Find the Latest Status about पाशविकता पर्यायवाची from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पाशविकता पर्यायवाची.
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्यायवाची नाम है।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता, आनन्द ही भगवान श्री कृष्ण जी का पर्य
निशब्द
Anil Ray
..............किताबें-जिंदगी का हरेक पृष्ठ कलम के आँसूओं में डूब गये.............! ..….........हे जिंदगी! जब से तुमको हम बस अल्फाज़ों में है लिखने लगे..........! .......निज स्वरूप से परे मिथ्या किरदार शख्स निजस्वार्थ में प्रयासरत रत है.....! सत्य-पृष्ठभूमि परेशां धूमिल झूठे पन्नों से खुली किताब को बयां होने में वर्षो लगे.! ज़िन्दगी किताब! का रचयिता नाटककार नेपथ्य से सारा नाटक पात्रों से कराता है! .....सारा नाटक खेलकर भूमिका अजीब इस मिट्टी शरीर को मिट्टी समाने लगे.....! ....अनिल नाटक ही सही किताबें-जिंदगी हर किरदार स्वर्णिम स्याही से प्रकाशित..! ...पन्नों में हो इतिहास बयां जमाने के लिए लिखने-पढ़ने में किताब को काल लगे....! ©Anil Ray ❣️✍🏻.. अखबारी मेरी मृत्यु-ख़बर हो ..✍🏻❣️ ज़ख्म देकर असहनीय दर्द दिया जिंदगी आपने इस दर्दे-दिल से भी, तेरा सदा शुक्रिया अदा हो। पाशविकता मे
Ravi Shankar Kumar Akela
दुनिया की क्या परिभाषा है? दुनिया यदपि अरबी शब्द है परन्तु हिन्दी में धड्ल्ले से प्रयोग होता है। यह एक संज्ञा शब्द है तथा स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होता है। इसके समानार्थक शब्द हैं जगत ; संसार ; आलम, जीव समष्टि, पृथ्वी तथा ब्रह्माण्ड आदि के लिये प्रयुक्त होता है। वस्तुत: दुनिया: इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों; जिनमें मनुष्य भी शामिल है को मिलाकर इस ग्रह की कुल प्राकृति दुनिया कहलाती है। दुनिया शब्द संसार का पर्यायवाची है। दुनिया का अर्थ संसार से ही है तथापि दोनों में भिन्नता है। संसरति इति संसार: 'संसरति इति संसारः'—अर्थात जो लगातार गतिशील है, वही संसार है। भारतीय चिंतनधारा में जीव, जगत और ब्रहम पर पर्याप्त विचार किया गया है। संसार का सामान्य अर्थ विश्व, इहलोक, जीवन का जंजाल, गृहस्थी, घर-संसार, दृश्य जगत आदि है। वस्तुत: संसार के अर्थ में कर्म व पुनर्जन्म की अवधारणा है। किन्तु दुनिया शब्द मे ऐसा नहीं है क्योंकि वे लोग अरबी लोग कर्म व पुनर्जन्म मेम विश्वस नहीं करते हैं। यहूदी और उनसे निकले धर्म पुनर्जन्म की धारणा को नहीं मानते। मरने के बाद सभी कयामत के दिन जगाए जाएंगे अर्थात तब उनके अच्छे और बुरे कर्मों पर न्याय होगा। ©Ravi Shankar Kumar Akela #chandrayaan3 दुनिया की क्या परिभाषा है? दुनिया यदपि अरबी शब्द है परन्तु हिन्दी में धड्ल्ले से प्रयोग होता है। यह एक संज्ञा शब्द है तथा स्त
Ravi Shankar Kumar Akela
इसके समानार्थक शब्द हैं जगत ; संसार ; आलम, जीव समष्टि, पृथ्वी तथा ब्रह्माण्ड आदि के लिये प्रयुक्त होता है। वस्तुत: दुनिया: इस पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों; जिनमें मनुष्य भी शामिल है को मिलाकर इस ग्रह की कुल प्राकृति दुनिया कहलाती है। दुनिया शब्द संसार का पर्यायवाची है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #chandrayaan3 इसके समानार्थक शब्द हैं जगत ; संसार ; आलम, जीव समष्टि, पृथ्वी तथा ब्रह्माण्ड आदि के लिये प्रयुक्त होता है। वस्तुत: दुनिया: इस
Ravi Shankar Kumar Akela
देशभक्ति, किसी देश, राष्ट्र या राजनीतिक समुदाय के प्रति लगाव और प्रतिबद्धता की भावना । देशभक्ति (देश के प्रति प्रेम) और राष्ट्रवाद (किसी के राष्ट्र के प्रति वफादारी) को अक्सर पर्यायवाची माना जाता है, फिर भी देशभक्ति की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी में राष्ट्रवाद के उदय से लगभग 2,000 साल पहले हुई थी। फ्रेंको-जर्मन युद्ध ©Ravi Shankar Kumar Akela #Yaari देशभक्ति, किसी देश, राष्ट्र या राजनीतिक समुदाय के प्रति लगाव और प्रतिबद्धता की भावना । देशभक्ति (देश के प्रति प्रेम) और राष्ट्रवाद (क
Anil Ray
पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स्वरुप धारण कर पाशविकता में परिवर्तित... पुरुष सत्ता ही स्त्री शक्ति से श्रेष्ठ है...! और पुरुष सत्ता के समर्थक सदैव ही इसी रूप का अन्यायोचित उपयोग सतत रूप से सदियों से प्रचलित भी है। परन्तु...पुरुष हर्षोल्लास से खुशी मनाये वह सदा ही विकास क्रम में स्त्रियों से पिछड़ा हुआ अविकसित व विकासशील है। जिस दिन पुरूष सच में विकास प्राप्त कर पुरुषोत्तम स्वरुप में होगा वह स्त्री ही है। दरअसल वात्सल्य, प्रेम, दया एवं कोमलता से ही इस सृष्टि का संरक्षण सम्भव है और यह सब स्त्रियों के सद्गुण है पुरुषों के नही। स्वभाव का एक ओर नाम है प्रकृति..और जिसकी प्रकृति विकृत उसकी सृष्टि भी। अजीब है ऐसी विकृत मानसिकता वाले लोग इस महासृष्टि से अपना एकाधिकार चाहते है। जो पुरुष किसी स्त्री की आबरू को संरक्षण नही देता अथवा प्रयास ही नही करता है... वह पुरुष माँ का पुत्र, बहिन का भाई या फिर पत्नी का पति अथवा क्या महिला-मित्र कहलाने का न्यायिक अधिकारी है??? दोस्तों बंदिशें चारदीवारों की नही है चारदिवारी में बंद तहज़ीब की है वरना.. यह सृजन प्रकृति तो अपनी हैसियत गर्भावस्था के दौरान भी दिखा सकती है तुम साहस को अपनी निजी सम्पत्ति का ख्याल भी मन से निकाल फेक दो... अगर स्त्री प्रकृति है तो क्यों नही पुरुष इस प्रकृति में समर्पित भाव को लेकर पूर्णतः स्वयं को समाहित कर दे ताकि सृष्टि सुरक्षित और रमणीय रहे सदा। ©Anil Ray 🩷🩷🩷 स्त्री प्रकृति या प्रकृति स्त्री 🩷🩷🩷 पुरुष की एक संज्ञा उसका पौरुष और अदम्यता से परिपूर्ण अद्भुत साहस है। यह साहस अतिश्योक्ति और दुष्स
Vedantika
माधव की मैं प्रेम दीवानी हुई दुनिया में बदनाम केशव ने जो थाम लिया तो भय का क्या काम गिरधर ने मेरे हर गम को अमृत बना दिया मोहन की बांसुरी की धुन ने मरहम लगा दिया गोपाल के चितवन से पराजित हुआ है चित्त वसुदेव की मुस्कान पर विश्व हुआ मदमस्त नमस्कार मित्रों 🙏 (शुरू करो चौथा पड़ाव लेकर प्रभु का नाम) काव्य संग्रह प्रस्तुत करता है "मेरी व्याकरण यात्रा" *चौथा पड़ाव* इस पड़ाव के न
Kulbhushan Arora
स्नेह की रौशनी ,*सु*मन...स्नेह पर्यायवाची हैं, सुमन स्नेह के दिए की बाती है, हर बुझे मन में स्नेह दीप जलाती, दुख में भी सबको मुस्करान सिखाती, मन में किसी क
Anil Ray
क्या लिखे अब अनिल तुझे कहानी.. तेरे किरदार जो बाजार में सरेआम बिकते है। ©Anil Ray ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 बहुत दर्द दिया है यें जिंदगी तुमने तहेदिल से तेरा, शुक्रिया अदा हो। पाशविकता में बसर, होता जीवन दर्द हमसफ़र बनकर न आया