Find the Latest Status about मानवेंद्र मुखोपाध्याय बांग्ला गान from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, मानवेंद्र मुखोपाध्याय बांग्ला गान.
KHEMPAL SISODIYA MOTIVATIONAL
Bhupendra Rawat
Red sands and spectacular sandstone rock formations अब अपने दर्द का इलाज़ किससे करूँ मैं अपने दर्द का बखान किससे करूँ थक चुका हूँ ख़ुद के जख्मों को सहलाते सहलाते मैं अपनी व्यथा का गान किससे करूँ ©Bhupendra Rawat #Sands अब अपने दर्द का इलाज़ किससे करूँ मैं अपने दर्द का बखान किससे करूँ थक चुका हूँ ख़ुद के जख्मों को सहलाते सहलाते मैं अपनी व्यथा का गान
Bhupendra Rawat
sunset nature शायद, पुरुष इसलिए कमजोर है, क्योंकि उसने निस्वार्थ, वर्षो तक अपने अंतर्मन की आवाज तथा व्यथा को आँसुओ के साथ कभी समाज के समक्ष आने नहीं दिया परंतु, स्त्री इसलिए मज़बूत है क्योंकि उसने समाज की साहानुभूती लेने के लिए कर दिया अपनी व्यथा का गान ©Bhupendra Rawat #sunsetnature शायद, पुरुष इसलिए कमजोर है, क्योंकि उसने निस्वार्थ, वर्षो तक अपने अंतर्मन की आवाज तथा व्यथा को आँसुओ के साथ कभी समाज के सम
Instagram id @kavi_neetesh
समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर एक सुभाष चालिसा का प्रयास: दोहा अष्ट शताब्दी वर्ष तक , यह भारत रहा गुलाम । कभी मुगल कभी गोरे , रहे शासन ये अविराम ।। चौपाई जय सुभाष तेरा अभिनंदन । चरण तुम्हारे कोटिशः वंदन ।। जय जय हे वीर भारत नंदन । चीख पुकार सुने तुम क्रंदन ।। मुगल शासन निरंतर कीन्हा । ब्रिटेन पुर्तगाल शासन लीन्हा ।। अठारह शताब्दी औ सत्तावन । गोरे बने थे कंस बालि रावण ।। READ IN CAPTION........ ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौकडिया छन्द रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ । बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।। जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग मनाओ । चंदन भाल लगाए हम सब , अवसर हमें दिलाओ ।। आने वाली है दीवाली , हर घर में खुशहाली । कोयल मीठे गान सुनाती , देखो डाली-डाली ।। धरती से अम्बर तक दिखती , देखो छटा निराली । आने वाले हैं जो जग में , वह हैं जग के माली ।। राहों में तुम फूल बिछाओ ,मिलकर धूम मचाओ । आने वाले है रघुनंदन , नगरी आज सजाओ ।। दुल्हन जैसी लगे अयोध्या ,गीत खुशी के गाओ । ढ़ोलक बाजे कान्हा नाचे , खुशियाँ सभी मनाओ ।। २७/१२/२०२३ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौकडिया छन्द रघुवर अपने घर आ जाओ , मातु साथ ले आओ । बरसो कर ली बहुत प्रतिक्षा , अब तो दरश दिखाओ ।। जायें जल घर-घर फिर दीपक , खुशियाँ संग
স্বান্তির পথ
Ravi Sharma
हर रथी को अपने रथ पे मान था है समर ही शेष बस ये भान था ।। क्रोध आंखों से टपकता दीखता बस समर में मृत्यु का ही गान था।। पक्ष और प्रतिपक्ष में स्वजन खड़े थे बस विधि का निष्ठुर, ये विधान था।। to be continued...... ©Ravi Sharma हर रथी को अपने रथ पे मान था है समर ही शेष बस ये भान था ।। क्रोध आंखों से टपकता दीखता बस समर में मृत्यु का ही गान था।। पक्ष और प्रतिपक्ष मे