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प्रकाश साळवी
फुलांचा बाजार येथे !! ------------------------ भरतो फुलांचा बाजार येथे भरतो मनाचा आजार येथे! ** नसतो फुलाला अधिकार येथे रोजच होतात बलात्कार येथे ** सुगंध ही नव्हता पिकला अजून तरीही गंध पहा लूटणार येथे ** ते दू:खही थोडे रडून गेले कोणासाठी आता रडणार येथे ** कुस्करल्या कळ्या कितीतरी कसले दू:ख जळणार येथे ** वासनांची भरली मंडई ही पहा फुलांना आता विकणार येथे ** प्रकाश साळवी बदलापुर - ठाणे २३-०७-२०१८ भरतो फुलांचा बाजार येथे !!
yogesh atmaram ambawale
पूर्वी ही लिहायचो, आता ही लिहितोय. फरक हाच जाणवला, तू नव्हतीस तेव्हा फक्त शब्द लिहायचो, आता प्रत्येक शब्दात भावना लिहितो.. #भावना #लिहायचय_तुझ्याचसाठी #yqquotes #yqtai #yourqoute #yourfeelings लिहिण्यात फरक पडतो जेव्हा कवी प्रेमात पडतो
प्रदीप
डर लगने लगा है बड़ा अब तो अपने ही घर जाने में। कही कोरोना वार ना कर दे मेरे ही आशियाने में।🤔 "प्रदीप" #ड्यूटी#घर#कोरोना
Kumar Manoj Naveen
*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर, चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर, दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर। खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। जान देने से यदि संक्रमण होती बेअसर, काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। ***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #
Kavita jayesh Panot
फक्र और गम फक्र करू तेरी काबिलियत पर या करू गम तेरे काम पर अखबारों सुर्खियों में जड़ गया तेरा नाम आज। गर्व हैं हर किसी को कोई बधाई हो कह रहा है में क्या कहु बता मुझे अस्ममंजस के इस वक्त में। सुबह जल्दी निकल जाते हो रातो को देरी से आते हो छोड़ जाते हो इंतजार के कुछ पल और चिंताओं के कुछ प्रश्न मेरे मन के आसमान में। कह नही पाती हूँ दर्द अपना मुझे नही ईर्ष्या तुम्हारे काम पर लेकिन इस वक्त ने मेरे स्नेह को चिंता के साथ जकड़ दिया है। बाँध तो नही सकता कोई उसे जिसे चुना हो खुदा ने ही उसकी लायकी को खुदाई के काम पर। बस दो हाथ उठा दुवाओ की दवा लिए फिरती हूँ सलामत लौट कर आओ तुम हर रोज अपने मुकाम पर। अब तू ही बता फक्र करू तेरी काबिलियत पर या चिंता करू तेरे काम पर। गर्व तो होता है लेकिन मेरा वो प्यार वाला दिल का एक कोना मुझे कुछ कहने नही देता ओरो की तरह मुझे इस वक्त में रहने नही देता । खैर छोड़ो मेरी दुवाओ में असर है इतना जब भी मांगा मेने उससे तेरी खेरियत को वो हर बार खड़ा रहा एक फरिस्ता तेरी सलामती का लेकर। फक्र भी है , चिंता भी है लेकिन अब दुआ भी है चारो पहर तेरे नाम पर।। कविता जयेश पनोत #कोरोना ड्यूटी#फक्र और गम
Supriya Yewale
कधी कधी काय होतं सांगू आपला जास्त चांगुलपणा ना आपल्याला खूप एकटे पाडतो खरंतर आपल्याला जास्त करून त्रास त्याच व्यक्तीचाा होतो ज्याच्यासाठी आपला जीव जळतो पण त्या व्यक्तीला हे नाही समजत पण जन्म समजतो तेव्हा खूप वेळ निघून गेलेलीतेव्हा खूप वेळ निघून गेलेली असते खरंतर नातं जास्त करून याच कारणामुळेे तुटून जाते ©Supriya Yewale #Tulips आपला चांगुल पणा आपल्याला एकटे पडतो.