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R K
गुनगुना कर, गीत प्यार के यूं दूर ना जाया कर तेरी मौजूदगी ही, सप्त रागनी सी है ©R K # सप्त रागनी
Aman sharma
Ink and Pain दर्द होता है, रूह काप उठती है,सांसे भी टूट जाती है। ऐसी होती है एक फौजी की जिन्दगी जिसे दुनिया अन्जान रहती है । फौजी की जिन्दगी
Nitya Singh
एक फौजी के अर्द्धांगिनी की दशा.... सांसे थमने लगी थी मेरी , जब खबर आई कि सीमा पर हमला हुआ है मेरे नाड़ियों की शिराओं में स्पंदन शनैःशनैः शिथिल होने लगा था , मेरे हृदय की गति पर मेरी पकड़ ढीली पड़ने लगी थी ..... बहुत कोशिश पर फिर भी तुमसे जब सम्पर्क नहीं हो पाया तो अकस्मात मेरी उम्मीदों की किरण डूबने लगी थी... आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा था... आस-पास का कोलाहल मेरे कानों के पास आते ही दम तोड़ने लगा था .... कुछ पल के लिए मैं कोने में पड़ी रह गयी बेसुध सी बेजान सी... सब कुछ रुक गया सा लगने लगा था... मेरे मन की दशा का क्या कहूँ बेचैनी और एक जल बिन मीन सी छटपटाहट का अनुभव करते करते मैं अर्द्धजाग्रत अवस्था को पहुंच चुकी थी तभी दौड़ते हुए बाबूजी आये और बोले हमें अस्पताल जाना होगा ..... मुझे अम्मा ने उठाकर गाड़ी में बिठा दिया वहां पहुंचकर मैंने मेरी आँखों के सामने शहीदों को तिरंगे में लपेटने की तैयारी में जुटे लोगों को देखा ..... मैं धड़ाम से गिर पड़ी..... हाँ जख़्मी हुई थी मैं... लेकिन उस क्रूर विधाता की लेखनी से मिलने वाली चोट से.... कभी न भर पाने वाली चोट से ..... 😢😢अब और नहीं कह पाऊंगी कुछ..... - नित्या # फौजी की अर्धांगिनी
Anand Kumar Ashodhiya
देश की बेटी म्हारी बेटी तू किसके आगे हाथ जोड़ती, रो रो कर रही चीख पुकार लँगड़ा लूला पुलिस महकमा, आंधी बहरी है सरकार न्या मांगणिये बाड़े में बंद, आज भ्र्ष्टाचारी राज करैं जाँच कमेटी बिठा देइ न्या, करते करते आज करैं चौगिरदे कै पुलिस बिठया दी, ना क्याहे की ल्ह्याज करैं बब्बर शेर भी बेबस होग्ये, कित लग चिड़िया बाज मरैं देश की शान बढ़ावण आले, आज हो रहये सैं लाचार बिका हुआ दलाल मीडिया, चुपका सा तमाम होग्या आँख पे पट्टी मुँह पे टेप, सरकारी गुलाम होग्या यौन शोषण का दोषी आज, मीडिया का राम होग्या दबंगई कर नेता बणग्या, न्यू समझे भगवान होग्या भाण और बेटी लगी दाँव पे, यो कौरव का दरबार कौम की बेटी इज्जत खातिर, रो रो कै नै डकराती जिगरे आले सत पुरुष ही, सच के बणैं हिमाती स्वाभिमान, ज़मीर की खातिर, हो वज्जर कैसी छाती देश की बेटी, म्हारी धरोहर, इज्जत ही तो कहलाती ना जाति, ना प्रभुत्व भरो, इज्जत की हुंकार दागी नेता, भ्रष्ट प्रशासन, ना होती काररवाई न्या पावण की खातिर बेटी, भरती फिरें तवाई खरदूषण लाईलाज बीमारी, करणी पड़ै दवाई आनन्द शाहपुर उठ खड़या हो, क्यूँकर करै समाई दो हर्फी है माँग हमारी, हो खरदूषण गिरफ्तार रचयिता : आनन्द कुमार आशोधिया@कॉपीराइट ©Anand Kumar Ashodhiya देश की बेटी म्हारी बेटी - हरयाणवी रागनी। #हरयाणवी #हरयाणवी_रागनी