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Imran Shekhani (Yours Buddy)
Manish Singh
उसकी झुकी हुई पलकें थी और सर पर था उसके दुपट्टा। मैं कब उसका दीवाना हुआ ये मुझे भी बिल्कुल नहीं चला पता।। ©Manish Singh हमें बिल्कुल भी नहीं चला पता... #चाहत #ख्वाहिश #जरूरत #सादगी #मोहब्बत #पलकें
Shilpa
बयाबाँ से गुजरे तो चला पता भेड़िये अब शहर में रहा करते है 2020#shilpapandya
Imran Shekhani (Yours Buddy)
Suyash
समय चला पर कैसे चला पता ही ना चला 🙂 ज़िन्दगी की भागदौड़ में कब निकली उम्र पता ही ना चला 🙂 समय चला पर कैसे चला पता ही नहीं चला 🙂 ज़िन्दगी की भागदौड़ में कब निकली उम्र पता ही नहीं चला 🙂 #time #samay #timechanges #humour #yqlife
इकराश़
( रचना नीचे Caption में है। ) ये मेरा तीन-सौ'वी रचना है इस मंच पर। मैने अपने आप को और अपनी पूरी ज़िन्दगी को इस रचना में उतारने की कोशिश की है। इत्मीनान से पढ़ियेगा और जो अपना सा लगूँ तो दिल में एक बार फिर अपने जगह दिजियेगा। एक बार फिर आपका बनने की कोशिश में, तो अब और ज्यादा ना बोलते हुए पेश है मेरी रचना। ---------- ज़िन्दगी की धूप में कब मेरी शाम होती गयी पता ही ना चला, कब मेरा फर्ज़ मेरी मासूमिय
Shree
ज़माने भर में गम देख आंसू रुकते नहीं... अजीब है करीब की आवाजें नज़रंदाज़ होती रही! पास की रोशनी जाना तो कई बार था सुना, ये करीबी बहरापन लगे नया फलसफा! उड़द की दाल हुई वातर, मूंगौड़ी ही बनवाते चचा, कल ही नुक्कड़ पर चला पता दहीबड़े के बड़े शौकीन हैं! वातर ....... ज़माने भर में गम देख आंसू रुकते नहीं... अजीब है करीब की आवाजें नज़रंदाज़ होती रही! पास की रोशनी जाना तो
ittu Sa
इतु सा पैग़ाम goolge के नाम ,झुमके वाली के नाम, चाँद के नाम,nojoto के नाम, ख़ुशियों के नाम। #google #nojoto #jhumkiwali #poetry Google पर ढू
Vikas Sony
अब सब याद बन कर रह गया, वो क्लास वो दोस्त सब ख्वाब बन कर रह गया। नही चला पता कब इतने साल गुजरे यहाँ, नही चला पता कितने मिले और कितने बिछड़े यहाँ, अब तो ये कॉलेज भी एक याद बन कर रह गया, ये महाराणा प्रताप अब ख्वाब बन कर रह गया। याद आयेगी वो बाते, वो यादें वो मुलाकाते। अब कोई दोस्त ना होगा जो समोसे खिलायेगा, कोई अपना ना होगा जो कॉलेज को जगायेगा। वो Assignment वो put सब याद बन कर रह गया। ये कॉलेज महज एक ख्वाब बन कर रह गया। याद आयेगी नरेंद्र सर की वो सारी बाते हमको जो भी बतलाते थे। याद हैं वो मयंक सर की कहानी राह हमको दिखलाते थे, याद आयेगी दोस्तो की सब लंच अपना खिलाते थे। याद आयेगी हर एक शख़्स की जिस से भी बतियाते थे। अब तो यारो ये सब एक याद बन कर रह गया। ये farewell ये poetry सब ख्वाब बन कर रह गया। इन कुछ सालों मे कोई अपने हो गये और कोई अपने से पराये, गुजरते इन सालों मे बहुतो ने अपने अपने चेहरे दिखलाये, शिकायत नही मुझे किसी से दोस्ती अच्छी सब निभाए, दुख है इस बात का बस बिछड़ गए हैं अपने अब। कैसे याद करोगे सबको व्यस्त हो चुके होंगे सब। वादा करते हैं मिलकर यारो reunion हम मनायेगे। सब आएँगे मिलने सबसे अपना किस्सा सुनायेगे। आज तो ये मुलाकात भी एक याद बन कर रह गया। अरे कॉलेज तुं क्यु एक ख्वाब बन कर रह गया। ©Vikas Sony अब सब याद बन कर रह गया, वो क्लास वो दोस्त सब ख्वाब बन कर रह गया। नही चला पता कब इतने साल गुजरे यहाँ, नही चला पता कितने मिले और कितने बिछड़
PrAshant Kumar
Alone and Happy फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने की चाहत , बस वो एक बार सही से दिख जाए मुझे , फिर सारा दिन सुकून से कट जाता था मेरा । उसे छोड़कर सबको पता था कि मैं उसको चाहता हूँ । चलो अच्छा हुआ उसे पता नहीं चला । पता चलता तो कुछ वक्त हम साथ रहते , इधर - उधर घूमते , लोग उसे जज करते , कभी मोहल्ले वाले बात करते , घर पता चलता तो माँ - बाप की नज़रों में गिर जाती , बस उसकी इज़्ज़त ख़राब न होये सोचकर कभी इज़हार नहीं किया क्योंकि फिर हमें एक दिन अलग भी होना था , उससे जुदा होने के दर्द से अच्छा है उसका कभी मेरी न होना । मैं जब तक चाहूँ , जितना चाहूँ उतना चाह सकता हूँ उसे बिना उसे खोने के डर से , वो किससे किस वक़्त मिलती है इस बात से जले बिना , कि उसकी सहेली से जान लेना कि क्या - क्या पसन्द है उसे , कि ये ही सुकून और - इश्क़ है मेरे लिए । सोचता हूँ कभी दिल की बात कहूँगा उससे , पर कई उसे हासिल भी नहीं करना चाहता , बस ऐसे ही मोहब्बत करना चाहता हूँ जो कभी ख़त्म न हो । वो मेरी हो या न हो मैं उसका होना चाहता हूँ | फिर मैंने खुद उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार किया और उसकी तरफ़ से हां कहा । फिर उसे बेपनाह मोहब्बत की , कभी किसी को ख़बर न होने दी , न कुछ पाने