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Mysterious Girl
Parastish
मेरी ख़्वाहिशों को भी इक जहाँ मिल जाता मैं जहाँ ठहरी रही तू अगर वहाँ मिल जाता मुश्किल होता सफ़र या पुर ख़ार होती डगर तू साथ होता अगर तो ग़म कहाँ मिल जाता न खोती ही मंजिल और न भटकती मैं राहें तू साथ चलता तो नक़्शो-निशाँ मिल जाता तुम मेरी भी जानिब जो रखते अपने क़दम चिराग़ अँधेरे को मानो मेरी जाँ मिल जाता नादां हो परस्तिश' कि चाह-ए-क़ल्ब की थी इक जुगनू को कैसे पूरा आसमाँ मिल जाता ©Parastish पुर-ख़ार - काँटों भरी नक़्शो-निशाँ - नक्शा, चिन्ह जानिब - तरफ़ चाह-ए-क़ल्ब -चाँद की चाह #parastish #Poetry #Shayari #nojotohindi
कवि राहुल पाल 🔵
Poonam bagadia "punit"
अदनासा-
Gaurav Christ
Pushpvritiya
कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में जाकर जड़ से तुमको सींचना.. मन वचन धरण नव अवतरण सब अपने भीतर भींचना..... रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम, भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..! मेल असंभव क्यूँ हम तुम का, इस पर उत्तर रखूँगी....!! पुछूँगी कि किए कहाँ वो भाव श्राद्ध कोमल कसीज, खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ बोया गया था दंभ बीज... उस नर्म धरा को पाछूँगी, मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!! मैं ढूंढूँगी वो वक्ष जहाँ, स्त्रीत्व दबाया है निज का, वो नेत्र जहाँ जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....! प्रकृत विद्रोह तना होगा, जब पुत्र पुरुष बना होगा..... मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, कोमलताएं तलाशूँगी, उन कारणों से जुझूँगी.... मैं तुमको जीना चाहूँगी......!! अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व, श्रेयस जो तुमने ढोया है... और यूँ पुरुष को होने में कितने तक निज को खोया.....! कदम कठिन रुक चलते चलते कित् जाकर आसान हुआ, हृदय तुम्हारा पुरुष भार से किस हद तक पाषाण हुआ.....!! मैं तुममें अंगीकार हो, नवसृज होकर आऊँगी, मैं तुमको जीना चाहूँगी........ फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में
Archana Tiwari Tanuja
जलन :- ********** धधकती है आग नफ़रत की! होती है जलन। नफ़रतों के बीच होता न भाई चारे का मिलन। मजहबी बातों की दीवार बना कर सब बैठे हैं, इंसानियत भी घुटती रही होती है कैसी चुभन? चहुं दिश क्रूर भ्रष्टाचार ने है अपने पांव पसारे, इक दूजे पे करते हैं दोषारोपण ये कैसा अमन? चाहता है ये दिल इक ज़मीं-आसमां का साया, अमन-ओ-चैन भरा हुआ खूबसूरत इक चमन। क्यों सहें? कब तक सहे पक्षपात की मार हम? बहुत किया सबर हमने अब न होता है ये सहन। जब एक है धरती!एक हैं नदियां पर्वत सारे ही, लहराता हमारा गौरव चिन्ह तिरंगा नील गगन। सब में ही होता है एक ही प्राणवायु का संचार, भेद न करती जाति धर्म का! संजीवनी पवन। भारत भूमि की है हम सब संतानें हैं गर्व हमें, हृदय की गहराई से करते कोटि-कोटि नमन। तनुजा प्यार से सवारों इसे ये है वतन अपना, बुझा दो ईर्ष्या-द्वेष की लगी है भीषण अगन। अर्चना तिवारी तनुजा ©Archana Tiwari Tanuja #IndiaLoveNojoto #Nojoto #NojotoHindi #jalan #hindiwriters #MyThoughts #viarl #kavita #NojotoFilms 15/07/2023 जलन :🔥🔥-🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 ********