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VIIKAS KUMAR
व्यास वीर्य शोधन वटी मुक्ता (मोती) से भरपूर एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका उपयोग पुरुषों में प्रजनन और मूत्र पथ संबंधी विकारों के प्रबंधन में किया जाता है। इसे शिलाजीत, गिलोय आदि जैसी कामोत्तेजक और कायाकल्प करने वाली दवाओं के गुणों से बढ़ाया जाता है। यह स्तंभन को बनाए रखता है, शीघ्रपतन में मदद करता है और जननांग प्रणाली के कार्य में सुधार करता है। यह रात्रि उत्सर्जन और शुक्राणुजन्यता को भी रोकता है और पुरुषों में समग्र यौन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। ©VIKAS KUMAR #व्यास वीर्य शोधन वटी
vishnu thore
दारावर आलं कोण पाय झाले पायखुटी चुकलेल्या फकिराची नजरेनं भर वटी - विष्णू दारावर आलं कोण पाय झाले पायखुटी चुकलेल्या फकिराची नजरेनं भर वटी
Nitish Yadav
कसम उन वीरों की जिसने शिर कटाई है ना झुकने देंगे ये तिरंगा और ना दुश्मनों नें कभी झुकाई है । #officialnitish #Kargilvijaydiwas🙏 #INDIA ©Nitish Yadav कसम उन वीरों की जिसने शिर कटाई है ना झुकने देंगे ये तिरंगा और ना दुश्मनों नें कभी झुकाई है । #officialnitish #Kargilvijaydiwas🙏 #India #कारग
Sunil itawadiya
चाहता हूं कोई नेक हो जाए, मेरी हर सांस देश के ही नाम हो जाए,, जो शिर उठे तो मेरे सामने 'तिरंगा' हो जो सिर झुके तो वतन को प्रणाम हो जाए!! 🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐👍🤗🤗 चाहता हूं कोई नेक हो जाए, मेरी हर सांस देश के ही नाम हो जाए,, जो शिर उठे तो मेरे सामने 'तिरंगा' हो जो सिर झुके तो वतन को प्रणाम हो जाए!! 🙏🏼🙏
AB
.... अंग गौर शिर गंग बहाये, मुंडमाल तन छार लगाये, ,💚, ॐ नमः शिवाय,💚, ___________________________________
Yudi Shah
Harshita Dawar
Happy Birthday my Princess 👑👸Bhumika👸👑 Happy Birthday my barbie bhumika (3 sep) Can't imagine my life without you मेरे अरमान मेरी जान मेरे नीर तुझ से शिर मेरे गुरूर मेरा स्वरूप मे
Ashay Choudhary
ईदी (Write up in caption) हैलो! हां बेटा, कब तक निकलेगा तू यहां आने के लिए सब तुझे बड़ा याद कर रहे हैं। अम्मी मुझे छुट्टी नहीं मिलती है, मन तो बड़ा है अाने का लेकिन त
vishnu prabhakar singh
बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का अपने मूल अधिकार के बल पर कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती केवल कान खोलने को कहती तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती उचित समय पर क्रम दुहराती सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर प्रसार का विस्फोट करती हवा में! छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया अस्तित्व में ! शीघ्र पतन हो भी तो कैसे बताह भीड़ अव्यवस्था का रूपक न देह न देहि ,अकेला हवा में ! (कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन! बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का