Find the Latest Status about बसना एवं पर्यावरण को समझाइए from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बसना एवं पर्यावरण को समझाइए.
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
सूखी धरती फटी दर्द से करती है चित्कार यह। मेरी हरियाली लौटा दो कर दो तुम उपकार यह।। हरे भरे जो वृक्ष रहेंगे जन-जीवन मुस्काएगा। धरती झूमेगी खुशियों से मस्त पवन लहराएगा।। सुखी रहूंगी मैं सुख से जो तुम भी तो सुख पाओगे। मेरे साथ नहीं तो तुम भी ऐ मानव दुःख पाओगे।। वृक्ष अगर होंगे तब ही तो शुद्ध हवा जल पाओगे। आज सुखी खुशहाल रहोगे तुम कल भी सुख पाओगे।। वृक्ष न होंगे धरती पर तो श्वाँस कहाँ से लोगे तुम। छाया ठंडी कहाँ पाओगे कैसे फल पाओगे तुम।। हरे भरे ये वृक्ष हैं गहने वृक्ष है धरती का सिंगार। मानव जीवन को प्रकृति का मिला है ये अनुपम उपहार।। धरती की रक्षा करनी है पर्यावरण बचाना है। आओ यह संकल्प करें हम घर-घर वृक्ष लगाना है।। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #पर्यावरण
Tarun Rastogi kalamkar
White हरियाली चहुंँओर है,खुशहाली का राज। देख धरा की वेदना, जागा तभी समाज। जागा तभी समाज,राज तुम को बतलाए। सारे मिलकर रोज,चलो हम पेड़ लगाए। सुखी रहें संसार , रहे हर घर खुशहाली। छाएगी चहुंँओर,धरा पर फिर हरियाली।। ©Tarun Rastogi kalamkar #पर्यावरण
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
White "पर्यावरण दिवस पर लगाओ पेड़ पौधे दस" पर्यावरण दिवस पर लगाओ,सब पेड़ पौधे दस-दस कुछ वक्त में ठंडी छांव का मिलेगा,अहसास सुखद पर्यावरण दिवस पर लगाते है,व्हाट्सप पर स्टेटस परंतु पेड़-पौधे लगाने के लिए नही करते है,सँघर्ष व्हाट्सएप स्टेटस की बाढ़ से ऐसे लगता है,आदर्श जैसे की वैश्विक ऊष्णता ही मिट जायेगी,इस वर्ष कम होते पेड़ पौधों से बढ़ी रही है,गर्मी भी सहर्ष इस व्यर्थ के दिखावे से अच्छा,सब पेड़ लगाएं,बस फिर देखना फिर से लौट आएगी,हरियाली सरस जितना पेड़-पोधों से आच्छादित होगी वसुंधरा उतना ही ज्यादा पारिस्थिकी संतुलन होगा,खरा न ही होगी ज्यादा गर्मी,न ही होगी ज्यादा सर्दी फिर वक्त पर ही बरसेगी यह वर्षा रानी भी सदा पेड़-पौधे तो लंबे वक्त तक चलने वाले एसी है इन्हें लगाओ,ये तो बिना पैसे की चीज स्वदेशी है इस पर्यावरण दिवस छोड़ो बातें करनी बड़ी-बड़ी लगाओ रे 10-10 पेड़,बनो प्रकृति प्रेमी देशी है दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #short_shyari पर्यावरण
#short_shyari पर्यावरण #कविता
read moreHarpinder Kaur
White क्यों चीख़ रहे तुम अब, क्यों उफ़! हाय! चिल्लाते हो गर्मी गर्मी चिल्लाने वालों तुम छाया के लिए कितने वृक्ष लगाते हो? जहाँ मन किया फैला दी गंदगी जहाँ खाया तुमने, वहीं कूड़ा गिराते हो फिर क्यों तुम अपनी गलतियों का इल्ज़ाम सूरज पर लगाते हो बतलाना तो ज़रा, प्रकृति की स्वच्छता के लिए तुम क्या कर्तव्य निभाते हो? नदियों को तुम गंदा करते उसके पानी को तुम व्यर्थ बहाते हो करते हो तुम अपनी मनमर्जी फिर क्यों जल को खारा बताते हो ज़रा बताओ ए नादानों! पर्यावरण संरक्षण के लिए तुम कौन सा कर्तव्य निभाते हो ©Harpinder Kaur # पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस)
# पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.... जिसने निभाओगे, तभी जीवन को सुरक्षित बना पाओगे ✍️ ( पर्यावरण दिवस) #Poetry
read moreveena khandelwal
White कुदरत को कुदरत रखो,करो न ज्यादा छेड़। बिगड़ रहा पर्यावरण,रखो कुदरती मेड़।। मेड़=मर्यादा, सीमा बैठा है जिस डाल पर,उसे काटता रोज। समझ जरा पर्यावरण,पंचतत्व की खोज।। मानव पर्वत पेड़ सरि,सागर से श्रृंगार। रहे संतुलित ये सभी,तब धरती का सार।। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal पर्यावरण बचाओ
पर्यावरण बचाओ #कविता
read moreRam Yadav
इसे एक सुनियोजित हत्या ही कहा जाए जब भी विकास की जरूरत होती है पेडों की हत्या से शुरुआत होती है 😭 ©Ram Yadav #पर्यावरण #भारत