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Navonmeshi_Raaj
तेरी ख़ुशनुमा यादों के जुगनू मेरी तीरगी-ए-शब को रौशन कर जाते हैं| ✍-राजकुमारी तीरगी-ए-शब(darkness of night) * #nojoto #Nojotohindi #lovequotes #mylove #quotes
Ankita Shukla
The Own Thoughts
ऐसा में चिराग वक्त का मारा जलाने पर भी जलता ही नहीं हूँ वो चाहता है मुझे दफन करना और एक में हूँ के मरता ही नहीं हूँ राहो में उसकी खोया हूँ इस कदर के रास्ते में किसी को दिखता ही नहीं हूँ उसको गुमान है खूबसूरती पे तो रहे मैं तो उसकी तरफ देखता भी नहीं हूँ अब उसको कैसे गिराऊ इन नजरों से इन आँखों से अब में बहता ही नहीं हूँ अब तो सूरज हो गया हूँ में रात का शाम आती है पर में हूँ के ढलता ही नहीं हूँ तीरगी-ए-शब --- darkness of night सन्दल शजर --- sandalwood tree #yqdidi #yqbhaijan #yqhindi #bestyqhindiquotes #YourQuoteAndMine Collabor
Jai Gupta
बहर/वज़्न - २१२२-२१२२-२१२२-२१२ इश्क़ की गलियों में आशिक़ सब मुक़र्रर हो गए पा लिया जिसने भी अपना वो मुज़फ़्फ़र हो गए।।१ चोट ऐसी खायी है हमने भी इस दिल पर मियाँ दर्द के महफ़िल में हम फिर से सुख़न वर हो गए।।२ अश्क़ जो आँखों से निकले तकिए से पूछो ज़रा आंसुओं में वो लिपटकर के समंदर हो गए।।३ उन अमीरों की अमीरी को बयाँ क्या ही करूँ मुफ़लिसों पर जो सितम करके तवंगर हो गए।।४ हिज़्र में पल पल कुछ ऐसे तड़पे हैं आशिक़ सभी तीरगी ए शब में मानो सब बवंडर हो गए।।५ ये ख़लिश जो पड़ गयी है दिल में उसके नाम की ख़ाक में यादें दफ़न कर हम कलंदर हो गए।।६ ग़ज़ल आप सभी की नज़्र में मुक़र्रर - अवश्य, यक़ीनी, ज़रूर, निश्चित रूप से मुजफ़्फ़र - जीतने वाला व्यक्ति; विजेता; विजयी सुख़न वर - कवि, शायर मुफलिस
विवेक ठाकुर 'शाद'
चन्दन शर्मा "जाज़िब"
ज़न्नत ज़ुनून है वो ,हौसला है मेरा,जन्नत है मेरी! वो रहती है जहाँ उसका डेरा जन्नत है मेरी! जख़्म ,ग़म, दर्द सब से नजात मिलती है! महबूबा की बाहों का घेरा जन्नत है मेरी ! शहर के आब ओ हवा में बस घुटन है अब! मेरे गाँव का छोटा सा वो बसेरा जन्नत है मेरी ! दर-दर फिरा मत कर खुशीयों की ख़ातिर! कि माँ-बाप के पैरों में ही तेरा जन्नत है मेरी ! तीरगी-ए-शब-ए-हिज्र रूलाता है बड़ा! इस तीरगी-ए-ग़म का सवेरा जन्नत है मेरी ! ख़ुद को बड़ा ही महफूज़ पाता हूँ"जाज़िब"! ये रातें,कलम-कागज,ये अंधेरा जन्नत है मेरी! ज़ुनून है वो ,हौसला है मेरा,जन्नत है मेरी! वो रहती है जहाँ उसका डेरा जन्नत है मेरी! जख़्म ,ग़म, दर्द सब से नजात मिलती है! महबूबा की बाहों
Dr Shefali Sharma
गम-ए-तीरगी में शब का आलम ऐसा गुजरा हम चराग़ मोहब्बत के जलाना भूल गए गम-ए-हिज़्र में यार के अज़ाब ऐसा गुजरा हम सहर तलक़ पलकें झपकाना भूल गए ©Dr Shefali Sharma गम-ए-तीरगी में शब का आलम ऐसा गुजरा हम चराग़ मोहब्बत के जलाना भूल गए....... गम- ए-तीरगी-sorrow of dark गम-ए-हिज़्र-sorrow of separation सहर-mo
GULSHAN KUMAR
शब-ए-माहताब मे मै जागता रहा तमाम रात मै भागता रहा कोई गम नही है मुझे फकत इस गम के कि मै मुकम्मल होकर भी मुकम्मल हो ना सका और कुछ ना-मुकम्मल लोगो से मेरा वास्ता रहा शब-ए-माहताब मे मै जागता रहा..... ©GULSHAN KUMAR शब -ए- माहताब..
Shacheendra
हम तो जी रहे हैं कोई बहाना किये बगैर उसके बगैर और उसकी तमन्ना किये बगैर अल्फ़ाज-ए-शब
Kuldeep Shrivastava
किसी का नक्स अंधेरों में जब उभर आया उदास चेहरा शब - ए - दर्द का उभर आया !! ©Kuldeep Shrivastava शब - ए - दर्द