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Arora PR
White मैंने पूछा था एक बार उस नन्हें परिंदे से आखिर तुम क्या हासिल करना चाहते हो इतनी ऊँची उड़ाने भर कर? परिंदे ने कहा.... ऊँची उडानो मे पँख फड़फड़ाने क़ा मज़ा बिलकुल अलग हैं लेकिन तुम इंसान लोग ये बात नहीं समझ सकते वास्तविक बात तो ये हैं कि उन ऊंचाइयों पर हमें मुक्ति बोध का अहसास होता हैं जो जीवन का सबसे बड़ा आनंद हैं..... ©Arora PR मुक्ति बोध
Shivkumar
देवी सिद्धिदात्री सिद्धिदात्री हैं नवम, माँ दुर्गा अवतार I अभिलाषा पूरी करें, देवी बारम्बार II . कल्याण हेतु ही रखा, सिद्धिदात्री नाम I विधि विधान से सब करें, पूजन के हर काम II . शिव के आशीर्वाद से, अष्ट-सिद्धि कीं प्राप्त I धन-बल-यश से युक्त माँ, चहुँदिश में हैं व्याप्त II . माँ का आसन है कमल, रहती सिंह सवार I चक्र, गदा कर दाहिने, करे दुष्ट संहार II . शंख, कमल धारण किए, अपने बाएँ हाथ I शांति, धर्म, सत्कर्म का, देवी देती साथ II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I देवी को प्रिय बैंगनी, इसमें नहीं विवाद II . सिद्धिदात्री साधना, जो भी करता संत I कुछ रहता अगम्य नहीं, करे अवरोध अंत II . शिव के अर्द्ध शरीर में, शामिल देवी मान I जागृत बोध असारता, जो भी करता ध्यान II . देवी मंगल दायिनी, शिव का यह वरदान I सभी कार्य में सफलता, भक्तों करे प्रदान II . पूजन में अर्पित करें, मधु, फल-पुष्प सुगन्ध I देवी भक्तो प्रति रखे, प्रेमपूर्ण सम्बन्ध II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #नवरात्रि #Nojoto देवी सिद्धिदात्री सिद्धिदात्री हैं नवम, #माँ दुर्गा अवतार I अभिलाषा पूरी करे
Devesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
AYUSH SINGH
White सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग रूठे रूठ जाए। उलटी गति सीधी हो न भले, प्रति जन की दाल गले न गले, टाले न बान यह कभी टले, यह जान जाए तो ख़ूब जाए। ©AYUSH Kumar सुख का दिन डूबे डूब जाए। तुमसे न सहज मन ऊब जाए। खुल जाए न मिली गाँठ मन की, लुट जाए न उठी राशि धन की, धुल जाए न आन शुभानन की, सारा जग र
Shashi Bhushan Mishra
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. क्षमता बोध ज़रूरी है, कुछ गतिरोध ज़रूरी है, मजबूती की ख़ातिर ही, कुछ अवरोध ज़रूरी है, चलो मनायें रूठा यार, कुछ अनुरोध ज़रूरी है, आए काम डराने में जो, फिर तो क्रोध ज़रूरी है, नई सोच दिखलाने को, हर दिन शोध ज़रूरी है, ख़तरा बन मंडराये कोई, फिर प्रतिशोध ज़रूरी है, निर्णायक नेतृत्व चुनेंगे, 'गुंजन' प्रबोध ज़रूरी है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #क्षमता बोध ज़रूरी है#
Shaarang Deepak
Praveen Jain "पल्लव"
Vishnu Bhagwan पल्लव की डायरी नारी अब स्मार्ट और हाईटेक कर्तव्य बोध उसे नही सुहाता है संस्कारो की जननी को पति परमेश्वर का धर्म नही आता है बाजारबाद के चक्रव्यूह में फँसकर बराबरी का बोध उसे कराया जाता है लज्जा शर्म और ममता सब खो गयी लक्ष्मी स्वरूपा का खिताब उसका अंग प्रदर्शन और विज्ञापनो से लजाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #vishnubhagwan कर्तव्य बोध उसे नही सुहाता है #nojotohindi