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devi pareek
.................. ©devi pareek #Mahadev प्राण निकल जाने पर क्या महत्व हवा का, गौरी के बिना क्या हैअस्तित्व शिवा का। nojoto #nojotoapp #nojotohindi #nojotoof
Munni
''harr bar mujhe tu jakhm e judai na diya kar aagar tu mera nehi to kabhi mujhe dikhai bhi na diya kar'' 🥀🍁🥀 ©Munni #Mera nehi to fir mujhe dikhai bhi na diya kar🍁 #happypromiseday #Hero #brokenheart 0 Raja Aameria Manpreet Gurjar R Ojha yoursecret Sethi
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Person's Hands Sun Love आप आकर मिले दीवाने को । साथ में ज़िन्दगी बिताने को ।।१ सात फेरों सें जब बना बंधन । चल पड़े साथ हम निभाने को ।।२ आप आये यही बहुत होगा । चाहिए क्या गरीब खाने को ।।३ रूठ जाओ अगर कभी दिलबर । जान हाजिर तुम्हें मनाने को ।।४ दो बदन एक रूह हम दोनों । चाहते एक अब हो जाने को ।।५ एक मासूक ही नही यारों । और भी लोग है भुलाने को ।।६ प्रेम से बात कर प्रखर सबसे । आज रिश्ते नये बनाने को ।।७ ११/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आप आकर मिले दीवाने को । साथ में ज़िन्दगी बिताने को ।।१ सात फेरों सें जब बना बंधन । चल पड़े साथ हम निभाने को ।।२
aapki_adhuri_baten
#सुनो उम्र का ताल्लुक़ सालों से नही होता , कभी कभार इन्सान भरी जवानी में भी सदियों पुराना हो जाता है... #Radha ©aapki_adhuri_baten #happypromiseday #सुनो उम्र का ताल्लुक़ सालों से नही होता , कभी कभार इन्सान भरी जवानी में भी सदियों पुराना हो जाता है... #Radh
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- लेके आयी हो घर जवाई में । बीत जाये न रात तंहाई में ।।१ आ रहा है मजा मलाई में । रात गुजरी इसी रजाई में ।।२ हो गया है मिलन जुदाई में । जान दे दूँ इसी दुहाई में ।।३ भूल कैसे भला तुझे सकते । सात फेरे लिए शगाई में ।।४ जान भी आज ये मेरे हमदम । पेश ये तुमको मुँह दिखाई में ।।५ सालियाँ गैर हो नहीं सकती । हक मिलें अब इन्हें कमाई में ।।६ सम्धिनें कह रही यहीं अब तो है तड़प दूर चारपाई में ।।७ आज ससुराल में हुआ स्वागत । सरहजे आ गई मिलाई में ।।८ अब सहर दूर ये नहीं होगी चाँद बेशक रहे गवाही में ।।९ चुप रहे वो यहाँ भले बेशक । चुप नहीं चूडिय़ां कलाई में ।।१० दर्द दिल का प्रखर कहे कैसे । आँख भर आई है विदाई में ।।११ ११/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- लेके आयी हो घर जवाई में । बीत जाये न रात तंहाई में ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्यार में अब जरा मुस्कुरा दीजिए । प्रेम का रोग मुझको लगा दीजिए ।। प्रेम ही देख पावन जहाँ में रहा । प्रेम का फूल दिल में खिला दीजिए ।। प्रेम हमको हुआ जब उन्हें देखकर । कह उठा दिल उसे फिर बता दीजिए ।। प्रेम करना यहाँ यार मुश्किल नहीं । प्रीति की रीति बस अब निभा दीजिए ।। प्रेम के नाम से दिल किसी का कभी । टूट पाये नहीं मशविरा दीजिए ।। प्रेम दिल का तुम्हारे खिलौना नहीं । खेल कर क्यों इसे फिर दगा दीजिए ।। प्रेम को मानते हो अगर तुम प्रखर । तो हमें यूँ न दिल से विदा दीजिए ।। १०/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्यार में अब जरा मुस्कुरा दीजिए । प्रेम का रोग मुझको लगा दीजिए ।। प्रेम ही देख पावन जहाँ में रहा । प्रेम का फूल दिल में खिला दीजिए ।।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- उम्र अपनी ढ़लान तक पहुँची । यूँ लगा पायदान तक पहुंची ।।१ आज दुश्मन बहुत हमारे घर । ये ख़बर हर ज़ुबान तक पहुँची ।।२ हम भी दीवाने ही रहे उनके । बात उनके न कान तक पहुँची ।।३ खो दिया जब उन्हें यहाँ हमनें । हसरतें तब जुबान तक पहुँची ।४ करके मैं इंतज़ार उसका अब । आज फिर उस इंसान तक पहुँची ।।५ आज कर दी तारीफ़ क्या उसकी । देख लो खानदान तक पहुँची ।।६ प्यार इज़हार क्या किया मैने । छोड़ वो घर मचान तक पहुँची ।।७ जाति औ धर्म की लडाई ये । आज गीता कुरान तक पहुँची ।।८ मेरा सिंदूर क्या सलामत है । पूछने हुक्मरान तक पहुँची ।।९ भूख से तड़पती बिलखती वो । अब हमारी दुकान तक पहुँची ।।१० एक दाना नहीं प्रखर घर में । बात क्यूँ मेहमान तक पहुँची ।।११ ०६/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- उम्र अपनी ढ़लान तक पहुँची । यूँ लगा पायदान तक पहुंची ।।१ आज दुश्मन बहुत हमारे घर ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तू दबे को नहीं दबाया कर । बात मज़लूम की उठाया कर ।।१ याद में उनको तू बुलाया कर । ख्वाब में फिर गले लगाया कर ।।२ जिस तरह बढ़ रही है जनसंख्या । उसमें अपने विचार लाया कर ।।३ मारकर हक किसान का तुम भी । धाक अपनी उन्हें दिखाया कर ।।४ देखकर लूट इस तरह जग की । बैठ कर चुप न फुसफुसाया कर ।।५ हुस्न जब बेमिसाल है खोजा तो नखरे भी सभी उठाया कर ।।६ प्यार में मत करो दगा कोई । हँसकर रिश्ता प्रखर निभाया कर ।।७ ०७/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तू दबे को नहीं दबाया कर । बात मज़लूम की उठाया कर ।।१
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी । भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१ गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी । यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२ यही सोचकर हम भले बन गये थे । खुदाया तेरे घर तो जन्नत मिलेगी ।।३ नहीं छोड़कर वो वतन जा सका फिर । सुना बेटियों को हिफ़ाज़त मिलेगी ।।४ बढ़ाओ नहीं शौख अपने यहाँ तुम । तुम्हें अब न इसकी इज़ाजत मिलेगी ।।४ नहीं जा सकूँगा इन्हें छोड़कर मैं । भले ही वहाँ हमको दौलत मिलेगी ।।६ करो तुम सही तो चलन आज अपना । तुम्हें भी जहाँ में मुहब्बत मिलेगी ।।७ हमारी वफ़ा पे यकीं उसको होगा । तभी हुस्न की ये नज़ाकत मिलेगी ।।८ चला जा प्रखर तू गुरुदेव के दर । वहीं पर सही अब निज़ामत मिलेगी ।।९ ०९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल बुरे गर बने तो शिकायत मिलेगी । भली आदतों से ही इज्जत मिलेगी ।।१ गरीबों के घर में शराफ़त मिलेगी । यहीं तो तुम्हें हर लियाकत मिलेगी ।।२ य
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- विषय - आँसू पश्चाताप के आँसू पश्चाताप के , निकल पड़े हैं आज । छल-बल से अब तक किया , जो जनता पे राज ।।१ आँसू पश्चाताप के , जिसको देते दंड़ । दिखता तो संपूर्ण है , भीतर होते खंड़ ।।२ आँसू पश्चाताप के , धोये तेरे पाप । कुछ ही दिन में देखना , घट जाये संताप ।।३ आँसू पश्चाताप के , आयेंगे जब नैन । अंतरमन में देखना , आयेगा तब चैन ।।४ आँसू पश्चाताप के , गिरा सके इंसान । उसके अच्छे कर्म का , देते फल भगवान ।।५ अब कर्मो के दंड़ से , दुखी हुआ शैतान । आँसू पश्चाताप के , गिरा रहा नादान ।।६ नरभक्षी इंसान से , करो हमें प्रभु दूर । संग रहूँ इनके सदा , करो नहीं मजबूर ।।७ १०/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय - आँसू पश्चाताप के आँसू पश्चाताप के , निकल पड़े हैं आज । छल-बल से अब तक किया , जो जनता पे राज ।।१