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Rahul Ingale Patil

तुझा चेहरा हसरा दाखवितो.

©Rahul Ingale Patil #तुझा #चेहरा #हसरा #दाखवितो

Bhimrao Tambe

#बुद्ध दिसेल बुद्ध

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बुध्द दिसेल बुध्द

साऱ्या देशाचं करा उत्खनन
सारा देश खोदून बघ

चराचरात भेटतील 
तथागताची शिल्प 

जरा शोधून बघ
बुध्द दिसेल बुध्द

----भीमराव तांबे. #बुद्ध दिसेल बुद्ध

Npr

भगवान बुद्ध #बुद्ध #budhaquotes #विचार

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Parasram Arora

बुद्ध. #कविता

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Manmohan Dheer

बुद्ध

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जो भीतर शुद्ध हो गया
समझो वो बुद्ध हो गया बुद्ध

Sumit Gadekar

बुद्ध......

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Skc

बुद्ध

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Peace जो बुद्ध हो गया वो शुद्ध हो गया। बुद्ध

Ambika Mallik

मलंग

प्रकृति के तीन कठोर नियम जो महात्मा बुद्ध ने बताए हैं। 1. प्रकृति का पहला नियम:

यदि बीजों को उपजाऊ खेतों में नहीं बोया गया तो प्रकृति ऐसे

खेतों को घास-भूस से भर देती है । उसी प्रकार यदि मानव के

मन में बचपन से ही, सकारात्मक विचारों से नहीं भरा गया तो,

नकारात्मक विचार स्वयं दिमाग में निर्मित हो जाते हैं। जो

दिमाग पर बोझ बन जाते हैं, और अपने बुद्धि का प्रयोग करना

भूल जाते हैं, और बाद में अंधविश्वास, पाखंडवाद का कारण

बन जाते हैं।

2. प्रकृति का दूसरा नियम:

जिसके पास जो होता है, वह उसे ही बांटता है। खुश खुशी बाटता है । 
दुःखी दुःख* बाटता है। ज्ञानी *ज्ञान* बाटता है। भ्रमीत * भ्रम* बाटता है। डरपोक * डर बाटता है।

3. प्रकृति का तीसरा नियम: जीवन में जो मिला है उसे पचाना सीखो, उसी में संतुष्ट रहो । 
कारण, भोजन न पचने पर गैस रोग बढ़ता है। पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ जाता है। 
बात न पचने पर चुगली बढ़ जाती है। 
प्रशंसा न पचने पर अभिमान बढ़ता है। 
आलोचना न पचने पर शत्रु बढ़ते है। गोपनीयता नहीं बनी रही तो खतरा बढ़ जाता है। 
दुःख नही पचा तो निराशा बढ़ जाती है। और सुख नही पचा पाए तो पाप बढ़ जाता है।

इस प्रकार तथागत गौतम बुद्ध ने प्राकृतिक के नियमों को परिभाषित किया है।

नमोबुद्धाय

©मलंग #बुद्ध

Raju Mandloi

#बोद्ध_धर्म
भगवान बुद्ध के माता-पिता हिन्दू थे…स्वयं बुद्ध ने हिन्दू धर्म को कभी त्यागा नहीं,सदैव जनेऊ पहनते थे तो सनातन में ही बौद्ध का जन्म हुआ कभी सनातन देवी देवता को गलत नहीं कहे थे फिर ये कौन बौद्ध धर्म को भंग कर आडंबर फैला रहा है तथा नया पंथ या सम्प्रदाय चलाया नहीं फिर ये कौन उनके अनुयायी हैं जो सनातन धर्म के देवताओं को गाली देकर अपने आप को बोद्ध धर्म के प्रवर्तक बता रहे हैं…
निश्चित ही यह बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा है…देश व समाज को तोड़ने वाली शक्तियों का हाथ है…
जब भगवान बुद्ध ने अलग पंथ या सम्प्रदाय नहीं बनाया तो बोद्ध धर्म में जाति भेद कैसे होने लग गया…कैसे अगडा-पिछड़ा होने लग गया :
अगडा-    हीनयान,महायान,वज्रयान,भीमयान,थेरवाड,त्रिलोक,दरा,फल्पा,थल्पा,बोडो,नोनो इत्यादि।
पिछड़ा-बुराकुमिन,यांगबान,बीकजोंग,वज्रधरा,मोन,गराबा इत्यादि…इनका तो बोद्ध मन्दिरों में जाना तक वर्जित है भिक्षु बनना तो बहुत दूर की बात है।
ये सब क्या है…? भगवान बुद्ध ने इतने सारे मत नहीं बनाये थे तो ये कब और कहाँ से बन गये…विचार करना…
असली बोद्ध मतावलंबियों को सावचेत व सावधान होने की ज़रूरत है यदि ये सब होता तो भीमराव अम्बेडकर क्यों बोद्ध धर्म अपनाते…?

जागो बौद्ध धर्मावलंबियों-जागो-जागो
कोई दुष्ट कुचक्र चल रहा हैं बौद्धिष्टों को भटका रहा है ।

©Raju Mandloi #बुद्ध
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