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Hrishabh Trivedi
THE GAME (Full Story) 😊Read in caption😊 Note:- पूरी पढ़िएगा, जब भी समय मिले और हो सके तो इसे विजुअलाइज करने की कोशिश कीजिएगा। मुझे भरोसा है आपको पसंद आएगी। पहली बार इस तरह का कुछ ट
DR. SANJU TRIPATHI
साथ निभाना जन्मों-जन्म, हर जनम में बनना सिर्फ मेरी ही बहना। हम याद रखेंगे, तेरी सारी नादानियां, रूठना, मनाना और सताना। दुनियां के रीति-रिवाजों में फंस कर, रिश्ता हमारा भूल ना जाना। सबसे पवित्र पावन रिश्ता है अपना, हर हाल में इसको निभाना। मिले चाहे खुशियां या गम, हमको छोड़कर कभी भी मत जाना। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 18 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
रात के अंधेरों में खेल रहे हैं, चांद और सितारे सारे आसमान के बगीचे में। खिलकर चांद की चांदनी भी, चांदनी अपनी बिखेर रही है हमारे आंगन में। जुगनू भी टिमटिमा रहें हैं सब, झिलमिल रोशनी भी आ रही है झरोखों से। मदहोश हवाओं ने नींदें उड़ा रखी हैं, बेचैन है दिल अब आ जाओ कहीं से। जज्बात बहक रहे हैं, आगोश में तेरे आने को, आकर हमको लगा लो गले से। दिल से चाहते हैं तुमको, तुम हमारे बन जाओ, तुम्हारे लिए लड़े जाएंगे खुदा से। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 18 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 02 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
बचपन था जैसे प्यारा सुंदर सपना सलोना, रहता था हाथ में हरदम छोटा सा खिलौना। जब भी याद आती है बचपन की यादें सब, भर जाता है खुशी से दिल का हर एक कोना। बड़ी याद आती है वह अंजानी नादानियां, करते रहते थे हम जाने कितनी अठखेलियां। बेफिक्री की जिंदगी जीते थे ना था कोई गम, खेलते थे सब मिल ना होता था कोई भेदभाव। बैठ कर खाते पीते थे सब संग में मिलकर, ना जानते थे कोई जात- पात, ऊंचा -नीच। बचपन में दोस्तों से लड़ते झगड़ते रहते थे, फिर मान जाते, सब भुलाकर संग खेलते। काश हमें हमारा बचपन वापस मिल जाता, हम बन जाते बच्चे और सब वैसा हो जाता। -"Ek Soch" सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 18 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
सुनहरी पीली, चटकीली नीली, नारंगी, रंग- बिरंगे रंगों से भरी होती है सारी तितलियां। पंख सजीले, कोमल-कोमल, इन्द्रधनुष से सतरंगी, कितनी सयानी होती है तितलियां। गुनगुन-गुनगुन गाती हैं, फूल-फूल पर जाती हैं, मीठा-मीठा रसपान करती है तितलियां। बागों में रहती, करती अठखेलियां, इठलाकर इधर-उधर बस उड़ती फिरती हैं तितलियां। सबके मन को भाती हैं, इस बगिया से उस बगिया तक धूम मचाती रहती हैं ये तितलियां। पंख नचाती, सबको लुभाती, पकड़ने जाओ तो फुर्ररर से उड़ जाती हैं, मतवाली तितलियां। सारी बंदिशों को तोड़ कर, आजादी से हमको जीना सिखलाती, अद्भुत हैं ये तितलियां। सुनती ना किसी की, करती मनमानी, परियों की शहजादी सी हैं, प्यारी-प्यारी तितलियां। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 17 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
मोहब्बत-ए-मुमताज की याद में, शहंशाह शाहजहां ने इसको बड़े शौक से बनवाया। ताजमहल की खूबसूरती विश्व की धरोहर है, भारत के सात अजूबों में है स्थान पाया। सच्ची मोहब्बत की हसीन निशानी है, लगता है धरती पर जन्नत का नूर है उतर आया। ताजमहल की बुनियाद ही इश्क है, इसीलिए दुनियां के आशिकों के दिल में समाया। संगमरमर में समाए हुए ख्वाबों की कसम, हमको ताज में अपना महबूब नजर आया। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 16 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
जय मां दुर्गा मातु भवानी, जग की तुम ही हो मंगल-मुद-सिद्धि कल्याणी। तुम ही हो भुक्ति-मुक्ति-दायिनी,ब्रहम स्वरूपा, भवतारिणी और भयहारिणी। ताप तिमिर को हरने वाली डाकिनी, शाकिनी समेत भूत पिशाच भगाने वाली। तुम ही हो आदि, अनादि, अनामय, अविचल, अविनाशी तुम ही हो आनंदराशी। जय महेश भामिनी,अनेक रुप नामिनी, तुम ही तो हो समस्त लोक की स्वामिनी। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 15 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
बीमारी के क्षणों में धरती पर ईश्वर से पहले, आपको ही सब याद करते। जान बचाने के लिए बीमार की ईश्वर के बाद, आप पर ही विश्वास करते। अमीरी-गरीबी,जात-पात के बंधन से परे सबका, समभाव से इलाज करते। दंगा या दुर्घटना,लाइलाज बीमारी हो या सर्दी-जुखाम रात-दिन तत्पर रहते। हमारी सेवा करना आपका काम, हम आपका सम्मान तहे दिल से करते। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 14 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स
DR. SANJU TRIPATHI
सुख-दु:ख के सारे मौसम संगीत में बसते, जीवन नीरस होता है गर जीवन में संगीत के रंग ना हो। संगीत जान है, मन का आंगन सूना और बेजार है गर सरगम के सुर न छिड़े दिल के साजों पर। बारिश की रिमझिम में,लहरों में,हवाओं में, सांसो में,धड़कन में,संगीत है कुदरत के कण-कण में। संगीत दिल के अंदर की पीड़ा को भुलाकर, खुशियों से दिल के तारों को छेड़, सुरमई बना देता है। संगीत हर मर्ज की दवा है, महफिल में चार चांद लगा हसीन कर, आत्मा और रुह को जगा देता है। सम रूल्स ** यह प्रतियोगिता 13 है । ** कोलैब ऑक्शन कृपया ऑफ करें आप लोग कोलैब करने के बाद । ** समय - दोपहर के 01 : 30 बजे तक कोलैब कर स