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BANA LAL
Sarita Shreyasi
किसान के खेतों में नयी फसल लहलहाती है, कच्चेपन की सौंधी खुश्बू पशुता को ललचाती है, हमारे यहाँ बेलगाम पशु बाड़े में बाँधे नहीं जाते,वो खेत चर जाए तो गलती किसान की मानी जाती है। किसान के खेतों में नयी फसल लहलहाती है, कच्चेपन की सौंधी खुश्बू पशुता को ललचाती है, हमारे यहाँ बेलगाम पशु बाड़े में बाँधे नहीं जाते,वो खेत चर
Anil Prasad Sinha 'Madhukar'
🙏🌷सेनूर🌷🙏 पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सबे कुछ त उहे बाटे, सब आपन बुझाला, सेनूर पड़ते बिटिया के, भाग बदल जाला। भईया भौजी सुसुके, ईया रोवेली चिचियाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सेनूर शक्ति अइसन गैरन से प्रीत बढ़ जाला, आपन संग डोर तोड़, गैरन संग जुड़ जाला। सेनूर बाटे सोहाग भाग, सेनूर बाटे सच्चाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। 🙏🌷सेनूर🌷🙏 पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई, माई बाबू सबै रोअत बाड़े, देखि के बिदाई, पड़ते सेनूर मंगवा, धिया हो गईली पराई। सब
Sanchit Uniyal
ईsha roज़ी
।।प्रीत मेरी।। पर्दे के पीछे से, ऐसे न देखो तुम बांहों में भर लूंगा, तुम्हारे बदन के हर ओस को अपने होंठों से चूम लूंगा... ©Isha Rozy Moses _प्रीत मेरी_ दिल में लिखूं या धड़कन में सर्द मौसम की अंगड़ाईयों में... ख्वाईश बनकर प्रीत मेरी उड़ जाता है तू कहीं कभी बाड़े में दिल के उसके
rahasyamaya tathya
इमामबाड़े के कुछ रोचक एवं अनसुलझे रहस्य:- आपने इतिहास में अवश्य ही पड़ा होगा की अवध प्रांत की राजधानी लखनऊ हुआ करती थी। यहीं पर नवाब आसिफ उद
Chanchal Jaiswal
ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में में आयल हौ कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी लेके सब गजबे इतरायल हौ सद्धी, डोरी, चौउआ देखा अंटा, मांझा धार धरायल हौ लड़कन बच्चन छोटकन बड़कन सबकर मन उतरायल हौ बंसी क छोटका लड़का भी अपन पतंग लियायल हौ ढील के दा बाबा हमहुंके देखा कईसन जीदियायल हौ मन्दिर मस्जिद के छत से केतना पतंग ढीलायल हौ पूजा अउर प्रार्थना क रंग उमंग डोर बन्धायल हौ धरती क सब मसला देखा आसमान तक आयल हौ (बाकी कविता caption में पढ़ें) ई हौ रजा बनारस देखा आसमान पर छायल हौ। केसरिया केसरिया सूरज मन अंगने में आयल हौ। कोई छते पे कोई दलाने कोई पार्क कोई मैदाने में अपन अपन गुड्डी