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Nitish Kumar Verma
*आषाढ़ से श्रावण* आषाढ़ आते ही, आसमान गूंज उठती हैं। बादल काले पड़ जाते हैं, और गरजने लगते है। बारिश होने लगती है, नदियां कल - कल बहती है। झरने झर-झर गाती हैं, ऐसे ही सुनाती है, हवा। श्रावण आते ही, सब खेतो में लग जाते है। हल जोत कर, खेत खोद कर, धान रोपण करते है सब। हीरा जैसा लगता है, श्रावण की ये बूंदे। खेतो में हरियाली छाई, और किसानों की मन भर आईं। कोयल कू कू करती है, बगीया झूम ये उठती है। फूलों की कलियों में, भवरो गूं-गूं करती है।। ये श्रावण की महीना, सबके मन को भाती है।।। 🙏🙏 धन्यवाद!🙏🙏 ©Nitish Kumar Verma #आषाढ़ #WorldWaterDay
Kamal Vishwakarma
तुम आषाढ़ श्रावण दोनो आना, मै तुम्हे कभी जलता मिलूंगा कभी खिलता मिलूंगा.... ©Kamal Vishwakarma आषाढ़ श्रावण #Soul
Anju Dubey
ओढ कर पूरा अम्बर ए चांद अपनी चांदनी फैलाए बैठे हो नहला रखा है दुनिया को मोहब्बत की रोशनी में खुद काले घेरे में समाए बैठे हो आपकी खूबसूरती की मिसाल क्या दूं मोहब्बत में माहिर तारों को भी साथ बिछाए बैठे हो anju ©Anju Dubey पूर्णिमा का चांद #parent
Prashant Mishra
दिल से निकली और होठों तक ये मेरे बात आई और कागज़ पर 'कलम' ने फिर बिखेरी रोशनाई 'भूलने' की 'कोशिशों' में... मैं लगा था रात-दिन पूर्णिमा का चाँद देखा,..फिर 'तुम्हारी' याद आई --प्रशान्त मिश्रा "शरद पूर्णिमा का चाँद"
Yogi Raj Bharti
ये पूर्णिमा का चांद है या तेरी धधकती जवानी। बहुत खूबसूरत है तू जैसे चांद की चांदनी।। तुझ पर गीत लिखें गजल या लिखें शायरी। सब रंग फीका है जलवे दिखाती तेरी जवानी।। ©Yogi Raj Bharti पूर्णिमा का चांद #SuperBloodMoon
Ritu_Upadhyay
ये आज , ये कल.. कब है, कब नहीं ... ©Ritu_Upadhyay #जीवन का कोई भरोसा नहीं ... कब है कब नहीं..
chahat
निशब्द मूक भाव मेरे क्या करू गुणगान तेरे तुम ही तो हो जैन धर्म के तरुवर तुम ही तो हो जीवन आधार गुरुवर मैं तिनका सी चरणो की धूल भी नही मैं अज्ञान तुम बिन जैन शब्द ही नहीं तुम श्रेष्ठ चर्या के पालक तुम जैन धर्म के साधक तुम जड़ हो,तुम हो ध्वजा जैन धर्म के तुम ही पिता तुम्हारा जाना आसान नहीं तुम सा कोई शासन नही शिष्य अनन्य है तुमने गढ़े जिनमे धर्म के संस्कार भरे जिन्हे तुम छोड़ जग से चले जिसाशन की डोर थमा मुक्ति मार्ग की ओर तुम बढ़े अश्रु मेरे ठहरे कैसे..... मन की पीढ़ा कह भी न सकें मैं टूटी हुई डाली के फूल जैसे कौन तुम सा तुम सी साधना तुम सा साधु तुम सिद्ध तुम सा शुद्ध ©chahat शरद पूर्णिमा का चांद