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Abhay Bhadouriya
श्री राम कथा भाग- 3 (राम जन्म) ॐ गणेशाय नमः रिद्धि सिद्धि सहिताए नम : सूर्य वंश के राजा दशरथ की जग में जय जयकार थी नगरी अयोध्या में तब सुख संपदा की भरमार थी फिर भी एक
naved imam
"इज़्ज़त" read caption इज़्ज़त इज़्ज़त शुरुआत करूँ भी या नही बात ही कुछ ऐसी है इज़्ज़त का तराज़ू कुछ ऐसा है जिसका पड़ला हमेशा से भारी रहा है इज़्ज़त बिक भी सकती है,वही चौरा
Ek villain
भारत के स्वतंत्र आंदोलन में कई अग्रदूत रहे जिन्होंने समय के साथ भुला दिया गया इन्हीं में से एक मणिपुर की रानी गादुलिया पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें नागों की रानी कहकर संबोधित किया था समाजसेवी व पूर्वोत्तर में गहराई में जाने वाले जगदंबा माल लाने रानी के गंगा लोनी के जीवन को इस पुस्तक में पर्याय रानी गोलाई को आमजन रानी मां कहते कहते थे धर्म संस्कृति और परंपराओं के अटूट आस्था रखने वाली रानी मां एक निरमा का बैरागी अर्थ की रानी मां के प्रभाव को इस बात से समझा जा सकता है कि मात्र 16 वर्ष की आयु में ही अंग्रेजी सरकार ने उन्हें आजीवन कारावास में डाल दिया था 15 वर्ष जेल में रहते ही उन्हें गोलियों का सामना करना पड़ा यह पुस्तक एक साथ कई मोर्चे पर संघर्ष कर रही है रानी मां के जीवन को समझने का मौका देती है 1915 में जन्मी एक और नाग समाज को अंग्रेजी से मुक्त कराने के लिए लड़ रही थी तो दूसरी ओर अमेरिका व ब्रिटेन वितरण अभियान से हिंदू नाम की रक्षा करने के लिए जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली हुई थी इस लड़ाई के बीच तलाक हो चुका था कि अपने लोगों के विश्वासघात किया और उन्हें सहने पड़े थे पुस्तक में सारे तरीके से रानी मां के जीवन के सामने रखा गया है आजादी के बाद भी जारी रखा और मृत्यु प्राप्त किया और लोगो को बताया कि सभी भारत विरोधी नहीं और ना ही सभी ईसाई हैं ©Ek villain #नागों की रानियों को समझने का मौका #Thoughts
Riya
चार रानियों वाले राजा की कहानी सुना दोगे क्या ???? ©Manjeetdreamfix चार रानियों वाले राजा की कहानी ❣️🌹 #manjeetdreamfix Neha verma
NavNit
#WorldHealthDay कुछ तो बात तो होगी इस मोहब्बत में ।। वरना 16108 रानियों का राजा । कृष्ण एक राधा के लिए नहीं तड़पता। ©NavNit कुछ तो बात तो होगी इस मोहब्बत में ।। वरना 16108 रानियों का राजा । कृष्ण एक राधा के लिए नहीं तड़पता।
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
Anuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"