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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Author Harsh Ranjan
एक आदमी समस्या से घिरता है, एक आदमी समस्या से जूझता है, एक आदमी समस्या सुलझाता है, और एक अनोखा आदमी भी है जो समस्या से कमाता है। अनाज, दलहन, तिलहन की खेती के मौसम होते हैं, समस्या का कोई मौसम नहीं होता। कोयला, तेल खत्म हो जाएंगे, समस्या खत्म नहीं होगी। पेट दर्द की दवा से सिर दर्द नहीं होता पर समस्या के समाधान आसानी से नई समस्या बनते हैं। और ये बात सिर्फ हमारे राजनेता सिद्धांत और व्यवहार में समझते हैं। इसलिए दवा मत बनाओ, बीमारियों पर शोध-पत्र निकालो, कई बार बीमारी बनाई नहीं जाती तो हिले हुए लोगों का साक्षात्कार निकालो, उनसे पूछो, भाई बीमार हुए तो क्या होगा? अगर वो पूछे कि कौन सी बीमारी से तो कहो, वही जो आजकल फैशन में है, या खुद कल्पना करिए कि वो कौन से दर्द हैं, जिससे आपका बुरे से बुरा होगा! समस्याजीवी उर्फ राजनेता
Author Harsh Ranjan
एक आदमी समस्या से घिरता है, एक आदमी समस्या से जूझता है, एक आदमी समस्या सुलझाता है, और एक अनोखा आदमी भी है जो समस्या से कमाता है। अनाज, दलहन, तिलहन की खेती के मौसम होते हैं, समस्या का कोई मौसम नहीं होता। कोयला, तेल खत्म हो जाएंगे, समस्या खत्म नहीं होगी। पेट दर्द की दवा से सिर दर्द नहीं होता पर समस्या के समाधान आसानी से नई समस्या बनते हैं। और ये बात सिर्फ हमारे राजनेता सिद्धांत और व्यवहार में समझते हैं। इसलिए दवा मत बनाओ, बीमारियों पर शोध-पत्र निकालो, कई बार बीमारी बनाई नहीं जाती तो हिले हुए लोगों का साक्षात्कार निकालो, उनसे पूछो, भाई बीमार हुए तो क्या होगा? अगर वो पूछे कि कौन सी बीमारी से तो कहो, वही जो आजकल फैशन में है, या खुद कल्पना करिए कि वो कौन से दर्द हैं, जिससे आपका बुरे से बुरा होगा! समस्याजीवी उर्फ राजनेता
Tara Chandra
कोयल गाती है बसंत बीत जाने के बाद और दुल्हन रोती है प्रदेश जाने के बाद ©Tara Chandra आयुष कुमार उर्फ चीकू
संध्या उर्फ सुधा अस्थाना
कविता - पापा जी का डंडा गोल , मम्मी जी की रोटी गोल , नानी जी का ऐनक गोल , नाना जी का पैसा गोल , बच्चे कहते लड्डू गोल , मैडम कहती दुनिया गोल । कविता संध्या उर्फ सुधा अस्थाना
संध्या उर्फ सुधा अस्थाना
कविता - " नील परी "- आसमान से हँसती गाती नील परी भू पर आती आकर के नन्ही बगिया को खूशबू से ये भर जाती जादूगर सी छड़ी लिए है बैठी बच्चों के सिरहाने इसके आते ही फूलों से झरने लगते मीठे गाने इसकी मुस्कान मोती हैं और चाँद है इसकी बिंदिया बच्चे इसको खूब जानते कहते है लो आ गयी नन्ही निंदिया कविता - संध्या उर्फ सुधा अस्थाना