंदर नग़मे लिक्खूंग ©Odysseus नज्म मेरी खुशियों की कविता कब लिक्खूंगा बढ़ जाएंगी जब खुशियां तब लिक्खूंगा वैसे खुशियों के पल कम ही आते हैं मेरे आंगन में वो रुक ना पाते है
Odysseus
तुम जो होती भी तो क्या होता बोलो जो लिक्खा है क्या वो टल जाता बोलो मेरी ख़ातिर तुम भी कुछ ना कर पाती शायद बीच सफर में छोड़ चली जाती मेरी राहों में बस कांटे-पत्थर हैं निसदिन दिल में चुभते तीखे नश्तर हैं मेरे साथ रहोगी तो पछताओगी जीवन में सुख चैन कभी ना पाओगी सब की अपनी अपनी किस्मत होती है मुझ जैसों की किस्मत गुर्बत होती है कुछ लोगों की मेहनत रंग न लाती है सब को अपनी मंज़िल ना मिल पाती है मेरी दुनिया से तुम दूर चली जाना मेरी उल्फत के नग़मे फिर ना गाना इक शहज़ादा तुमको लेने आएगा एक सुनहरी दुनिया में ले जाएगा पास तुम्हारे ग़म न कभी आने पाए उम्र सितारों की भी तुम को लग जाए ये सच है कि याद तुम्हारी आएगी आकर मुझको रह रह कर तड़पाएगी आंख अगर छलकी तो आंसू पी लूंगा वादा करता हूं मैं तुम बिन जी लूंगा ©Odysseus नज़्म तुम जो होती भी तो क्या होता बोलो जो लिक्खा है क्या वो टल जाता बोलो मेरी ख़ातिर तुम भी कुछ ना कर पाती शायद बीच सफर में छोड़ चली जाती म
Odysseus
Odysseus
Odysseus