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OMG INDIA WORLD

कम-सिनी का हुस्न था वो ये जवानी की बहार था यही तिल पहले भी रुख़ पर मगर क़ातिल न था #शायरी #5LinePoetry

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#5LinePoetry कम-सिनी का हुस्न था वो ये जवानी की बहार था 
यही तिल पहले भी रुख़ पर मगर क़ातिल न था

©OMG INDIA WORLD कम-सिनी का हुस्न था वो ये जवानी की बहार था यही तिल पहले भी रुख़ पर मगर क़ातिल न था

Vikas Sharma Shivaaya'

देवगुरू बृहस्‍पति :- गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स #समाज

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देवगुरू बृहस्‍पति :-

गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स्वर्ण मुकुट तथा गले में सुंदर माला धारण किये रहते हैं, और पीले वस्त्र पहने हुए कमल आसन पर आसीन रहते हैं। इनके चार हाथों में स्वर्ण निर्मित दण्ड, रुद्राक्ष माला, पात्र और वरदमुद्रा शोभा पाती है। प्राचीन ऋग्वेद में बताया गया है कि बृहस्पति बहुत सुंदर हैं। ये सोने से बने महल में निवास करते है। इनका वाहन स्वर्ण निर्मित रथ है, जो सूर्य के समान दीप्तिमान है एवं जिसमें सभी सुख सुविधाएं संपन्न हैं। उस रथ में वायु वेग वाले पीतवर्णी आठ घोड़े तत्पर रहते हैं!

परिवार:-देवगुरु बृहस्पति की तीन पत्नियां हैं जिनमें से ज्येष्ठ पत्नी का नाम शुभा, कनिष्ठ का तारा या तारका तथा तीसरी का नाम ममता है। शुभा से इनके सात कन्याएं उत्पन्न हुईं हैं, जिनके नाम इस प्रकार से हैं, भानुमती, राका, अर्चिष्मती, महामती, महिष्मती, सिनीवाली और हविष्मती। इसके उपरांत तारका से सात पुत्र और एक कन्या उत्पन्न हुईं। उनकी तीसरी पत्नी से भारद्वाज और कच नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इंद्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं। महाभारत के आदिपर्व में उल्लेख के अनुसार, बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। ये अपने प्रकृष्ट ज्ञान से देवताओं को उनका यज्ञ भाग या हवि प्राप्त करा देते हैं।  

बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्र:बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पितम।

ए सजनी लीनो लला लह्यो नन्द के गेह !
चितयो मृदु मुसिकाई के हरि सबे सुधि गेह !!

इस दोहे में रसखान जी वर्णन करते है कि हे प्रिय सजनी श्याम लला के दर्शन का विशेष लाभ है ! जब हम नन्द के घर जाते है तो वे हमें मंद मुस्कान से देखते है और हम सबकी सुधबुध लेते है ! अर्थार्त उनके घर जाने से हमारी सारी परेशानियों का हल निकल जाता है !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' देवगुरू बृहस्‍पति :-

गुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति जी स

Siddharth Balshankar

#lockdown_ आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था , घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी

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lockdown 
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी लग रही थी,
रास्तो पर खामोशिका त्योहार सजा हैं 
गलियो मे हवाओं का घुमता शोर सजा हैं 
आसमान भी कुछ साफ सा लगता हैं 
अभी बादलो से घिरा गगन आज टिम टिमाते तारो सा लग रहा हैं
कुछ लोग घर के बाहर बाते कर दिख तो रहे हैं 
पर मन के भीतर घबराहट सा बीज उमलता दिख भी रहा हैं 
बातो मे सच्चायी जरुर है ,फिर भी उसमे फिक्र की डाट भी जरुर हैं
गाडियो पे धुल सजी देख रहा था
जैसे लग रहा था की सदिया गुजर रही थी
हर पल की खामोशी हर पल आती खबरे दिल पे एक घाव सा दे जा रही थी
बात कल की करो या आज की मोहताज सभी को बना रही थी
लग रहा था की पिंजरो में एक जान तडप रही थी
खयाल आते आते रूह को मजार की आस लग रही थी
हर पल रेत सा गुजर ने लगा था 
बंजर बनी रिश्तेदारी फिर से हरीभरी लग रही थी
हालत तो कुछ इस कदर बदले बदले से लग रहे थे 
दूर बेठे आज करीब से लग रहे थे
ये वक्त मे सभी के किरदार एक नाटक से लग रहे थे ,
सभी अपने किरदार बखुबी निभा रहे थे ,
कुछ दिनो में ईन्सान ईन्सान से लग तो रहे थे,
आज ईन्सान खुदसे ही दूर भाग रहा था
लग रहा था की ईन्सान अपने घर लोट रहा था
कुछ काम नजर नही था 
कुछ हाल नजर नही था
जान बचाने के खतिर सभी 
अपनी जान की पुकार लगा रहे थे
ये वक्त ऐसे करवट यू बदल रहा था
लग रहा था आप बिती सुना रहा था
आज सभी जगे ताले क्यु हैं ,जग जगह ये पेहेरे क्यु हैं 
बात तो सिधी सरल ऐसे लग तो नही लग रही थी
जो गुजरा हो वो कल था 
जो कुछ केहेनी की कोशिश सी लग रही थी
सभल तो हर कोई सकता था ,बस सभल पानी की बात थी
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था 
बस थोडी सी कोशिश से ये हालातो को सुधारा जा सकता था #Lockdown_
आज खाली घर मे कुछ अलग सा खालीपण सा लग रहा हैं 
कभी खामोशी को इतने करीब से रुबरु होते नही देखा था ,
घड़ी की आवाज कुछ सिनी सुनायी सी

Mangesh Dongre (Prem)

सुबह के 8 बज ही रहे थे के मोबाईल का अलार्म चालू हो गया । आवाज ईतना तेज था की कानों के पर्दे जैसे फटे जा रहे थे । 😫 उसे बंद करके प्रेम फिरसे

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Story No.: 01

Supriya सुबह के 8 बज ही रहे थे के मोबाईल का अलार्म चालू हो गया । आवाज ईतना तेज था की कानों के पर्दे जैसे फटे जा रहे थे । 😫 उसे बंद करके प्रेम फिरसे

`sanju sharan

                   छत्तीस घंटे काव्या तेज़ तेज़ कदमों से ऑफिस जा रही थी तभी किसी के स्पर्श से चौक जाती हैं और एक भारी आवाज़ सुनकर पीछे मुड़त

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                   छत्तीस घंटे
काव्या तेज़ तेज़ कदमों से ऑफिस जा रही थी तभी किसी के स्पर्श से चौक जाती हैं और एक भारी आवाज़ सुनकर पीछे मुड़त
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