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मयुर लवटे
चली गई दूर मुझसे कोई गम नहीं... सौं पटा लुंगा अच्छी तुझसे मै भी किसी राजकुमार सलीम से कम नहीं... अच्छा हुआ तु चली गई औकात 'तेरी पता चली मैने सोचा था तुझे अपनाकर बनाउंगा अपनी बेगम अनारकली... बात क्या थी बस थोडी बॉडी के लिये... बन जाता था तेरे लिये One of the Best GREAT खली... मयुर लवटे रौद्र रस कविता #Comedy #Love #locha #for #you
Insprational Qoute
काव्योगिता:-2 ------------------------------- नित नित मन मे उठी झंकार, रौद्र रूप नारी ने किया दुश्मनों का संहार, ममता की ये मूरत हैं,सबसे खूबसूरत हैं, लगाये बालों में गजरा,मानो लगती हैं कोई अप्सरा, #rzकाव्योगिता2 #rzकाव्योगिता #rzhindi #yqrestzone #रस:- 1:-रौद्र रस 2:-श्रृंगार रस 3:-वात्सल्य रस #अलंकार:-
Aditya Nigam
जब से मंत्री बन गए , बेटा चंदूलाल शान निराली हो गई , शुर्ख हो गए गाल शुर्ख हो गए गाल , न वोटर को पहचाने मां की रही न याद , बाप को बाप न माने हास्य रस कविता उदहारण
Anjaan Saraswat
युद्ध नाद ०००००००००००००० नाना अनुनय के शंद पढे़, हम याचनाएँ नित करते रहे, पर उसने एक ना मानी है! बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।। कमज़ोर पे उसने बल डाला, चहूं और है ऐसा छल डाला, कायर ने छाती तानी है, बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। कुदृष्टी ऐसी प्रबल डाली, सब बसुधा उसने खल डाली, नित करता वह नादानी है, बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। धम्भी ने जाल विछाया है, बच्चा-बच्चा थर्राया है, खुद को समझे नाफानी है, बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। वह कहता है 'भगवान हूँ मैं, ना माने तो, शैतान हूँ मैं, कोई ना मेरा सानी है', बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। कई बार है उसको चेत्ताया, हमने पुरज़ोर है समझाया, हाय कैसा वह अज्ञानी है! बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। हर जीव का उसने त्रास किया, मनु जीवन का उपहास किया, कैसा दम्भी अभिमानी है, बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।। ऐसे पौरुष का लाभ है क्या? डर कर जीने का भाव है क्या? समझो, तब व्यर्थ जवानी है, बस युद्ध हो ऐसी ठानी है। अब फैंसला इसी क्षण होगा, मिट्टी में मिट्टी तन होगा, जब वीर धरा पर उतरेंगे, अति घोर भयंकर रण होगा! ०००००००००००००००० कापि र० अंजान सारस्वत #अंजान#सारस्वत#कविता#वीर-रस