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Ashish Deshmukh
ज्ञान की बहती धारा भी तुम हो... जगत के विघ्नेश्वरा भी तुम हो... काल और अवकाश में हो समाये... द्विकाल के ओमकारा भी तुम हो... - आशिष देशमुख #ओमकारा
Sethi Ji
काल है वो , महाकाल है वो प्रारम्भ है वो , सबका अंत है वो उगता सूरज है वो , ढलता चाँद है वो संसार है वो , लोगो का ज्ञान है वो जिनकी पूजा खुद राम करे , ऐसे दाता है वो हर हर महादेव 🙇🙇🙇 #Shiva 🙏 🙏 जय शिव ओमकारा, ओम जय शिव ओमकारा ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्धांगी धारा 🙌 #सावन #मासूम #शिव #आरती #कहानी #विचार
Om Shivam Upadhyay
"भला मंदा देखे न पराया न सगा रे, नैनों को तो ड़सने का चस्का लगा रे....." #गुलज़ार साहब फिल्म ओमकारा. "भला मंदा देखे न पराया न सगा रे, नैनों को तो ड़सने का चस्का लगा रे....." #गुलज़ार साहब फिल्म ओमकारा.
"भला मंदा देखे न पराया न सगा रे, नैनों को तो ड़सने का चस्का लगा रे....." #गुलज़ार साहब फिल्म ओमकारा.
read moreRakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि
आलोक कुमार
बस यूँ ही चलते-चलते ......... जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त
read morePooran Bhatt
जब कंकर - कंकर है शंकर.. हर भूत पिशाच मे जयकारा.. तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. शिव भक्ति का रोग लगा दो.. मुझको भी मतवाला कर दो.. समां जाओ मेरे मन मे शम्भू.. मेरे मन को शिवाला कर दो.. जब कंकर - कंकर है शंकर.. हर भूत पिशाच मे जयकारा.. तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. शिव भक्ति का रोग लगा दो.. म
जब कंकर - कंकर है शंकर.. हर भूत पिशाच मे जयकारा.. तो क्यों भटकू मंदिर - मंदिर.. मेरा भाग्य विधाता ओमकारा.. शिव भक्ति का रोग लगा दो.. म
read moreAnuj Ray
खुशबू चरित्र की" खुशबू चरित्र की, हीरे सी चमकती है, फूलों सी महकती है। खुशबू चरित्र की, जीवन के आईने में, सूरज सी दमकती है। खुशबू चरित्र की, आदर्श भी गढ़ती है, इतिहास भी रचती है। ©Anuj Ray # खुशबू की चरित्र की"
# खुशबू की चरित्र की" #कविता
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