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कुंवर
क्या सुन के शंकर का डमरू गौरी ने आंखे फेरी थी क्या राधा के पग रुक पाए जब श्याम ने ताने छेड़ी थी और जब वही लाग मेरे मन में लगी तो मेरा मान गया मेरी मोल गई मै प्रेम सिंहासन पर बैठा तो राज सिंहासन डोल गई ©कुंवर #क्या सुन शंकर के डमरू......
Laxmi Yadav
शंकर जी के दरबार, लगी कोरोना की गुहार झर- झर बरसता सावन सोमवार था, कैलाश पर्वत पर सजा भोले बाबा का दरबार था। देव गण सारे खड़े हाथों मे लिए पुष्प- हार थे, सोलह शृंगार मे सजी देवियाँ खड़ी लिए थाल थी। मै भी पहुंची मृत्यु लोक से कोरोना विपदा की मारी, थाल मे सजा हरित बेल पत्र कंधे पर कावंड - जल की सवारी। ज्यो विश्वंभर के नेत्र खुले मानों चहुँ ओर हलचल हुई, आशुतोष के एक मुस्कान से सर्वत्र हर हर महादेव की गूंज हुई। जैसे ही मैंने बेल पत्र बढ़ाया नटराज ने व्यंग बाण चलाया। बोले, ऐसी कौन सी विपदा गंगा से भी जलधारी, ऐसा कौन सा हुआ मंथन हलाह ल से भी विष धारी। ऐसा कौन सा असुर शंखचुड -अंधकासुर से उपद्रवी ऐसा क्या संकट पृथ्वी लोक पर गहराया, क्या मेरे त्रिशूल-डमरू तांडव का समय आया? हाथ जोड़ मै खड़ी रही शीश को झुकाए, अब कलियुग के असुर की क्या परिभाषा बतलाउ? हे, पशुपति विश्वनाथ कुछ समझ न आये कैसे समझाऊ, बंद हुए आपके सारे धाम अब तो घर ही बना चारो धाम, ऐसा पहला सावन बरस रहा हर शिव भक़्त काँवड जल चढ़ाने तरस रहा, धरा सिसकती मची त्राहि त्राहि है किसी युग मे ना हो ऐसी तबाही है एक अदृश्य असुर कोरोना की शक्ति हुई प्रबल है जिसके समक्ष जग निर्बल है। अब हे त्रिलोचन, हे त्रृलोकी त्रृनेत्र धारी बस आप को जपते वसुधा के नर- नारी, सुन मेरी गुहार, समझ गए अंतर्यामी कोरोना का प्रहार, जटाधारी मुस्काये बोले, इस कलियुग मे अंत कोरोना का है अटल , त्रिशूल बन भेदेगा मानव का संबल। अब मानव को करना होगा रिश्तों का पूजन, तब सत्कर्मों की गंगा बहेगी निर्मल होगा मानव मन। अति न दुष्कर्म की होने पाए सदा पावन रहे मानव जीवन। 🙏 लक्ष्मी यादव ©Laxmi Yadav शंकर जी का दरबार, #Sawankamahina
om_shiv_gorakhnath
के र,, शीश पे जिसके चंदा सजे, और जटा मैं जिनके गंगा मईया विराजे। र,, फेर तीनों लोक झूम उठा, जब मेरे देवो के देव महादेव जी का डमरू बाजे। (जय शिव शंकर भगवान् की सदा ही जय 🚩) ©om_shiv_gorakhnath के र,, शीश पे जिसके चंदा सजे, और जटा मैं जिनके गंगा मईया विराजे। र,, फेर तीनों लोक झूम उठा, जब मेरे देवो के देव महादेव जी का डमरू बाजे। (ज
Manku Allahabadi
काबलियत है, तो शब्दों से खेल के दिखाओ, हिम्मत है, तो जरा शायर की नज़्म तोड़ के दिखाओ, खुशी तो क्षणभंगुर है,जरा दर्द को सह के दिखाओ, अडिग है अग्नि की ज्वाला,जरा समंदर में आग लगा के दिखाओ विछिप्त है योगी का संसार, ज़रा तपस्या भंग तो कर के दिखाओ विलुप्त है वो भस्म की राख में,कभी अघोरी सा बेपाक बन के दिखाओ बहुत नचाया है अपने इशारों पे, अब जरा डमरू सा बज के दिखाओ -Manku Allahabadi डमरू #डमरू #Yogi #aghori #mortal
Mr Anil Kumar Yadav
यादों में आपके तन्हा बैठे हैं आपके बिना लबों की हंसी गँवा बैठे हैं आपकी दुनिया में अँधेरा ना हो इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं ©Mr Sonu Yadav #हर #हर #भोले #शंकर #जी
RAVAN RAJ
बहुत ही गहरी सोच में होंगे महादेव कलयुगी इंसान को देखकर कि, विषपान तो मैंने किया था पर लोगों के दिल इतने जहरीले कैसे हो गये 😦 ©RAVAN RAJ 🙏फैन -डमरू -वाले -का🙏