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Sailesh Kumar Singh
Hemant Rai
थाली पीटी, दिए जलाए, अब पटाखे फोड़े जा रहे हैं। राम ‘वनवास’ को निकले ही हैं, और लोग दिवाली माना रहे हैं।। . . #विचित्र #बात हेमंत राय।🙏 #ramayan #corona #nojoto थाली पीटी, दिए जलाए, अब पटाखे फोड़े जा रहे हैं। राम वनवास को निकले ही हैं, और लोग दिवाली माना रहे हैं।। . . . .
Ravendra
Ravendra
Upendra Dubey
एनटीपीसी शक्तिनगर आवासीय परिसर स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 55 विद्यार्थियों को टेबलेट वितरित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी के निर्देशानुसार ,उत्तर प्रदेश में अध्ययनरत युवाओं के तकनीकी सशक्तिकरण हेतु टेबलेट वितरण का कार्यक्रम 2021-22 दिनांक 28/4 /2022 दिन गुरुवार समय 11:00 बजे से प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर एनटीपीसी शक्तिनगर के मुख्य महाप्रबंधक श्री बसुराज गोस्वामी, जनप्रतिनिधि बीडीसी सदस्य, रंजीत कुशवाहा एवं माननीय आनंद भाई जी कार्यकारी निदेशक तथा नोडल अधिकारी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, एनटीपीसी कैंपस शक्तिनगर के द्वारा, 55 विद्यार्थियों को टेबलेट वितरित किया गया ,उक्त विवाह के संदर्भ में, माननीय बसुराज गोस्वामी टेबलेट के बारे में छात्रों को निर्देशित किया कि,यह उपकरण आपको अपने घर में संपूर्ण विश्व के बारे में अवगत करा सकता है। इसके माध्यम से प्रशिक्षित किया जा सकता है। कार्यकारी निदेशक ने छात्रों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं इस उपकरण की भूमिका के बारे में बताया, जिससे छात्र अपने को विकसित कर सके और सभ्य समाज में सभ्य नागरिक बने। ©Upendra Dubey एनटीपीसी शक्तिनगर आवासीय परिसर स्थित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 55 विद्यार्थियों को टेबलेट वितरित महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त