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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Ashish Singh
Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda
White ❣️ कान्हा ❣️ जिन्दगी रहेगी या नहीं रहेगी पता नहीं ❣️पर जब तक रहेगी तब तक आपको पाने की ख्वाहिश रहेगी ❣️ राधे राधे मेरे कान्हा ❣️❣️❣️❣️करूँ तेरा #ज़िक्र या💞🥀 ❣️अहसासों में रहने दूँ,,,,,💕 करूँ तुझे #महसूस या💞🥀 ❣️धड़कन में बहने दूँ,,,,,💕 तुझे लफ्जों में करूँ बयां या💞🥀 ❣️इबादत” में रहने दूँ,, 💕💕💕अपने विचारों से लड़ने की कोशिश मत करो, उन्हें अपने ऊपर नियंत्रण दिए बिना आने और जाने दो। जब आप कुछ भी नहीं कर रहे होते,न शरीर से,न मन से, न बुद्धि से तब आप अपने साथ होते हैं...🙏🌹🌹 जय श्री कृष्ण 🌹 🎄 🌹 🎄 🎄 इंसान तीन ही अच्छे होते हैं 🌹 🌹 एक जो मर गया हो 🌹 🎄 दूसरा वो जो पैदा नहीं हुआ हो 🎄 🌹 तीसरा जिसे हम जानते ही नहीं🎄राधे-राधे🌹 ©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda #SunSeअपने विचारों से लड़ने की कोशिश मत करो, उन्हें अपने ऊपर नियंत्रण दिए बिना आने और जाने दो। जब आप कुछ भी नहीं कर रहे होते,न शरीर से,न मन
Mohd Asif
White कोन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए, ज़िंदगी की आखरी शाम आ जाए, हमे तो इंतजार है उस शाम का जब हमारी ज़िंदगी किसी के काम आ जाए.. ©Mohd Asif #mountain कोन जाने कब मौत का पैगाम आ जाए, ज़िंदगी की आखरी शाम आ जाए, हमे तो इंतजार है उस शाम का जब हमारी ज़िंदगी किसी के काम आ जाए..
Mohd Asif
White जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे उतर जायेंगें ©Mohd Asif #SunSet जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Anjali Singhal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे दूर हों । जब शरण उनकी ठिकाना क्यों यहाँ मजबूर हों ।। आस जिसने भी लगाई वो न खाली हाथ है । जो न माने आज इनको वो बड़ा नादान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... राम के ही भक्त है वह राम का ही नाम लें । राम के वह नाम बिन देखो न कोई काम लें ।। राम का तू जाप कर ले राम ही आधार हैं । राम का ही नाम सुनकर खुश सदा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब.... काम इस संसार में कोई हुआ ऐसा नही । दूत दानव दैत्य जो सुन नाम हनु कांपा नही ।। व्यर्थ फिर चिंता तुम्हारी है सुनो संसार में । सब सफल ही काज होंगे जब कृपा हनुमान है ।। डर नहीं इंसान तू अब... जानते हैं लोग भोलेनाथ के अवतार हैं । राम जी का काज करने को सदा तैयार हैं ।। इस जगत में भक्त इनसा सुन जगत में है नही । राम का ही नित्य करते ये सदा गुणगान हैं ।। डर नहीं इंसान तू अब .... डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। २३/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत:- डर नहीं इंसान तू अब साथ में हनुमान है । आज कलयुग में नहीं इनसे बड़ा भगवान है ।। डर नहीं इंसान तू अब .... जा झुका ले शीश उनको कष्ट सारे
Devesh Dixit
किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लगातार मेरे कानों से, आकर अब भी टकरा रही थी। ढूँढा उसको मैंने, पर कहीं न पाया, आवाज़ ने उसकी, कहर बरसाया। ध्यान को केंद्रित भी नहीं कर पाया, इस कदर उसने मुझको भटकाया। ध्यान लगाया आवाज़ पर, तो पाया, हल्की सी दबी साँसों को सुन पाया। कहीं पर लगा था ढेर, किताबों का, जिस पर लगी धूल को मैं देख पाया। निकलने लगा मैं जब वहाँ से, बोली तभी किताब तपाक से। यूँ ही देख कर मुझे जा रहे हो, मुझे बिना सुने ही भाग रहे हो। सुन कर दुविधा में आ गया, रुका मैं इंसानियत के नाते। तब जाकर समझ में आया, कि किताबें करती हैं बातें। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #किताबें_करतीं_हैं_बातें #nojotohindi #nojotohindipoetry किताबें करतीं हैं बातें मुझे किसी के सिसकने की, कहीं से आवाज़ आ रही थी। जो कि लग
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर