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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी समग्रता चढ़ जाये परिग्रह की भेंट व्यक्तिवाद का पोषक होता है अनेकान्तवाद से देखो हर पहलू परिभाषित देश समाज परिवार सुरक्षित होता है हिंसा के खुले कितने द्वार और मनोभाव है जिससे डरा सहमा मानव रहता है विध्वंसक और अराजक हो व्यवस्थाये तब बम विस्फोटों से ज्यादा कालकवलित जनमानस होता है बिना अहिंसा धारण किये,शांती मार्ग सुलभ नही है कर्मकाण्ड की कीमत पर,भगवदस्वरूप प्रकट नही है मूर्ति की कोई कीमत नही,जब तक मूर्तिमान का ह्रदय के समक्ष अवतरण नही होता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #God जब तक मूर्तिमान का ह्रदय के समक्ष अवतरण नही होता है #nojotohindi
bhim ka लाडला official
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१ कैसे कह दूँ मैं यहाँ , अलग-अलग है वंश । हमको सब में हैं मिलें , यहाँ राम के अंश ।।२ रघुवर ही घनश्याम है , कर ले अब पहचान । तुझमें भी तो हैं वही , क्या कहता इंसान ।।३ बाल काल्य पग चिन्ह तो , मिले अयोध्या धाम । तू छूकर अब स्पर्श कर , चरण वही श्री राम ।।४ आज अयोध्या के नगर , का दुल्हन सा रूप । जिसके राजा राम जी , कहलाते है भूप ।।५ राम लला के नाम से , सजा अयोध्या धाम । जहाँ वनों के वृक्ष भी , सुनो उकेरे राम ।।६ सूरत खुशियों की कभी , बड़ी नहीं है देख । छोटी खुशियाँ दे बदल , सुन किस्मत की रेख ।।७ २८/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- राम-राम जपते रहो , मिलें सदा आराम । राम नाम के भक्त तो , करे नहीं विश्राम ।।१
Ravendra
अदनासा-
Ravendra
vandana,s hobby & crafts
vandana sahu ©vandana,s hobby & crafts ##अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी को ##nojoto #
~Bhavi
"हर एक बात हर एक सवाल हल करने के लिये ही नहीं होता, कुछ बातें और कुछ सवाल छोड़ देने चाहिये! हर एक सवाल का उत्तर खोजना या तर्क वितर्क कर के स्वयम् में प्रश्नवाचक चिन्ह लगाना सही नही.....!!" ©~Bhavi "हर एक बात हर एक सवाल हल करने के लिये ही नहीं होता, कुछ बातें और कुछ सवाल छोड़ देने चाहिये! हर एक सवाल का उत्तर खोजना या तर्क वितर्क कर के स
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