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tehzibasheikh👩💻
Tamasic Food तामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैंI इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है Iबासी या पुन: गर्म किया गया भोजन, तेल या अत्यधिक भोजन और कृत्रिम परिरक्षकों से युक्त भोजन इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं Iउदाहरण - मांसाहारी आहार, बासी भोजन, वसा का अत्यधिक सेवन, तेलयुक्त और अत्यधिक मीठा भोजनI Tamasic Foodतामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैंI इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है Iबासी या पुन: गर्म क
Tamasic Foodतामसिक भोजन वो हैं जो शरीर और मन को सुस्त करते हैंI इनके अत्यधिक सेवन से जड़ता, भ्रम और भटकाव महसूस होता है Iबासी या पुन: गर्म क
read moreअम्बुज बाजपेई"शिवम्"
शीत के घात से भयभीत मन को, उष्णता का आभास कराती बसंत है। ठूंठ हो जड़ता के तिमिर को, हरित आभा से हटती बसंत है। जम कर गर्वित हो रहे तुच्छ हिमबिंदुओं कों, ताप से द्रवित कर भाप बनाती बसंत है निराशा से भरे मानव हृदय को, प्रकृति राग लगाती बसंत है। परिवर्तन सदैव हितकर ही होता है, इस बात को चित्त में बसाती बसंत है। शीत के घात से,भयभीत मन को उष्णता का आभास कराती बसंत है ठूंठ हो जड़ता के तिमिर को हरित आभा से हटती बसंत है जम कर गर्वित हो रहे तुच्छ हिमबिं
शीत के घात से,भयभीत मन को उष्णता का आभास कराती बसंत है ठूंठ हो जड़ता के तिमिर को हरित आभा से हटती बसंत है जम कर गर्वित हो रहे तुच्छ हिमबिं #प्रेम #प्रकृति #राग #1020thquote
read moreअशेष_शून्य
"मानसिक जड़ता" (शेष अनुशीर्षक में) हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके
हम जिस भी विचार से ,व्यक्ति से परिस्थिति से , विश्वास से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उसे या तो बार बार दोहराना चाहते हैं; या उसे एक झटके #clarity #flexibility #yqaestheticthoughts #thinking_process #अशेष_शून्य
read moreOdysseus
सुनलो मेरी अभ्यर्थना हे शुभ्रवस्त्रा भगवती जड़ता मेरी हर लो यही विनती है देवी भारती जिसको भी हे सौदामिनी, आशीष है तुमने दिया विद्या कला और #Song #nojotovideo #Devotional
read moreDushyant Kumaar
आरंभ लेकर अंत तक नवचेतना के गीत सारे कर सकें जागृत जो तुमको तो समझना काम के है वर्ना यें शब्दों के डेरे है कबीली पाद-चिन्ह भर जो अगर ठहराव लाए तो समझना काम के है.....! शून्य सी जड़ता लिये अंको में इतना रोष क्यों है वर्णमाला के अधूरे शब्दों में ये दोष क्यों है मन्त्रों और आयतों को रट रहें इंसानों सुन लो जो अगर खुशहाली लाये तो समझना काम के है....! दुष्यंत कुमार ओझा उदयपुर राजस्थान #8619169664 आरंभ लेकर अंत तक नवचेतना के गीत सारे कर सकें जागृत जो तुमको तो समझना काम के है वर्ना यें शब्दों के डेरे है कबीली पाद-चिन्ह भर जो अगर ठहरा
आरंभ लेकर अंत तक नवचेतना के गीत सारे कर सकें जागृत जो तुमको तो समझना काम के है वर्ना यें शब्दों के डेरे है कबीली पाद-चिन्ह भर जो अगर ठहरा #शायरी #dushyantkumar #dk #InspireThroughWriting
read moreparveen mati
सुर्य सदैव उदय होता है सूर्य सदैव उदय होता है जीवन के उतार-चढ़ाव चेहरे पर उतरे हल्के से भाव मौत को ना मानकर जबकि परम सत्य है सांसो से आदमी का इतना लगाव फिर भी रण क्षेत्र में सभी को थोड़ा-सा तो भय होता है डूबता है हर रोज लेकिन फिर से सूर्य सदैव उदय होता है रोज जो आगे बढ़ता है परिस्थितियों से जो लड़ता है नित रोज नए स्वपन गड़ता है गिरता है, पड़ता है लेकिन क्षितिज पर पैनी नजर उसकी मिटा देता है उसमें जो जड़ता है आखिर में वही रण क्षेत्र में विजय होता है याद रखना हर काली रात के बाद सूर्य सदैव उदय होता है ©parveen mati सुर्य सदैव उदय होता है सूर्य सदैव उदय होता है जीवन के उतार-चढ़ाव चेहरे पर उतरे हल्के से भाव मौत को ना मानकर जबकि परम सत्य है सांसो से आ
सुर्य सदैव उदय होता है सूर्य सदैव उदय होता है जीवन के उतार-चढ़ाव चेहरे पर उतरे हल्के से भाव मौत को ना मानकर जबकि परम सत्य है सांसो से आ #motivate #कविता #morninginspiration #VantinesDay
read moreअशेष_शून्य
तुम आना !! -Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) पीड़ाओं में तुम्हें याद नहीं करना चाहती ईश्वर ! डर है अधिक व प्रवाह अत्यधिक ।। कहीं पलकों की
पीड़ाओं में तुम्हें याद नहीं करना चाहती ईश्वर ! डर है अधिक व प्रवाह अत्यधिक ।। कहीं पलकों की #yqhindipoetry #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य
read moreInstagram id @kavi_neetesh
“या देवी सर्वभूतेषु शारदा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।“ बसंत पंचमी की घड़ी सुहानी आ रही है, सरस्वती रूप में मां भवानी आ रही है। भोलेनाथ शिव शंकर तुम भी आ जाना, कृपा करना, डमरू डम डम बजा जाना। बसंत पंचमी की घड़ी………. जब छुएगी मैया अपनी वीणा का तार, सारे जग में गूंजेगा, ज्ञान का झंकार। ज्ञान का भंडार कभी नहीं खाली होगा, भवानी से मिलकर कैलाश लौट जाना। बसंत पंचमी की घड़ी……….. ©Instagram id @kavi_neetesh #Sunhera भक्ति गीत : बसंत पंचमी में भोलेनाथ *ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय* “या देवी सर्वभूतेषु शारदा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्
Pushpvritiya
कहते हैं पिता उस दानी को समसुप समान हृदय होगा, प्राण प्रिय सुता बिन उसका, कैसा अरूणोदय होगा...... कि बीज दिया और लहू भी और स्वेद भी और नीर भी, और स्वांस भी दी होगी अवश्य इसमें न कोई संशय होगा...... फिर क्यूं तुमने जीवन देकर, यूं जड़ता का मान किया, हे पिता...यूं निज सुता का, ऐसा कन्यादान किया........ कि धिक्कारों में सो लेगी, वो हाहाकार में डोलेगी, और पिता से बोलेगी......... कि रूधिर भी था और स्वांस भी, अस्थियां और मास भी....... जीवन होकर भी प्राण विहीन, ऐसी क्यूं मैं मानी गई, क्यूं शास्त्रार्थ तुम्हारे में, मैं मानुष न जानी गई...... कि अस्थियां भी टूट रही, मास देह भी छोड़ रहा, बहा रूधिर कईयों दशक, और स्वांस स्वांस को जोड़ रहा..... तुम नभ मेरा आधार भी थे, अब मैं हूं आधार बिना, अब आओ भी तो धन लेकर धन देकर ही जल पीना............. तेरे वचनों की अस्तु थी, क्या मैं दान की वस्तु थी........... अवमान जीया,अपमान पीया निज को जीवित समशान किया, और हे पिता कहो निज सुता का क्यूं ऐसा कन्यादान किया.......... @पुष्पवृतियां . ©Pushpvritiya #दानकीवस्तु कहते हैं पिता उस दानी को समसुप ही हृदय होगा, प्राण प्रिय सुता बिन उसका, कैसा अरूणोदय होगा...... कि बीज दिया और लहू भी
#दानकीवस्तु कहते हैं पिता उस दानी को समसुप ही हृदय होगा, प्राण प्रिय सुता बिन उसका, कैसा अरूणोदय होगा...... कि बीज दिया और लहू भी
read moreअशेष_शून्य
"अल्प विराम" (शेष अनुशीर्षक में ) घड़ी की सुइयों सी चलते चलते मन के पांव थक रहें हैं सांसों को रफ्तार धीमी हो रही है हृदय गति का अंतराल बढ़ रहा है मेरी चमड़ी सिकुड़ रही है
घड़ी की सुइयों सी चलते चलते मन के पांव थक रहें हैं सांसों को रफ्तार धीमी हो रही है हृदय गति का अंतराल बढ़ रहा है मेरी चमड़ी सिकुड़ रही है #lifequote #yqhindi #flow #अशेष_शून्य
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