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अभिलाष सोनी

ऐ इंसान तू क्या इस प्रकृति का विकास करेगा। तुझको तो मैंने देख लिया, तू हरपल ही विनाश करेगा। तेरे जरूरतें कभी पूरी ना होंगी, तू न कभी विश्वा #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #ख़यालोंकीउथलपुथल #KKसवालजवाब #अल्फ़ाज़_ए_साहिल #KKसवालजवाब1

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     ऐ इंसान तू क्या इस प्रकृति का विकास करेगा।
तुझको तो मैंने देख लिया, तू हरपल ही विनाश करेगा।

तेरे जरूरतें कभी पूरी ना होंगी, तू न कभी विश्वा

Ek villain

#प्रकृति का संरक्षण #selfhate #Society

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जब मैदान रखते हैं तो लोग हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों की ओर रुख करते हैं लेकिन इस बार स्थिति भिन्न है अभी तक पर्यटक की आम आदमी उत्साहवर्धक नहीं मार्च में ही तापमान में बढ़ोतरी हो गई मौसम विभाग का तो कई जिलों में गर्म हवा चलने का पूर्व अनुमान है जिससे वैश्विक तापन बढ़ने के कारण ही उत्पन्न हो रही है यह लोग के भविष्य के प्रति भी सचेत करता है विकास के नाम पर प्राकृतिक से खूब चर्चा हुई है इस पहाड़ भी अछूत नहीं रहे हरियाली होती थी अब वहां बड़े-बड़े वन खड़े हो गए हैं मौसम चक्र भी पूरी तरह बदल गया सर्दियों में बर्फ गिर रही है और बरसात में बारिश कम हो रही है गर्मी बढ़ने से गले सर भी तेजी से पिघल रहे हैं नदियों में पानी की आवक अधिक हो गई है यह अलग बात है कि नदी में पानी की अधिक से बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है इससे आगामी दिनों में बिजली की कमी से नहीं जुड़ना पड़ेगा लेकिन इसे पढ़ सकते हैं गर्मी बढ़ने के साथ ही कई क्षेत्रों में पेयजल की कमी हो गई है लेकिन कुछ दिन बाद नहीं किया जा सकता गर्मी बढ़ने से भोजन का अधिक उपयोग होने लगेगा जिन स्थानों पर सिंचाई की सुविधा नहीं है वहां फसलें सूखने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है सहित कई फलदार पौधे फूल लगाने आदि होने होंगे

©Ek villain #प्रकृति का संरक्षण

#selfhate

manoj kumar jha"Manu"

वनस्पतियों का संरक्षण करें।

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परोऽपि हितवान् बन्धु: बन्धुरप्यहित: पर:।⁣
अहितः देहजो व्याधि: हितमारण्यमौषधम् ॥⁣
(⁣हितोपदेश)

बीमारियाँ हमारे शरीर के भीतर रहते हुए भी हमारा बुरा करती हैं और औषधियाँ (जड़ी-बूटियाँ) हमसे दूर पेड़-पौधों में  रहकर भी हमारा भला करती हैं
 
(अर्थात् व्याधियाँ हमारे दुश्मन हैं और औषधियाँ मित्र)। 

इसी प्रकार से जिनसे हमारा रक्त का सम्बन्ध अर्थात् किसी प्रकार की रिश्तेदार न हो किन्तु वह हमारा हित करे तो वे अपने होते हैं और यदि रिश्तेदार होकर भी कोई हमारा अहित करे तो वह पराया होता है।⁣ वनस्पतियों का संरक्षण करें।

manoj kumar jha"Manu"

प्रकृति का संरक्षण करें।

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पौधों और वृक्षों को तोड़ना कदापि उचित नहीं, चाहे वे अपवित्र स्थान पर क्यों न उगते हों, क्योंकि जो वृक्ष फल देते हैं और जो पौधे फूलों को उत्पन्न करते हों, वे कभी दूषित नहीं होते।

बौधायन स्मृति
(१/५/४) प्रकृति का संरक्षण करें।

Amit Sir KUMAR

प्रकृति का संरक्षण ... #EnvironmentDay2021 #विचार

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Environment पर्यावरण को बचाने के लिए  पुरी मनुष्यता के पास अब केवल एक ही मंत्र है,"मुड़ो प्रकृति की ओर "।
जिस प्रकार  से मनुष्य जाति ने, प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया है, उसी के परिणाम स्वरूप आज पुरी प्रकृति का संतुलन बिगड़ चुका है, और मनुष्य के साथ-साथ,
पृथ्वी के संपूर्ण प्राणियों का जीवन, संकट में है ।
अब पुरी मनुष्य जाति का यह उत्तरदायित्व है,कि प्रकृति के साथ संतुलन को फिर से स्थापित करे,टेक्नोलॉजी को इस तरह बनाया जाए कि वह पर्यावरण को संरक्षित और बेहतर कर सके।एक काम जो हम सभी कर सकते हैं, अधिक से अधिक वृक्ष लगाए,हर महत्वपूर्ण अवसर पर, चाहे वह किसी कि शादी हो, किसी का जन्मदिन या फिर बच्चे का जन्म, हर महत्वपूर्ण अवसर पर, एक वृक्ष अवश्य लगाए ।
 "धन्यवाद "

©Amit Sir KUMAR प्रकृति का संरक्षण ...

#EnvironmentDay2021

VINOD VANDEMATRAM

#vTp प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करें।

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Ek villain

#dost #हमें संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए #Society

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संसाधनों से संपन्न होने का यह अर्थ नहीं कि उनका आप पर किया जाए कहते हैं कि यदि काफी अच्छे खर्च ना किया जाए तो बड़े से बड़ा खजाना भी एक दिन तक समाप्त हो जाता है इसका आशय यह भी है कि हम आवश्यक ब्याव में कोई कटौती कर कृपाण ही बन जाए आपूर्ति यह सब हम तर्कसंगत रूप में बयान करने संबंधी मिठे व्यक्ति के मंत्र को अपनाएं मिट्टी व्यक्ति से तात्पर्य किसी वस्तु के सदुपयोग से है स्व जन हिताय की कमान करने वाली भारतीय संस्कृति में विद्यापति को महत्व मिला है इसलिए आज भी बड़े बुजुर्ग के आचरण में इसे देखा जा सकता है हालांकि वर्तमान उपभोक्तावादी संस्कृति में इसे दोष समझा जाने लगा है अब फजूल खर्चे के जीवन स्तर का पैमाना मान लिया गया है

©Ek villain #dost #हमें संसाधनों का सदुपयोग करना चाहिए

Writer Chatra Ram

प्रकृति का कारो संरक्षण #EnvironmentDay2021 #WorldEnvironmentDay #कोट्स

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Environment जल जीवन की धार हैं इसे न तोड़
ये धरा जीवन की आस हैं इसे न उजाड़
है मानव तेरा इनके बिना कैसा होगा संसार
अब कर तू भी मंथन अपने आप

©Writer Chatra Ram प्रकृति का कारो संरक्षण

#EnvironmentDay2021 #WorldEnvironmentDay

Ek villain

#Bhaidooj #हम कर रहे हैं संसाधनों का दुरुपयोग #Society

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पूरी दुनिया जहां एक तरफ महंगाई और विविध प्रकार के प्रदूषण में त्रस्त है वहीं कुछ लोग अपने लाभ के लिए वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिसके प्रत्येक व्यक्ति को अन आवश्यकता से अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है इसके साथ ही ऐसे उत्पादन ओं का उपयोग करने में अत्यंत ही गंदगी भी फैलती है एक तरफ जहां पेड़ों के काटे जाने से प्राकृतिक संसाधन कम हो रहे हैं तो वहीं वर्तमान में पेन का उत्पादन यूज एंड थ्रो के रूप में हो रहा है लगभग 200 वर्ष पहले एक बार ही पैन में बार-बार सीआई भरकर उसके अनेक बार उपयोग किया जाता था अर्थात एक कलम खरीदने के बाद उसका उपयोग वर्ष तक किया जाता था इस प्रकार पैसे भी कम खर्च करने पड़ते थे और वर्तमान की तरह औषध प्लास्टिक के पेन की उत्पादन की आवश्यकता भी नहीं थी लेकिन वर्तमान में यूज एंड थ्रो पहन के कारण इसका उपयोग करने सभी लोगों को को एक बार उपयोग करने के बाद फ्रेंड को फेंकना ही पड़ता है

©Ek villain #Bhaidooj #हम कर रहे हैं संसाधनों का दुरुपयोग

Ek villain

#आंध्र भूमि का संरक्षण जरूरी #friends #Society

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2 फरवरी को दुनिया विश्व वेटलैंड दिवस मनाती है इस बार संयुक्त राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है इसके लिए बीते साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पारित हुआ विश्व आंध्रभूमि दिवस की शुरुआत कैंपेनिया सागर के तट पर बसे ईरान के छोटे पर्यटन प्रदान शहर राम रस से हुई थी 2 फरवरी 1971 को ईरान के राम सागर में आंध्र भूमि संधि पर हस्ताक्षर किया गया 1977 में 2 फरवरी को आंध्र भूमि के महत्वपूर्ण के बारे में जन जागरूकता और संरक्षण के प्रयासों को बढ़ाने की दृष्टि से इस दिवस की शुरुआत हुई थी दुनिया में आंध्र भूमि का कुल क्षेत्रफल ढाई करोड़ वर्ग किलोमीटर है जो भारत के भू भाग को ही कम करता है यह एड्रेस क्या है जिसे के नाम से यह स्पष्ट है कि इन क्षेत्रों में मौसम में या फिर नियंत्रण वर्षा होती है भूजल पूरे वर्ष लगभग स्थल पर ही होता है यही प्रकार नामी या दलाली भूमि क्षेत्र आंध्र कहते हैं इसलिए क्षेत्रों में जलीय पौधों का अधिक विकास होता है पौधों और पशुओं की एक समृद्धि से भरी आंध्र भूखंडों की अन्य सभी तंत्रों की जय विविधता से अधिक समृद्ध होती है यही विशेषता इन अनमोल बनाती है हालांकि मन में एक लालच का अपना स्वाभाविक है कि हम ना कि वैलेंटाइन डे क्यों स्वीकार अधिक ठोस बनाएं खासकर उन शहरी परिवेश में जहां संपदा कम होती जा रही है

©Ek villain #आंध्र भूमि का संरक्षण जरूरी

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