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Anamika Nautiyal
सकल सृष्टि में यह कैसा मातम छाया, चहुँ ओर चीख-पुकार रोग-व्याधि है या फिर माया। रात्रि के गहन अंधकार में गूँज रहा श्रृगालों का क्रंदन, दूर कहीं भूख से बिलखते बालक का सुनाई देता है रुदन। इंसानों की बस्ती में किसने डाला है यह डेरा, तांडव कर रही है मौत हर जगह है इसका घेरा। कौन कसूरवार है किस को मिल रहा दंड, मनमानी कर रही मृत्यु ; मानो कोई बालक उद्दंड। यह कैसा भयावह मंजर है दुःखों के पहाड़ तो कहीं आँसुओं के समंदर है। किसकी मृत्यु लिखी है इस तांडव में नहीं कोई जानता है कितनी बार इशारा करती है प्रकृति फिर कहाँ यह मानव मानता है। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ 🔆 20 वें दिन की रचना 🔆
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
जीवन, मरण संस्मरण का संयोग है ....... जीवन, मरण पर होता नहीं कभी जीवों का अधिकार इनके आने पर स्वतः मिलता प्रेम प्रीत से भरा परिवार भिन्न-भिन्न जातों में इनके होते जन्म और नामसंस्कार देखना चाहो तो देखो जन्में हो झोपड़ी या "राजदरबार" जीवन के साँसों की बँधी डोरियाँ नीज "कर्मो के आधार" जैसा परवरिश, वैसी आचरण वैसी उनके आहार-विहार प्रीत, नफ़रत, स्वार्थ, त्याग, भोग विलास कि चादर मैली भिन्न भिन्न संस्कारों की टोली इनकी होती स्वतः "रंगोली" टुकड़े टुकड़े में बंटी विचारधारा धर्मों के आधार पर बोली नहीं रहते यह जीवनभर एकत्रित बनकर सभ्य हमजोली "किए बलिदान देश हित जिसने" नहीं सोचा एक भी वार क्यों नीज का बलिदान दूँ यदि होंगे आगे चल ऐसे परिवार ©Anushi Ka Pitara #जीवन #मरण #संस्करण #Jeevan
aakash vashisth
मेरी हा में हा, मेरी ना में ना, माँ मेरी माँ, कभी गुस्सा, कभी मासुमियत, कभी प्यार, मेरे पास है ना, माँ मेरी माँ, मेरी हर बात समझना , मेरा ख्याल रखना , कौन कर सकता है इतना, मेरे लिये करती है जितना, माँ मेरी माँ..... 💞💞💞💞💞💞 हिन्दी संस्करण ,लेखक -आकाश वशिष्ठ
BANDHETIYA OFFICIAL
लगता है, चित्रगुप्त का कलियुगी संस्करण विमोचन में है, एक हाथ करो,दूजे हाथ भरो, ... मैं 'नीतिक' बात नहीं करता। ©BANDHETIYA OFFICIAL #चित्रगुप्त नवीन संस्करण में। #boat
Anamika Nautiyal
तिरंगे में लिपट आख़िर कितने जनाजे आएँगे हम भारतवासी क्या आँख मूंदे रह जाएँगे आज एक कल फ़िर और रोज़ की यही कहानी है कुछ हिसाब तो हो कि यह जान आख़िर कब तक गंवानी है कमी नहीं यूँ तो देश पर जान लुटाने वालों की मगर कब खींचोगे आँखें आँख दिखाने वालों की बता दो कि वह किस से टकराया है ये वो देश है जिसने कितनों को धूल में मिलाया है ये वो देश है जिसके बच्चे ने शेर के दाँतो को गिना है सोचो हमारा वजूद सैनिकों के बिना क्या है? सरहद पर वह हमारी ख़ातिर अपनी जान लुटाते रहे इधर हम अपनी मौज मनाते रहे सोए हैं सदियों से हम आख़िर कब तक सोएँगे आख़िर कब तक पिता के आने की आस में बच्चे रोएँगे जो नज़रें उठाकर देखे उसके सुपुर्द-ए-खाक का इंतज़ाम कर लो जो टकराते हैं हमसे अपनी राख को ले जाने का एहतिमाम कर लो। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ 11 वें दिन की रचना
Anamika Nautiyal
🔆 डायरी 🔆 आज अरसे बाद डायरी के पन्नों को पलटा तो देखा कि ज़िंदगी कितनी हसीन थी ख़ुशियों कि सुबह थी तो कुछ रातें ग़मगीन थी पन्ने-दर-पन्ने पलटे तो पुराने अफ़साने याद आ गए हम भी जवाँ थे जब वो ज़माने याद आ गए इश्क़, मोहब्बत में हम भी किया करते थे शायरियाँ क्या ज़माना था जब उनके कसीदे से भर देते थे डायरियाँ आज जब मुद्दतों बाद वह सब याद आया मैंने ख़ुद को तन्हाइयों से घिरा हुआ पाया 'अनाम' हर किसी ने कर लिया तुझ से किनारा दर-ब-दर भटक रहा हूँ बनके मैं बेसहारा अब इन पन्नों में ढूँढता हूँ आसरा मिल जाए शायद कहीं मेरे सपनों का हुजरा। #रमज़ान_कोराकाग़ज़ रमज़ान 19 वें दिन की रचना
Penman
आज हम जी रहे हैं आजाद लाखों शहीदों की शहादत से 71 वां गणतंत्र दिवस मना रहे हम गणतंत्र दिवस हार्दिक शुभकामनाएं 71 वें गणतंत्र दिवस की हर्दिक शुभकामनाएं