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kvitt_kalash
किससे कहूं अपनी विकल चित्त की गाथा हर शख्स यहां बीमार बैठा है @कवित्त कलश गाथा
Chintoo Choubey
ये आवाजें, रोने की, ये आवाजें, सूखे आंखों की, सिसकियां न्नहों की, बुजुर्गों के लाचारियों की, मौत नहीं है ये, ये अपनी ही गाथा है, जिसको आज कोई नहीं अपनाता है, भटका है इंसान यहाँ, भटकी हुई रुहें है, जिंदा यहाँ पर कोई नहीं, गुजारी हुई बस तस्वीरें हैं, अपनी गाथा
KK Chanchal
ए जिंदगी मुझे तू तन्हाई दे,। खुश रहे मुझसे जलने वाले,। ऐसी उन्हें बधाई दे,। मुझे तो गम में जीने की आदत सी हो गई है,। अगर इससे भी मन ना भरे तो मुझे इस जिंदगी से विदाई दे।। ©KK Chanchal मेरी गाथा
Ajay Keshari
#सुनी_सुनाई_बातें भी, भर देती रंग है जीवन में.! वीर गाथा की बातें सुनकर, वीरों जैसा बनते है.! गांधी जी की बातें सुनकर, फ़र्ज की ख़ातिर लड़ते है.! चंद्रशेखर की गाथा सुनकर खून में भर दें ज़ोश है.! भगत सिंह की रंग दे बसंती, ड़रने को नही कहती है.! सुभाषचंद्र की गाथा पढ़कर, देश की खातिर लड़ते है.! आज़ादी के वीरों की हम गाथा, आज भी पढ़ते है.! हमें विरासत मिली आज है, कितनों के शीश चढ़े है.! #अजय57 वीर-गाथा
Mahesh Lokhande
बलिदानाची गाथा रक्ताच्या शाईने लिहिली बलिदानाची ज्यांनी गाथा सदैव चरणी त्यांच्या विनम्र माझा माथा भारतभू माझी आई जर पाहील कोणी वाकडे त्याच्या देहाचे करीन मी शतशः तुकडे ती देते अन्नपाणी खनिजे सर्व संपत्ती तिजवर येता आपत्ती देहाची ही देईन आहुती स्वातंत्र्याच्या यज्ञकुंडी दिली ज्यांनी आहुती बलिदानाने फुलली आहे स्वातंत्र्याची ज्योती त्या ज्योतीला अखंड तेवण्या त्यागाचे तेल ओता कवी- महेश लोखंडेसर बलिदानाची गाथा
Pragati Ankam
हर व्यक्ति का रास्ता अलग अलग लिखा जाते हैं किंतु यह भाग्य का खेल है कि हमारा कुछ लोग से हूबहू रस्तो पर मुलाकात हो जाता हैं| जीवन गाथा|
Paban Lodha
चाँद की रोशनी में कुछ यूँ तुम साथ रहो हम तुम्हारे साथ रहे एक दुसरे के आगोश में बक्त गुजरने की फिक्र न रहे न जुदाई की फिक्र चांद की रोशनी में प्रेम गाथा
kavi shubham shrivastava
"विजय गाथा" ले देख की हमने दिखा दिया, औकात तुम्हारी क्या है , तूने हम को दिखलाया था जब, जात तुम्हारी क्या है । कैसे भूल सकेंगे हम सेना के बलिदानों को -2 दिन में तो होंगे अब घने अंधेरे, देख कि रात तुम्हारी क्या है ।। ले देख की.......... हम तो थे दुनिया में ,अपने प्रेम से बात जताते थे , मानवता है अपना कर्त्तव्य,सब को यह समझाते थे । पर तुमने हमको विवश किया, रुद्रावतार में आने को -2 जो पीठ पे तुमने वार किया ,कहते जज्बात तुम्हारे क्या है ।। ले देख की............ पुलवामा में तुमने धोखा देकर ,ये है गुनाह किया किसी की राखी, किसी का सिंदूर तूने ही तो तबाह किया मां की सूनी आंखों में, इंतजार हमेशा रहेगा अब -2 क्या आती है शर्म तुम्हें, बतलाओ ज़कात तुम्हारे क्या है ।। ले देख के ............. पाक ही होके जब तूने नापाक ये हरकत कर ही दी, हमने भी सीने पर चढ़कर तेरे गोली भर ही दी । आज मनाता विजय दिवस मैं ,सबसे यही मैं कहता हूं अगर हम सब एक रहें तो ,ढूंढ ही लेंगे काट तुम्हारी क्या है ।। ले देख की ............ सन 65 हो या 71 ,कितनी बार तुझे समझाएं हम , लड़ा नहीं करते कुत्ते शेरों से, तुझको यह बतलायें हम । अभी तो बस कुछ बम ही गिरे हैं ,अभी कहानी बाकी है अभी तो तेरे यहां से ,लाशों की बारात निकलना बाकी है ।। जिस दिन हमने ठान लिया ,लाहौर में तिरंगा फहरेगा -2 पर तुझ जैसे हम गिरे नहीं की , इतने भी गिर जाएं हम ।। सुन ले आखिरी बार तू युवा खून ये बोल रहा -2 इतना जलील तो तु हो ही चुका ,बता कि मरजात तुम्हारी क्या है ।। ले देख कि हमने दिखा दिया औकात तुम्हारी क्या है तूने हमको दिख लाया था जब जात तुम्हारी क्या है ।।।। शुभम श्रीवास्तव #NojotoQuote ""विजय गाथा"" .....